30 अप्रैल 2010

आखिर,देश को क्या देंगे ?


केतन, केतन देसाई

अध्यक्ष

मेडिकल कोंसिल ऑफ़ इंडिया

सीबीआई की रेड में

घर से मिले 1800 करोड़ नगद

डेढ़ टन सोना

उम्मीद कई और करोड़ों की

करोड़ों लेकर लगता था मुहर

मेडिकल कोलेजों की मान्यता पर

देशभर में

खुले ऐसे संस्थान

आखिर,

देश को क्या देंगे?

आप जानते हैं

और मैं भी





-आमीन

28 अप्रैल 2010

जारी है सिलसिला सरहदों पर

 दो आतंकी ढेर
दो जवान शहीद
कुल मिलाकर
चार घरों में अँधेरा
दो इधर तो दो घर उधर
जारी है अभी
सिलसिला
सरहदों पर 

..आमीन..

26 अप्रैल 2010

जिंदगी एक चाहत का सिलसिला है

 जिंदगी एक चाहत का सिलसिला है ,
कोई मिल जाता है तो कोई बिछड़ जाता है  
जिसे मांगते है हम अपनी दुआओं में ,
वो किसी और को बिना मांगे ही मिल जाता है |

.....संजय भास्कर.... 

24 अप्रैल 2010

वाशिंग पाउडर के विज्ञापन में सलमान खान कुछ हट के करना चाहिए।

विज्ञापनों की दुनिया भी बड़ी अजीब है। कुछ का कुछ दिखाने की कुव्वत रखते हैं। इन दिनों एक नया विज्ञापन देख रहा हूं। वाशिंग पाउडर का। न्यू एक्टिव व्हील। शायद आपने भी देखा होगा। इसकी खास बात यह है कि इसमें सलमान खान के दो फोटो लगे हैं, जिनके हाथ में पाउडर के दो पैक हैं। कुछ फूलों से इस विज्ञापन को सजाने की कोशिश की गई है। लगता है किसी 'महान रिसर्चरÓ से शोध कराया गया होगा। उसने घर बैठे शोध किया और कुछ पन्नों की रिपोर्ट बनाई। इसी रिपोर्ट में सलमान जैसे किसी चेहरे को लेने की बात कही गई होगी। ओह... हे भगवान।
 अरे भई, यह तो हद है। कहा जाता है कि कुछ हट के करना चाहिए। लेकिन कुछ लोग हट के कुछ एेसा पका डालते हैं कि सबका हाजमा खराब हो जाए। यह विज्ञापन भी कुछ हजम नहीं हो रहा। इसके कुछ कारण हैं-
1. सलमान खान की एेसी छवि कभी नहीं रही कि वे एक वाशिंग पाउडर की एड करें।
2. एक आदमी उस चीज की एड करता है, जिसका इस्तेमाल और खरीद महिलाएं ही करती हैं। यदि महिलाओं को आकर्षित करना ही था तो कोई चॉकलेटी चेहरा लिया जाता।
3. विज्ञापन में केवल और केवल सलमान खान को दिखाया गया है। किसी क्वालिटी का कोई उल्लेख नहीं है। ये कहां की समझदारी है?
ये तो रहे मुख्य कारण। कुछ और भी होंगे। एक बात और, हो सकता है कि कंपनी उसी शोधकर्ता को फिर से यह रिसर्च करने का ठेका दे दे कि इस विज्ञापन के बाद कितनी ब्रिकी बढ़ी। और यह भी संभव है कि वह शोधकर्ता कुछ प्रतिशत बढ़ी ब्रिकी को अपने विज्ञापन की का असर बता दे। और हां, फिर मार्केट में कुछ और शोधकर्ता इसी लीक पर चल पड़ें।

23 अप्रैल 2010

सरकार हमसे उम्मीद कर रही है की हम बिजली बचायेंगे.


