11 जुलाई 2022

सराहनीय सृजन बहुत-बहुत आभार जिज्ञासा जी :)

मेरे आलेख चिड़ियाँ का हमारे आंगन मे आना को पढ़कर आदरणीय जिज्ञासा जी ने गोरैया दिवस पर लिखी रचना को मेरे आलेख को समर्पित किया जिसे आप सभी के समक्ष साँझा कर रहा हूँ रचना के लिए बहुत- बहुत आभार जिज्ञासा जी
संजय जी, गौरैया पर आपका ये आलेख बहुत ही चिंतनपूर्ण और विचारणीय है, सौभाग्य से मेरे घर बहुत गौरैया आती हैं और घोसला भी बनाती हैं अभी एक महीना पहले गौरैया अपने तीन चिड्डों के साथ मेरा घर गुलजार किए थीं सभी उड़ गए  गौरैया के लिए पानी, दाना और कुछ झुरमुटी पौधों का होना बहुत जरूरी होता है वे बड़े आनंद में रहती हैं, गौरैया दिवस पर लिखी एक रचना आपके आलेख को समर्पित है:

गौरैया को समर्पित गीत🐥🌴
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अब उससे हो कैसे परिचय ?
दो पंखों से उड़ने वाली,
दो दानों पे जीने वाली,
जीवन पर फिर क्यूँ संशय ॥

तीर निशाने पर साधे
बड़े शिकारी देखें एकटक,
घात लगाए बैठे हैं
घर अम्बर बाग़ानों तक,
संरक्षण देने वालों ने
डाल दिया आँखों में भय ॥

कंकरीट के जाल
परों को नोच रहे हैं,
जंगल सीमित हुए
सरोवर सूख रहे हैं,
हुआ तंत्र जब मौन
सुनेगा कौन विनय ॥

ये नन्ही गौरैया चिड़ियां
मिट्टी मानव छोड़,
दूर कहीं हैं चली जा रहीं
जग से नाता तोड़,
वहाँ जहाँ पर पंख खुलें
फुर फुर उड़ना निर्भय ॥

-जिज्ञासा सिंह

--संजय भास्कर