19 सितंबर 2011

आइये चले मेरे साथ छिंदवाड़ा स्थित श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय...... संजय भास्कर



इस बार मैंने अपने ननिहाल से जुडी कुछ यादों के बारे लिखा है !
छिंदवाड़ा जिले का सबसे पुराना जनजातीय संग्रहालय जब मैंने इसे पहली बार देखा तो देखता ही रह गया !
पहली बार मुझे 2006 में इसे देखने का मौका मिला .....उसके बाद से जब भी ननिहाल गया संग्रहालय देखने के कोई मौका नहीं मिला लेकिन आज भी संग्रहालय देखने का बहुत मन करता है पर अब समय ही नहीं निकाल पाते जल्दबाजी में गए जल्दबाजी में आ गये इतना समय ही नहीं मिलता की घूमने का मौका मिले हम यह सोच लेते है जितना समय है मामा मामी , भाई बहनों के साथ बिता ले क्योकि रोज रोज तो आया जाता नहीं है ! .... .......कई बार सोचा इन यादें के बारें में लिखू पर कभी लिखने का वक्त नहीं निकाल पाया पर अभी कुछ दिन पहले ही मैं अपने पर्स को चेक कर रहा था की अचानक पर्स की अन्दर की जेब से म्यूजियम प्रवेश का 2 रुपये का शुल्क वाला टिकेट मिला 2 सितम्बर 2006 जिसे मैंने पहली बार म्यूजियम देखने के लिए लिया था जिसे देख कर पुरानी याद तजा हो गई और मैंने उसी दिन उन यादों को लिख डाला !
जब मैं पहली बार संग्रहालय देखने गया था तो संग्रहालय के के कर्मचारी से संग्रहालय के बारे में काफी जानकारी मिली थी | उससे मुझे संग्रहालय के बारे में लिखने में बहुत मदद मिली ........!
छिंदवाड़ा स्थित जनजातीय संग्रहालय की शुरूआत 20 अप्रैल 1954 ई. में हुई थी। 1975 ई. में इस संग्रहालय को राज्य संग्रहालय का नाम दिया गया। लेकिन 8 सितम्बर 1997 ई. को इसका नाम बदल कर श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय रख दिया गया। श्री बादल भोई इस जिले के क्रांतिकारी जनजातीय नेता थे। उन्हीं के नाम पर इस संग्रहालय का नाम रखा गया। इस जनजातीय संग्रहालय को 15 अगस्त 2003 में सभी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। यह संग्रहालय पर्यटकों के लिए प्रतिदिन खुला रहता है। इस संग्रहालय में इस जिले में रहने वाले जनजातीय लोगों से जुड़े संरक्षित घरों के भण्डार और अनोखी वस्तुएं देखी जा सकती है। यहां आप घर, कपड़े ,आभूषण, शस्‍त्र, कृषि उपकरण, कला, संगीत, नृत्य, धार्मिक गतिविधियां आदि चीजें देख सकते हैं। इस संग्रहालय में जनजातीय समुदायों की परम्परा और पुरानी संस्कृति की झलकियां भी देखने को मिलती है। इस जिले में गोंड और बेगा प्रमुख जनजातियां है।




इस म्यूजियम में जिले की जनजातियों से सम्भंधित इक़ से इक़ अद्भुत चीजें हैं। इसमें घर, कपडे, जेवरात, हथियार, कृषि के साधन, कला, संगीत, नृत्य, त्यौहार, देवी-देवता, धार्मिक गतिविधियाँ, आयुर्वेदिक संग्रह जैसी वस्तुएं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है.
यह म्यूजियम जनजातीय संप्रदाय की उन्नत परम्पराओं और प्राचीन संस्कृति पर प्रकाश डालता है. जिले में गौंड और बैगदो प्रमुख जनजातियाँ थीं. इसमें उन लोगों के परिवार के रहने सहने के ढंग का भी वर्णन मिलता है. इसमें यह भी जानकारी मिलती है कि अगरियाजन्जाती के लोग किस तरह लोहे को मोदते थे. इन बातों को अगर इक़ लाइन में कहा जाए तो यह म्यूजियम जिले की जनजातीय के बारे में जानकारी जुटाने का सर्वथा उपयुक्त साधन है...........!
आप सभी भी जाकर देखें मुझे उम्मीद है आप सभी को संग्रहालय बहुत पसंद आएगा !
संग्रहालयके बारे में हमारे मित्र राम कृष्ण जी भी लिख चुके है जो छिंदवाड़ा के ही है!



