27 मई 2019

आने वाले दिनों में :)


आने वाले दिनों में जब
हम सब       
कविता लिखते पढ़ते बूढ़े
हो जायेंगे !
उस समय लिखने के लिए
शायद जरूरत न पड़े
पर पढ़ने के लिए
एक मोटे चश्मे की
जरूरत पड़ेगी
जिसे आज के समय में हम
अपने दादा जी की आँखों पर
देखते है !
तब पढने के लिए
ये मोटा चश्मा ही होगा
अपना सहारा
आने वाले दिनों में
देखता हूँ यह स्वप्न
मैं कभी - कभी 
क्‍या आपको भी
ऐसा ही
ख्‍याल आता है कभी !!

-- संजय भास्कर 

14 मई 2019

आई ऍम सॉरी मैने तुम्हारा दिल तोड़ा कहाँ से आया ये सॉरी :)

सॉरी, मैं लेट हो गया सॉरी मैं वो काम पूरा नहीं कर पाया..... मेरी वजह से तुम्हारी ट्रेन छूट गई, आई एम सॉरी.... मैने तुम्हारा दिल तोड़ा, सॉरी....सॉरी, मैने तुम्हें गलतफहमी में थप्पड़ मार दिया। ये क्या अब क्यों गुस्सा हो रहे हो सॉरी बोल तो दिया। अक्सर ही इस ' सॉरी ' के शिकार हुए लोगों के मुंह से निकल ही जाता है कि 'अंग्रेज चले गये लेकिन ' सॉरी ' छोड़ गए। चाहे कितनी ही बड़ी गलती कर दो बस एक सॉरी बोला और हो गया काम पूरा
वहीं सॉरी कहने वालों की सोच होती है कि अब माफी तो मांग ली अब क्या सिर्फ एक गलती के लिए फांसी दे दोगे। बड़ी से बड़ी गलती हो जाने पर भी ये बस एक सॉरी के सहारे सभी गलतियों कि माफी पाने की तमन्ना रखते हैं। कितना छोटा सा शब्द होता है सॉरी......अंग्रेजी में माफी मांगने के लिए प्रयोग होने वाले इस शब्द को समझो तो इसके मायने कितने गहरे होते हैं। अपनी गलती को मान कर उसे दोबारा न करने और उसके लिए शर्मिदा होने के भाव को व्यक्त करता है। लेकिन कितने लोग ऐसे हैं जो इसके असली भावों से वाकिफ हैं। कई बार लोग इनके इस झूठे शब्दों के जाल में फंस जाते हैं तो कुछ इसकी असलियत को जानते हुए इसकी परवाह ही नहीं करते।
आज कितने ही लोग बचे हैं जो सॉरी कहने के बाद फिर से वो गलती नहीं करते। वे तो बस उस समय बात बिगड़ने के डर से इस सॉरी का सहारा लेते हैं। आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति जल्दी में रहता है और दूसरों को आगे निेकले का प्रयास करता रहा है। इस दौरान ना जाने उसने कितनों को कई बार धक्का दिया होगा, नुकसान पहुंचाया होगा, मगर हर बार वह उसे सॉरी बोलकर और अपनी गलतियों को नजरअंदाज कर आगे निकल जाता है ऐसे लोगो की वजह से सारी शब्द अपने असली मायने खो रहा है......आज जरुरत है हमें भी कुछ ऐसा करने की जिससे पूरा जनसमुदाय इस शब्द के मायने और अर्थ को समझ कर सॉरी बोलने से पहले एक बार सोचें और अपनी जिंदगी में इस तरह के शब्दों का कम से कम प्रयोग करें.......!!

- संजय भास्कर

01 मई 2019

कुछ मेरी कलम से अनीता सैनी, रेणु, अनुराधा चौहान :)

आदरणीय रेणु जी ( ब्लॉग क्षितिज ) अनुराधा चौहान जी ( Poet and Thoughts ) और अनीता सैनी जी ( गूंगी गुड़िया ) काफी समय से तीनो को ब्लॉग के माध्यम से पढ़ रहा हूँ इनकी हर विषय पर एक से बढ़कर एक मर्मस्पर्शी व सटीक रचनाएँ और हाइकु ने सीधे दिल पर दस्तक देते है सभी लेखिकाओं का कम समय में बढ़िया लेखन पढ़ने को मिला तीनो की लेखनी से मैं बहुत ही प्रभावित हूँ होकर ही इनके बारे में लिख रहा हूँ पर शायद किसी के बारे में लिखना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है तीनो लेखिकाओं के लिए कुछ शब्द साँझा कर रहा हूँ उम्मीद है सभी पसंद आये..........!!

रेणु जी ज़िंदगी पर जिस यथार्थता से रेणु जी की कलम चली है उतनी ही मर्मस्पर्शी व सटीक रचनाएँ लिखी है.... वैसे भी कवि हृदय में प्रेम का एक विशिष्ट स्थान होता है और इसे रेणु जी ने अपने अनुभव से और भी विशिष्ट बना दिया है उनकी कुछ रचनाएँ सच ही मन को भावुक कर जाती हैं रेणु जी की लिखी कुछ मेरी पसंदीदा रचनाये ......
घर से भागी बेटी के नाम, मैं श्रमिक, सुन ओ वेदना, भैया तुम हो अनमोल, स्मृति शेष पिताजी, उदासियों के बियाबान, मेरी पसंदीदा रचनाये !!  मेरी और से  रेणु जी को निरंतर लेखन के लिए को शुभकामनाएँ............!!


अनुराधा चौहान जी की कुछ रचनाये बड़ी सहजता से अपनी व्यथा व्यक्त करती है उनकी कवितायें इस बात को
प्रमाणित भी करती हैं संवेदनशील मन मात्र अपनी ही व्यथा कथा नहीं कहता इनसे जुड़े हर शख़्स की भावनाओं को कवयित्री ने कविता में बुन डाला है उनकी कुछ रचनाएँ सच ही मन को भावुक कर जाती हैं
अनुराधा चौहान की लिखी कुछ मेरी पसंदीदा रचनाये.......
एक गरीब बेचारा, अधूरे ख्वाब, वक़्त के घाव, जीवन का सत्य, मैं ही प्रलय हूँ, ग़रीब की ज़िंदगी, काश न होती यह सरहदें इत्यादि, मेरी और से अनुराधा जी को निरंतर लेखन के लिए को शुभकामनाएँ...........



अनीता सैनी जी से ब्लॉग से परिचय हुआ उनकी कविताये पढ़ने को मिली काफी समय से अनीता जी के लेखन
से मैं बहुत प्रभावित हूँ हमेशा ही उनकी हर पोस्ट में कुछ अलग ही पढ़ने को मिलता है खासकर संवेदन शील विषय पर लिखी हर रचना एक अलग ही छाप छोड़ती है लेखिका के पास लेखन का कई वर्षों अनुभव है इसी कारण उन्होंने लेखन में मन में उपजे विचारों को नए अंदाज में लिखती है अनीता जी की रचनाएँ अपने आप में अनूठी है जो सीधे दिल को छूती है अनीता सैनी की लिखी कुछ मेरी पसंदीदा रचनाये.......
बोलता ताबूत, सत्य अहिंसा का पुजारी, ख़ामोशी तलाशती है शब्द, वेदना प्रकृति की, ख़ामोश होते रिश्तें, मुस्कान अश्कों  की ,

मेरी ओर से निरंतर लेखन के लिए आदरणीय तीनो बड़ी बहनो को ढेरों शुभकामनाएँ........!!

-- संजय भास्कर