वो आती है तो पूरा शहर जश्न मनाता है. लोगों के चेहरे खिल जाते हैं. और उसके जाते ही हो जाता है सन्नाटा. न घर में चैन न बाहर. पर अफ़सोस की पहले इसने मोहाली से मुहं मोरा और अब चंडीगढ़ को भी दरसन देने कम कर दिये हैं. खूब नखरे दिखा रही है बिजली रानी. दिखाएँ भी क्यों नहीं. आखिर हमने उसे इतना सर जो चढा लिया है. हवा और पानी से जरूरी जो बना लिया है. एक दिन भूखे तो रह सकते हैं पर बिन बिजली के नहीं. अब पुरवाई से हमें शीतलता का अहसास नहीं होता. अपनी काया को तो कूलर की हवा लगनी चहिये. सूरज की रोशनी से अपना गुजारा नहीं होता बलब रोशन होना चाहिए. कोढ़ में खाज यह है की इसे बर्बाद करने के भी पुरे प्रबंध हमने कर लिए है. बचत अब हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं रही. जब हम पानी ही नहीं बचा रहे तो हमसे बिजली की बचत की उम्मीद करना बेमानी है. भले ही सरकार हमसे कितनी ही विनती करे की बिजली बचाओ, नही तो अँधेरे में रहना परेगा. कौन परवाह करता है. परसासन ने चंडीगढ़ में लॉन सिचने पर रोक लगाई है. फिर भी अपने लॉन की घास का गला तो हम रोज तर करतें हैं भले ही परोसी के बच्चे प्यासे रह जाएँ. और मुर्ख सरकार हमसे उम्मीद कर रही है की हम बिजली बचायेंगे. हमारा कम बिजली, पानी बर्बाद करना और फिर इनकी कमी होने पर सरकार को कोसना है.

22 अप्रैल 2010

ऐसे जल और घट रही है लकड़ी तो सास लेना भी होगा मुश्किल




हमारी आने वाली पीढि़या भी होली की मस्ती ले सकें, रंगों में सराबोर हो सकें और स्वच्छ वातावरण में होलिका जला सकें, इसके लिए हम सबको ही पहल करनी होगी। वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखना है तो लकड़ी कम जलानी होगी। होलिका सजाने के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की आपूर्ति या तो पेड़ काटकर की जाती है या फिर टाल से होती है।
ऐसे घट रही है लकड़ी
बड़े पैमाने पर पौधारोपण होने के बाद भी दस साल में वन आच्छादित या ट्री क्षेत्र में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
ऐसे बढ़ रहा है प्रदूषण
इन दोनों स्थानों पर ग्रीन बेल्ट नहीं है, जिस कारण यह असर पड़ रहा है। कमोवेश यही स्थिति पूरे शहर की है।
ये पड़ रहा है असर
सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर हवा में मौजूद वे तत्व हैं जो त्वचा से लेकर फेफड़े तक के लिए सबसे घातक हैं। हर माह शहर में टीबी व फेफड़ों के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। देश में हर साल 42 हजार लोगों की मौत इसी बीमारी से हो रही है।
आइए संकल्प लें.
स्वच्छ हवा में अगर हम सास नहीं ले पा रहे हैं तो इसके लिए कोई दूसरा नहीं काफी हद तक हम खुद जिम्मेदार हैं। कभी विकास के नाम पर तो कभी परंपराओं को निभाने के लिए प्रकृति की प्यारी वस्तु पेड़ों को काटते रहे हैं। होली के पर्व पर आइये हम सब मिलकर कम से कम एक पौधा रोपने का संकल्प लें और प्रण करें कि होली पर वृक्षों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। धरती हरी भरी रहेगी तभी तो हमें स्वच्छ हवा मिलेगी।

20 अप्रैल 2010

जो आँखों में ही रहते है

 होंठो की जुबां ये आंसु कहते है ,
चुप रहते है मगर फिर भी बहते है
इन आंसुओ की किस्मत तो देखो
ये उन के लिए बहते है ,
जो आँखों में ही रहते है |

19 अप्रैल 2010

हिन्दुस्तान में मायका और पाकिस्तान में ससुराल


पाकिस्तान में ससुराल और हिन्दुस्तान में मायका 

शोएब मालिक का प्यार सानिया के लिए अभी तो बेहद ज्यादा है अब सानिया ने यो तो साबित कर ही दिया है ,,,की प्यार सच्चा हो और मुल्क की दीवार सामने हो तो कोई फरक नहीं पड़ता | फिल्म वीर ज़ारा की स्टोरी तो  सच हो गई  है फर्ख सिर्फ इतना ही है की फिल्म में लड़का हिन्दुस्तानी था और लड़की पाकिस्तानी ...पर रियल लाइफ में लड़की हिन्दुस्तानी है और लड़का पाकिस्तानी ....तो देखा आपने किस तरह से होता है रील लाइफ का रियल लाइफ पे असर ...

भारत पकिस्तान के रिश्तों में मजबूती हो, चैन और अमन के साथ सभी अपनी ज़िन्दगी को गुज़ारे .....    

 

17 अप्रैल 2010

दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा


 दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा
चेहरा तेरा लफ्जों में नज़र आएगा

अपने हाथों की लकीरों में न छुपाना मुझे
हाथ छूते हि तेरा चेहरा निखर आएगा

बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
मुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा

तेरे पहलू में बैठूं तुझसे कोई बात करुँ
एक लम्हा ही सही पर ज़रूर आएगा

एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा 

दिगम्बर नासवा जी कलम से निकली एक दर्द भरी रचना

15 अप्रैल 2010

क्या पता कब दिल तोड़ दे !!!!!!!


 वो अजनबी है जाने कब छोड़ दे ,
हवा का क्या पता कब रुख मोड़ दे ,
हम तो दुसरो का दिल खुश रखते है ,
मगर दूसरो का क्या पता कब दिल तोड़ दे |
 

14 अप्रैल 2010

संविधान-निर्माता बाबा अम्बेडकर जी की जयंती 14 अप्रैल पर शत-शत नमन !!!!!


!!!!! बाबा साहब अम्बेडकर की छवि बड़ी व्यापक है। आपके योगदान को कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। संविधान-निर्माता बाबा अम्बेडकर जी की जयंती 14 अप्रैल पर शत-शत नमन !!!!!

दुनिया भले ही बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को कानून और संविधान के एक विशेषज्ञ के तौर पर जानती है, लेकिन यह भी सच है कि वह सही मायने में एक अर्थशास्त्री थे।
लेकिन बदकिस्मती यह है कि आज भी उन्हें एक दलित नेता के रूप में ही जाना जाता है। उन्होंने जातिविहीन समाज की स्थापना का सपना देखा था, लेकिन तथाकथित अंबेडकरवादी आज जातिवाद को मजबूत करके ही अपनी राजनीति कर रहे हैं।
बाबा साहेब ने अमेरिका और इंग्लैंड जाकर आला दर्जे की तालीम हासिल की थी। वहीं से उन्होंने कानून की डिग्री भी हासिल की। उन्होंने कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट भी हासिल किया था। भारत लौटने पर उन्होंने कुछ समय तक कानून की प्रैक्टिस की और उस दौर में भारत में अछूत माने जाने वाले वर्ग के लोगों के राजनीतिक अधिकारों तथा सामाजिक आजादी की वकालत करते हुए एक जर्नल का प्रकाशन शुरू किया। काबिलियत तथा विद्वता के चलते ही बाबा साहेब को स्वतंत्र भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए संविधान सभा की ओर से गठित संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। वह भारत के पहले कानून मंत्री भी थे।
14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के मिलिट्री हेडक्वॉर्टर ऑफ वॉर में पैदा हुए डा. भीमराव रामजी अंबेडकर को 1990 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। 14 अप्रैल के दिन ही देशभर में उनका जन्मदिन मनाया जाता है और सरकार ने इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया।

13 अप्रैल 2010

जिंदगी सवाल बदल देती है



ये जिंदगी भी न जाने कितने मोड़ लेती है
हर मोड़ पर नया सवाल दे देती है
ढूंढते रहते है हम जवाब  जिंदगी भर
जवाब मिल जाते है तो 
जिंदगी सवाल बदल देती है |

12 अप्रैल 2010

दिल से दिल न जाने कब जुड़ जाते है....!



कुछ रिश्ते अनजाने में बन जाते है ,
पहले दिल फिर जिंदगी से जुड़ जाते है ,
कहते है उस दौर को ' दोस्ती '
जिसमे दिल से दिल न जाने कब जुड़ जाते है |

10 अप्रैल 2010

ज़माना कहेगा क्या बात है

दोस्त को भुलाना गलत बात है ,
दोस्ती न निभाना भी गलत बात है ,
दोस्ती में दिल दुखाना भी गलत बात है ,
दोस्ती का तो जिंदगी भर साथ है 
अगर भूल गए तो सिर्फ खली है 
अगर साथ रहे तो ज़माना कहेगा क्या बात है |


09 अप्रैल 2010

मुझको मेरी तन्हाईयाँ अक्सर बुलाती हैं


 मुझको मेरी तन्हाईयाँ अक्सर बुलाती हैं,
और फिर मुझे तेरी यादों से नहलाती हैं।
वो जो खुशबु का झोंका गुज़रा मेरे पास से ,
तेरी जुल्फों की कैद से छूटी हवा कहलाती हैं।
आँखें खुली रहती हैं तो दिखता नहीं कुछ भी ,
बंद आँखें ही तो मुझे सबकुछ अब दिखलाती हैं।
चीड़ों की चोटी पर बरसे चन्दन जैसी जो चांदनी,
एक आशिक के चेहरे पर माशूक का नूर कहलाती हैं।
जो भी जख्म मिले हैं मुझको तेरे सजदे में जानम,
तुझको छूकर आती हवा उन जख्मों को सहलाती हैं।
भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं।

 मित्र निहार खान के ब्लॉग से ये पंक्तिया आप

एक सवाल..........

एक सवाल बाप ने अपनी बेटी को गिफ्ट देकर बोला ,

भूख लगे तो खा लेना ,

प्यास लगे तो पी लेना   ,

और सर्दी लगे तो जला लेना ,

बताओ क्या था गिफ्ट ,
एक दोस्त ने मुझसे पुछा है , मै तो नहीं बता पाया 
सोचा अपने ब्लोगेर्स मित्रो से ही क्या न पूंछ लू  |
आदरणीय मित्रो जरूर बताये...........
 
 

08 अप्रैल 2010

यौन शोषण के खिलाफ आचार संहिता शुरू


भारत की सांस्कृतिक पहचान को सेक्स पर्यटन के कलंक से बचाए रखने के लिए सरकार ने आचार संहिता तय कर ली है, जिसके तहत होटलों से लेकर टूर आपरेटरों और एयरलाइनों के निदेशकों से लेकर कर्मचारियों तक पर जिम्मेदारी होगी। राज्यों से मशविरे के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया गया है।
माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन, यानी आठ मार्च से शुरू  हो चुकी है  
गोवा, उड़ीसा व आंध्र प्रदेश समेत दूसरे भारतीय पर्यटन स्थलों पर सेक्स पर्यटन व बाल यौन शोषण के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो रही देश की छवि से परेशान सरकार ने जिम्मेदारी तय करने का प्रारूप तैयार किया है।
अंतराराष्ट्रीय संस्थाओं के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग से विचार-विमर्श के बाद 'सेफ एंड आनरेबल टूरिज्म' के लिए आचार संहिता बना ली है। राज्यों के साथ साथ पर्यटन से जुड़े सभी क्षेत्रों से भी मशविरा किया जा चुका है।
  बड़ी संख्या में पर्यटकों की यौन लोलुपता का शिकार हो रहे हैं।
गौरतलब है कि आचार संहिता के जरिए न सिर्फ इसकी रोकथाम के प्रति जागरूकता लाई जाएगी बल्कि निगरानी करने वाली स्टीयरिंग कमेटी को रिपोर्ट भी देनी होगी। यानी पर्यटन स्थलों की छवि बिगड़ी तो उनकी छवि भी नहीं बचेगी जो या तो अपने फायदे के लिए इसे बढ़ावा दे रहे या नजरअंदाज कर रहे हैं।

06 अप्रैल 2010

हकदार नहीं इस सम्मान का

हकदार नहीं इस सम्मान का

दे दिया जितना तूने

पत्थर को जिंदा बतलाकर

बड़ा अहसान किया तूने

दोस्तों से सिर्फ पहचान मेरी

नहीं मुझे कोई आसमां छूने


---मलखान सिंह आमीन




(संजय जी द्वारा अपने ब्लॉग पर मेरा परिचय करवाने पर कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से)

05 अप्रैल 2010

मिलिए हमारे मित्र दफा -512 और दुनाली वाले मलखान सिंह ( आमीन )

आज मैं आप सभी को एक अपने साथी दोस्त से मिलवा रहा हूँ 
जिन्होंने मेरा काफी साथ दिया ये मेरा दोस्त मेरा हमसाया है
 मिलिए हमारे मित्र 
 दफा -512 और दुनाली वाले
मलखान सिंह  ( आमीन  )
Copy Editor 
HT Media Limited 
Mohali (Punjab)
मलखान सिंह मेरे सबसे करीबी मित्रो में से एक है 
बहुत  ही नेक दिल इंसान है मलखान सिंह 
वो मित्र कम भाई ज्यादा है
मुझे ब्लॉगिंग से जोडऩे का श्रेय मैं अपने मित्र मलखान सिंह  (आमीन) को देना चाहूंगा। 

......संजय भास्कर..... 