-- संजय भास्कर

03 सितंबर 2011

जन्मदिन पर विशेष............संजय भास्कर



आदरणीय गुरुजनों और मित्रो 
  आज मेरा जन्मदिन है
मेरे जन्मदिन के मौके पर आप सभी अपना प्रेम और आशीर्वाद प्रदान करे
इस अवसर पर  एक छोटी सी कविता बहन पूजा
की ओर से ----


जन्मदिन की बधाईयाँ ढेर सारी हार्दिक बधाईयाँ
 देना चाहती हूँ 
 जो
जो कुछ अलग हो 
  कुछ खास हो
  कुछ जुदा हो
 और हमेशा आपके साथ हो
पर क्या ....!
 जो एक छोटी बहन 
अपने बड़े भाई को दे सके 
 कुछ मिलता ही नहीं 
 कोई नज्म नहीं
  कोई कविता नहीं
 कोई गिफ्ट नहीं
इसलिए
 सिर्फ और सिर्फ
बधाईयाँ
 ढेर सारी बधाईयाँ...........!

Happy Birthday 
********************

-- संजय  भास्कर 


23 अगस्त 2011

तेरी कमी का अहसास करके रोये..........संजय भास्कर


तेरी बातो को बार बार याद करके रोये 
तेरे लिए दर पे फरियाद करके रोये |
तेरी ख़ुशी के लिए तुझे छोड़ दिया 
फिर तेरी कमी का अहसास करके रोये......!


 आप सभी साथियों को मेरा नमस्कार कई दिनों के अवकाश के बाद आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ ।
इसीलिए आज कुछ चंद लाइन पेश है ......उम्मीद है आपको पसंद आएगी !



 -- संजय भास्कर

04 अगस्त 2011

बार बार ये दिन आये जन्मदिन की बधाई......संजय भास्कर

Er. Parveen Bhaskar
उतरी हैं आंगन में,
किरणें सुनहरी
लेकर बधाई
जन्‍मदिन की
समेट लो इनको
खुशियों के संग  ....

फूलों से तुम खुश्‍बू
लेना जीवन 
के हर लम्‍हें
सुवासित हो जायें
बड़ो का आशीष मिले
जब स्‍नेह से
हम परिभाषित हो जायें ...

हर शब्‍द मेरे दिल की दुआ,
तुम्‍हारे लिये
बन के आज सौगात में
आये हैं
तुम्‍हारा हर स्‍वप्‍न पूरा हो
जो अधूरा हो वो
साकार हो जाये........................!

आज मेरे छोटे भाई प्रवीण भास्कर का जन्मदिन है मेरी ओर से भाई को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं  वो जिंदगी में हर मुकाम को प्राप्त करे और हर ऊँचाई को पाये मेरी यही कामना है 
मेरी शुभकामनाएँ उसके साथ है !

****** HAPPY BIRTHDAY TO YOU ******
         
-- संजय भास्कर 

26 जुलाई 2011

300 फोलोवर .....सभी ब्लोगेर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया ......संजय भास्कर

मुझे  यह  बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में  मेरे समर्थको ( फोल्लोवेर्स ) की संख्या 300 हो गई है.....!
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ ,  स्पर्श  ब्लॉग वाली लेखिका दीप्ति शर्मा  जी का , जिन्होंने  आदत...... मुस्कुराने  की ब्लॉग का तीनसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।
इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी 
 
एक एक करके हुये आज 304
कैसे कैसे जुड गये मुझसे मेरे यार
कैसे करूँ शुक्रिया कैसे करूँ आभार
आपके साथ ने दिया है मुझे प्यार
 
अपार
स्नेह ये बनाये रखना चाहे कितनी करूँ ढिठाई
क्योंकि मै हूं तुम सबका छोटा प्यारा भाई
मै ना आ पाऊँ कभी तो मन मे भेद ना रखना
मेरे ब्लोग को फिर भी अपने स्नेह से सिंचित करना
मजबूरियों को मेरी नज़र अन्दाज़ करना
बस अपने प्रेम की धारा बहाये रखना.......!
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..........शुक्रिया.......बहुत ......शुक्रिया........
साथ ही आप सभी पेश है मेरी तीनसौंवी फ़ॉलोअर  दीप्ति शर्मा  जी की एक सुंदर कविता 
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*******     जख्मो पे मरहम लगाते रहे    *********
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अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे,
ढूंढ़ते रहे किसी को की कोई अपना हो,
और लोग हमें हर वक़्त आजमाते रहे,
अपनी खुशियों की परवाह नही की
लुटा दी हर ख़ुशी सब की ख़ुशी के लिए
हर रूठे को हम तो मनाते रहे ,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे|
कहा था सबने मुझे कुछ मिलेगा नही.
जानते थे फिर भी ना जाने क्यों?
हम किस्मत को खुद से छुपाते रहे ,
अपने अश्को को आँखों से बहाते रहे,
दिल मे किसी के सपने सजाते रहे,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे|
भटकते रहे जिन्दगी तलाशने को,
सोचा लम्हों का सहारा मिलेगा मुझे,
तमन्नाओ को अपना सहारा समझ ,
हम एहसासों से दामन छुडाते रहे ,
उलझी जिन्दगी को सुलझाते रहे,
अपने जख्मो पे मरहम लगाते रहे....!
 
....एक बार फिर से सभी ब्लोगेर साथियों  का तहे दिल से शुक्रिया........
--  संजय भास्कर --