करने को कल जब कुछ न था
मन भी अपना खुश न था
जिस ओर कदम चले
उसी तरफ हम चले
रब जाने क्यों
जा खोली खिड़की
जो बरसों से बंद थी
खुलते खिड़की
इक हवा का झोंका आया
संग अपने
समेट वो सारी यादें लाया
दफन थी जो
बंद खिड़की के उस पार
देखते छत्त उसकी
भर आई आँखें
आहों में बदल गई
मेरी सब साँसें
आँखों में रखा था जो
अब तक बचाकर
नीर अपने
एक पल में बह गया
जैसे नींद के टूटते
सब सपनेमन भी अपना खुश न था
जिस ओर कदम चले
उसी तरफ हम चले
रब जाने क्यों
जा खोली खिड़की
जो बरसों से बंद थी
खुलते खिड़की
इक हवा का झोंका आया
संग अपने
समेट वो सारी यादें लाया
दफन थी जो
बंद खिड़की के उस पार
देखते छत्त उसकी
भर आई आँखें
आहों में बदल गई
मेरी सब साँसें
आँखों में रखा था जो
अब तक बचाकर
नीर अपने
एक पल में बह गया
जैसे नींद के टूटते
कुलवंत हैप्पी जी की कलम से ये पंक्तिया आप तक
पहुंचा रहे है
संजय भास्कर
http://yuvatimes.blogspot.com/2010_01_01_archive.html
24 टिप्पणियां:
लाजवाब ... कुलवंत जी की बेहतरीन रचना ...
सुंदर रचना
बहुत खूबसूरत रचना
चित्र तो अत्यंत खूबसूरत
सुन्दर रचना !
कुलवंत जी,
बहुत खूबसूरत रचना...बधाई
sunder kavita. per saath mein jo aapne photo lagayee hai, wah bhi bahoot khoobsoorat hai.
bahut badhiya rachna...
kunwar ji,
विषय को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है ।
nice
अच्छी रचना !!
संजय भास्कर जी और सब टिप्पणीकर्ताओं का मैं तहेदिल से धन्यवाद अदा करता हूँ।
क्या बात है! बहुत ही सुंदर.
kya baat hai.. bahut sunadar..
meri nayi kavita jaroor dekhein, aapki tippani ka intzaar rahega...
बहुत खूबसूरत रचना
aap dono ka bahaut -2 dhanya waad
..........बेहतरीन रचना ...
बहुत खूबसूरत रचना.कुलवंत जी को बधाई
_____________
"शब्द-शिखर" पर सुप्रीम कोर्ट में भी महिलाओं के लिए आरक्षण
chhoti par behtareen
dhanyvad
good
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
वाह ....बहुत ही बढ़िया कुलवंत हैप्पी जी
बहुत खूबसूरत रचना.
रामराम.
बहुत खूबसूरत...
Aankhen nam karane wali rachana!
क्या बात है! बहुत ही सुंदर.
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