16 अप्रैल 2018

माँ तुम्हारी बहुत याद आ रही है :)

माँ- श्रीमति प्रेम लता भास्कर  (९ अप्रैल २००८ )

१० बरस यूँ बीत गए  
पर लगता है कल की ही बात है  
ज़िन्दगी कि उलझनो से
मैं जब भी निराश हो जाता हूँ
टूटकर कहीं बैठ जाता हूँ
दिल यूँ भर आता है
पलकों से बहने लगे समंदर
जब सारी कोशिशे नाकाम हो
उम्मीद दम तोड़ देती है
तन्हाई के उस मंज़र में
माँ तेरी बहुत याद आती है !
आज माँ को गये पूरे १० बरस हो गये लगता है कल ही की बात है माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है इंसान को जीवन देने वाली माँ ही होती है। उसके जीवन को आधार  देने वाली भी माँ ही होती है। एक माँ का दर्जा किसी इन्सान के जीवन में भगवान् से कम नहीं होता...अक्सर जब भी कभी १० अप्रैल ( मेरी माता जी की पुण्य तिथि ) के नजदीक पहुँचता हूँ तो हर साल ऐसा महसूस होता है जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया हो अन्दर कुछ भी अच्छा नहीं लगता कोई रिश्ता कोई नाता लगता है जैसे कुछ भी नहीं बचा कहीं न कहीं कोई दबी सी बात तो है जिसकी खबर मुझे भी नहीं, कुछ ऐसा जो लगातार मुझे परेशान करता रहता है वो है मेरी जिंदगी से माँ का जाना मन समझ नहीं पा रहा क्यूँ आज आपकी बहुत याद आ रही है, माँ तुम्हे गए हुए आज 10 वर्ष हो गए तब से ऐसा लगता है जिंदगी में सब कुछ होने पर भी लगता है कुछ नहीं है जब तक आप थी कुछ भी गलती होने पर हमेशा यही सब ठीक हो जाएगा, मैं हूँ न इंसान को जीवन देने वाली माँ ही होती है। वही इन्सान की जननी और पहली गुरु होती है। वही एक बालक को जो संस्कार देती है इसके द्वारा वह एक सफल इन्सान बनता है। माँ का जीवन में वो स्थान होता है जो खाली होने पर कोई भी नहीं भर सकता। माँ के जाने के बाद ये जीवन बेकार सा लगने लगता है माँ एक ऐसा शब्द है जिसको परिभाषित करने का काम काफी लोगों किया लेकिन किसी ने माँ को परिभाषित नहीं कर पाया क्योंकि माँ के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है माँ हमेशा याद आती है माँ दूर होकर भी पास होती हैं. आप लोगों को शायद नहीं मालूम नहीं होगा माँ के बिना कैसे जी पाते हैं 'मां' अपनी ममता लुटाकर हमें प्रेम और स्नेह का एहसास कराती है. ऐसा माना जाता है कि ममता के निश्छल सागर में गोते लगाकर दुनिया की हर परेशानी और दुख से छुटकारा पाया जा सकता है !!

- संजय भास्कर

15 टिप्‍पणियां:

Deepak Saini ने कहा…

मा तो मा होती है

Meena Bhardwaj ने कहा…

"माँ कभी मरती है क्या...वो एक अहसास है, वो एक आशीष है इंसान को जीवन देने वाली माँ ही होती है।" माँ को खोने का दुख सदा हरा ही रहता है .माँ सदैव जीवित रहती हैं अपने बच्चों के लिए आशीष के रूप में .आपका माँ के प्रति असीम स्नेह आपके लेख और कविता में महसूस होता है . शब्दों का अभाव हो जाता है जब मन के खालीपन को भरने के लिए कुछ कहना चाहिए .ईश्वर आपको इतनी शक्ति‎ दे कि आप सदैव उनका नाम रोशन करें .

Asha Lata Saxena ने कहा…

माँ कभी नहीं मरती उसकी छाया सदा अपने बच्चे के साथ जुडी रहती है इस लिए सच्चे मन से उसकी सीख पर चलने से
जीवन सफल हो जाता है |

Sweta sinha ने कहा…

माँ शब्द अपने में पूर्ण है।
बेहद मार्मिक आपकी संवेदना और भावनाओं की विह्वलता महसूस की जा सकती है।
ज्यादा कुछ नहीं कह पायेंगे बस इतना ही कि माँ ईश्वर का वो रुप है जो पास रहे न रहे हमेशा साथ रहती है।

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

विश्वमोहन ने कहा…

नमन!!!

NITU THAKUR ने कहा…

बहुत खूबसूरत ....नमन आप की लेखनी को।

शुभा ने कहा…

वाह!!संजय जी ...बहुत खूब !माँ तो माँ होती है ,दूर होकर भी सदा पास होती है ।

अपर्णा वाजपेयी ने कहा…

दिल के गहरे भावों को बड़ी सिद्दत से लिखा है आपने कि अपनी माँ बार बार आँखों से सामने छा जाती है. नमन माँ को और आपकी लेखनी को .
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

माँ तेरी बहुत याद आती है....भाव संवेदना और जज्बातों की बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
वाह!!!

Hindikunj ने कहा…

माँ के लिए अच्छी रचना . साधुवाद .
हिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

"माँ सदैव हमारे पास ही होती है "
श्रद्धापूरित नमन !

पल्लवी गोयल ने कहा…

मन द्रवित हो उठा आपकी मार्मिक अभिव्यक्तियों से......

Anuradha chauhan ने कहा…

मार्मिक रचना सादर नमन🙏

Shakuntla ने कहा…

मां हरपल हमारे पास होती हैं सोती हूँ तो लगता ह बालों में हाथ फेर रही हैं खाती हूं तो लगता हैं अपने हाथों से निवाला डाल रही हैं मां तो घर के हर कोने हर तरफ रहती हैं वो कभी मर ही नही सकती....क्या कहूँ संजय जी मेरी माँ को गए 23बरस हो गए मैं कुल15बरस की थी