04 अप्रैल 2010

इस देश में अतंकवादियो क्या है तुम्हारा



इस देश में अतंकवादियो क्या है तुम्हारा ,
यहाँ  से चले जाओ अब ये देश हमारा है |
सुला देंगे हम तुम्हे नींद सुकून की ,
तुम्हे खत्म  करना ही हमारा नारा है |
हमारे दिल के भाई को तुम्हारे दिल में बसा देंगे ,
तुम्हे ही क्या हम तुम्हारी हस्ती को मिटा देंगे |
बहुत दिने से सह रहे है यातनाए तुम्हारी ,
इस देश की भूमि पर पाँव रखते ही मिटा देंगे |
तुम्हारे दिए हुए दुखो को हम खुशियो से भुला देंगे ,
अब हम अपने देश के  जख्मो पर मरहम लगा देंगे |
उन मासूमो का खून बहाने वालो को हम टोक देंगे ,
हमारे दुस्मानो को हम सरहद के पार ही रूक देंगे |

.......संजय भास्कर........


एक नयी शुरुआत ......


एक नई शुरुआत
मै संजय भास्कर  पुरानी यादें बीते हुए पल  नाम से नए ब्लॉग की शुरुआत की जा रहा हूँ  |
इस ब्लॉग पर हर दिन किसी न किसी ब्लॉग मित्रो की रचनाये प्रकशित  करूँगा
जिन्हें हमारी नज़रे नहीं देख पाई और इसी बहाने पुरानी यादें फिर से ताजा होगी   
इसके लिए कई ब्लॉग मित्रो से मैंने इजाज़त भी ले ली है | इसके लिए
..आप सभी  के आशीर्वाद की ज़ुरूरत है
.बहुत बहुत धन्यवाद

02 अप्रैल 2010

Fire is still alive.....महफूज़ भाई की शानदार उपलब्धि पर उनकी एक पुरानी रचना


कल आप सबने पढ़ा ही होगा  खुशदीप जी की पोस्ट थी, जिसमें महफूज़ अली जी की एक बड़ी उपलब्धि की बात कही गई थी,
अमेरिका में महफूज़ भाई  के नाम का डंका बजा हुआ है 
लखनऊ के स्टार ब्लोगेर ने  भारत का नाम दुनिया में रौशन कर दिया....
सबसे पहले महफूज भाई ...........को ढेरों बधाई ! 
खुशदीप सहगल जी के ब्लॉग से ये पता चला है
महफूज़ की एक अंग्रेजी कविता 'Fire is still alive' अमेरिका के मैडिसन स्टेट के Wisconsin University के Emeritus professor John L. Nancy Diekelmann ने T-Shirt पर प्रकाशित की है... यह टी-शर्ट पूरे अमेरिका व यूरोपियन, भारत समेत एशियन देशों में बेची जाएंगी... इस कविता को Wisconsin University के क्लिनिकल डिपार्टमेंट में सब्जेक्ट में जोड़ लिया गया है...यानि यह कविता अमेरिका के सिलेबस में पढाई जाएगी. 
 महफूज़ भाई की बुलंद कामयाबी के लिए .........ढेरो शुभ कामनाये... 
  


 दुनिया की इस भीड़ में,
खोजता फिरता हूँ अपना मुकाम
हर चीज़ वो मिलती नहीं
जिसकी होती चाहत यहाँ,
क्या खोने के डर से,
मैं भूलूँ,
कुछ पाने की चाह यहाँ?
जब चाहत हो तारों की,
तो क्यूँ ना माँगूं आसमाँ यहाँ??

 तो इसी बात पर हो जाये महफूज़ भाई  की कलम से निकली  एक पुरानी रचना.........

लेखक ............महफूज़ भाई 
 salaam mehfooz bhai.............



01 अप्रैल 2010

बंद खिड़की के उस पार




करने को कल जब कुछ न था
मन भी अपना खुश न था
जिस ओर कदम चले
उसी तरफ हम चले
रब जाने क्यों
जा खोली खिड़की
जो बरसों से बंद थी
खुलते खिड़की
इक हवा का झोंका आया
संग अपने
समेट वो सारी यादें लाया
दफन थी जो
बंद खिड़की के उस पार
देखते छत्त उसकी
भर आई आँखें
आहों में बदल गई
मेरी सब साँसें
आँखों में रखा था जो
अब तक बचाकर
नीर अपने
एक पल में बह गया
जैसे नींद के टूटते
सब सपने

कुलवंत हैप्पी जी की कलम से ये पंक्तिया आप तक 
पहुंचा रहे है 
 संजय भास्कर
http://yuvatimes.blogspot.com/2010_01_01_archive.html