शब्दों की मुस्कुराहट :)
जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर शब्दों से मुस्कुराहट बाँटने की कोशिश :)
09 अगस्त 2010
करते है साक्षर ही अधिक भ्रूण हत्या ...............!
देखा जो ज़माने का प्रचलन ,
तो हुआ व्यथित बहुत मेरा मन |
तो किया इस पर गहन अध्यन ,
किया मैंने बहुत शोध |
हुआ मुझे बहुत ही अफ़सोस ,
लगा हाथ मेरे , जब यह तथ्य |
हजम हुआ न मुझे ये कटु सत्य ,
करते साक्षर ही अधिक भ्रूण हत्या |
....संजय भास्कर....
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