26 दिसंबर 2017

मेरी नजर से बातों वाली गली और वंदना अवस्थी दुबे :)

कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की समीक्षा पढ़ी थी वंदना जी के ब्लॉग पर उत्सुकता जगाती प्रेरक बेबाक समीक्षा मन पढ़ने को आतुर हो गया क्योंकि बात थी बातों वाली गली की ...वंदना दीदी की लेखनी से तो मैं कई वर्षो से प्रभावित हूँ अब बात करते है वंदना दुबे जी का पहला कहानी संग्रह बातों वाली गली की 
लेखिका के पास लेखन का कई वर्षों अनुभव है इसी कारण उन्होंने लेखन में अपने आसपास की चीजों और घटनाओं को बड़ी ही सजगता से अपने संग्रह में सहेजा हैं। संग्रह की प्रत्येक कहानी असाधारण नही है किंतु एक गुण हर रचना में मौजूद है और वो है पठनीयता जो किसी भी कहानी का अनिवार्य तत्व है। 
२० कहानियाँ का संग्रह बातों वाली गली संग्रह की सभी  कहानियाँ ऐसी है जो सीधे मन पर गहरा प्रभाव छोड़तीं और  बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करतीं इन से मैंने अभी तक कुछ ही कहानियों को  पढ़ा है और उन्हें पढ़ कर इस बात का एहसास होता है कि नारी मन की गहराई को बहुत ही बढ़िया तरीके से वन्दना ने समझा है संग्रह की सभी कहानियाँ बहुत बढ़िया हैं लेकिन कुछ कहानियों में नारी मन में उपजी अंतर्वेदना का वन्दना जी ने जिस सूक्ष्मता के साथ चित्रण किया है पहले की बात कुछ और थी पर वर्तमान में कहानियों को नाटकीयता का जमा पहनाने के लिए कई तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं, जिनमे मनोवैज्ञानिकता, आधुनिकता का समावेश किया जाता है लेकिन ऐसा वंदना जी की कहानियों में बिलकुल भी नहीं देखने को मिलता है लेखिका ने अपनी सादगी की तरह ही अपनी कहानियों को, अपने पात्रों को सादगी प्रदान की है !
इस संग्रह में 'अहसास' कहानी बहुत ही बढ़िया पढ़ने को मिली जो संयुक्त परिवार में अपने प्रति हो रहे भेदभाव को महसूस कर उसके खिलाफ आवाज उठाने की है संग्रह की कुछ मार्मिक कहानियां हृदय को छू जाने वाली हैं सुंदर कहानियों के संकलन के लिए वन्दना जी को बहुत-बहुत बधाई

एक लम्बे समय से मैं वंदना दीदी के ब्लॉग पढ़ रह हूँ परिकल्पना समारोह लखनऊ में उनसे मिलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था और उनसे मिल कर बहुत प्रभावित हुआ संकलन के लिए वन्दना जी को बहुत-बहुत बधाई .......!!

- संजय भास्कर