02 दिसंबर 2015

हम भी डरते है - संजय भास्कर

( चित्र - गूगल से साभार )

उस चौराहे पर
पड़ी वह स्त्री रो रही
है बुरी तरह से
उसका बलात्कार हुआ है
कुछ देर पहले
वह सह रही है असहनीय
पीड़ा कुछ
दरिंदो की दरिंदगी का
भीड़ में खड़े है
लाखो लोग पर मदद का हाथ
कोई नहीं बढाता
इंसानियत नहीं बची
ज़माने में
क्योंकि हम भी डरते है.........!!!

-  संजय भास्कर