01 अप्रैल 2010

बंद खिड़की के उस पार




करने को कल जब कुछ न था
मन भी अपना खुश न था
जिस ओर कदम चले
उसी तरफ हम चले
रब जाने क्यों
जा खोली खिड़की
जो बरसों से बंद थी
खुलते खिड़की
इक हवा का झोंका आया
संग अपने
समेट वो सारी यादें लाया
दफन थी जो
बंद खिड़की के उस पार
देखते छत्त उसकी
भर आई आँखें
आहों में बदल गई
मेरी सब साँसें
आँखों में रखा था जो
अब तक बचाकर
नीर अपने
एक पल में बह गया
जैसे नींद के टूटते
सब सपने

कुलवंत हैप्पी जी की कलम से ये पंक्तिया आप तक 
पहुंचा रहे है 
 संजय भास्कर
http://yuvatimes.blogspot.com/2010_01_01_archive.html

24 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लाजवाब ... कुलवंत जी की बेहतरीन रचना ...

Jandunia ने कहा…

सुंदर रचना

M VERMA ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना
चित्र तो अत्यंत खूबसूरत

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सुन्दर रचना !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कुलवंत जी,

बहुत खूबसूरत रचना...बधाई

chetna ने कहा…

sunder kavita. per saath mein jo aapne photo lagayee hai, wah bhi bahoot khoobsoorat hai.

kunwarji's ने कहा…

bahut badhiya rachna...


kunwar ji,

मनोज कुमार ने कहा…

विषय को कलात्‍मक ढंग से प्रस्तुत करती है ।

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी रचना !!

Kulwant Happy ने कहा…

संजय भास्कर जी और सब टिप्पणीकर्ताओं का मैं तहेदिल से धन्यवाद अदा करता हूँ।

रविंद्र "रवी" ने कहा…

क्या बात है! बहुत ही सुंदर.

बेनामी ने कहा…

kya baat hai.. bahut sunadar..
meri nayi kavita jaroor dekhein, aapki tippani ka intzaar rahega...

Unknown ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना

Unknown ने कहा…

aap dono ka bahaut -2 dhanya waad

Unknown ने कहा…

..........बेहतरीन रचना ...

Akanksha Yadav ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना.कुलवंत जी को बधाई


_____________
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संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

chhoti par behtareen

dhanyvad

Shekhar Kumawat ने कहा…

good


http://kavyawani.blogspot.com/

shekhar kumawat

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वाह ....बहुत ही बढ़िया कुलवंत हैप्पी जी

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना.

रामराम.

pragya ने कहा…

बहुत खूबसूरत...

kshama ने कहा…

Aankhen nam karane wali rachana!

Unknown ने कहा…

क्या बात है! बहुत ही सुंदर.