23 जून 2022

कुछ मेरी कलम से संध्या शर्मा :)

एक साहित्यकार होने के साथ ग्राफ़िक्स डिजायनर एवं पुरानी ब्लॉगर दीदी संध्या के बारे मे जो कहती है मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुश्बू और ठंडी हवा के झोंके पेड़ों के साथ - साथ मन भी झूम उठता है ज़िंदगी के सफर में कोई तनहा नहीं होता कुछ चेहरे, कुछ बातें, कुछ लम्हे, कुछ यादें,कुछ सपने, कुछ अपने, कुछ मुश्किलें, तमाम उम्र साथ रहते हैं वक़्त की इस तेज़ ऱफ्तारी में पलों को बरसों में बदलते देखना भी ज़िंदगी ही तो है......मुझे आज भी याद है जब ब्लॉगपरिवार में मेरे समर्थको (Followers) की संख्या 200 हुई थी और मेरी 200 वी फॉलोवर्स थी "मैं और मेरी कवितायें" ब्लॉग लेखिका संध्या शर्मा जी थी मुझे बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हुई थी आज एक बार फिर संध्या शर्मा जी के लिए जिनको करीब ११ वर्ष उनका लेखन पढ़ रहा हूँ उनकी लिखी ढेरों कविताएँ और आलेखों पढ़ने को मिले उनकी कविता अपने अनुभवों से निकलती हुईं......नागपुर निवासी संध्या दीदी एक गृहणी होने के साथ हिन्दी की साहित्यकार एवं पुरानी ब्लॉगर अच्छी ग्राफ़िक्स डिजायनर भी है साथ ही पुस्तकों की बड़ी शौकीन है इसी के साथ जब अपने कार्यों से अवकाश मिलने पर घुमक्कड़ी की शौकीन भी है सरल हृदय एवं मृदूभाषी होने के साथ भाषा एवं साहित्य में अच्छी पकड़ है। इनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं वो अक्सर कहती है प्रकृति को जितना देख सको देख लो उन्हे जब भी अवसर मिलता वो पहाड़ों पेड़, लताएं, फूल-पत्तियाँ, लहराती बलखाती नदियाँ, ