07 अक्तूबर 2015

बेमिसाल नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी-- मांझी: द माउंटेन मैन

   चित्र सामग्री - गूगल से साभार
दशरथ मांझी (माउंटेन मैन)

दशरथ मांझी
जन्म1934
गहलौर, बिहार, भारत
मृत्यु17.08.2007
नई दिल्ली, भारत
मृत्यु का कारणपित्ताशय कैंसर
राष्ट्रीयताभारतीय
अन्य नाममाउंटेन मैन
जाने–जाते हैंअकेले ही पहाड़ को काटकर सड़क का निर्माण किया।
जीवनसाथीफाल्गुनी देवी
कई दिनों से मांझी: द माउंटेन मैन फिल्म देखने की सोच रहा था बहुत चर्चा जो सुनी थी आखिर कल समय मिल ही गया थियेटर तो नहीं जा सका पर मोबाइल पर डाउन लोड कर बड़े ध्यान से फिल्म देखी जो एक संघर्ष इंसान की कहानी बहुत पसंद आई

दशरथ मांझी एक बेहद पिछड़े इलाके से से सम्बन्ध रखते है जी की दलित जाति से है । शुरुआती जीवन में ही उन्हें अपना छोटे से छोटा हक मांगने के लिए संघर्ष करना पड़ा  वे जिस गांव में रहते थे वहां से पास के कस्बे जाने के लिए एक पूरा पहाड़ (गहलोर पर्वत) पार करना पड़ता था। उनके गांव में उन दिनों न बिजली थी, न पानी। ऐसे में छोटी से छोटी जरूरत के लिए उस पूरे पहाड़ को या तो पार करना पड़ता था  या उसका चक्कर लगाकर जाना पड़ता था। उन्होंने फाल्गुनी देवी से शादी की। दशरथ मांझी को गहलौर पहाड़ काटकर रास्ता बनाने का जूनून तब सवार हुया जब पहाड़ के दूसरे छोर पर लकड़ी काट रहे अपने पति के लिए खाना ले जाने के क्रम में उनकी पत्नी फगुनी पहाड़ के दर्रे में गिर गयी और उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी की मौत दवाइयों के अभाव में हो गई, क्योंकि बाजार दूर था। समय पर दवा नहीं मिल सकी। यह बात उनके मन में घर कर गई। इसके बाद दशरथ मांझी ने संकल्प लिया कि वह अकेले दम पर पहाड़ के बीचों बीच से रास्ता निकलेगा और अतरी व वजीरगंज की दूरी को कम करेगा।गया जिले के गहलौर गांव की जरूरत की हर छोटी बड़ी चीज, अस्पताल, स्कूल सब वजीरगंज के बाजार में मिला करते थे लेकिन इस पहाड़ ने वजीरगंज और गहलौर के बीच का रास्ता रोक रखा था। इस गाँव के लोगों को 80 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करके वजीरगंज तक पहुंचना पड़ता था। ना बड़ी बड़ी मशीनें थीं और ना ही लोगों का साथ – दशरथ मांझी अकेले थे और उनके साथ थे बस ये छेनी, ये हथौड़ा और 22 बरस तक सीने में पलता हुआ एक जुनून। उन्होंने छेनी व हथौड़े की मदद से दो दशक में गहलौर की पहाड़ियों को काटकर 20 फीट चौड़ा व 360 फीट लंबा रास्ता बना दिया। इस रास्ते के बन जाने से अतरी ब्लॉक से वजीरगंज की दूरी मात्र 15 किलोमीटर रह गई। जबकि वजीरपुर और गहलौर के बीच की दूरी मात्र 2 किलोमीटर रह गयी। 

अगर आप में से किसी ने अभी तक ये फिल्म नहीं देखी तो जरूर देखें और देखने के बाद ज़रूर बताईयेगा कि कैसी लगी .......!!!



--  संजय भास्कर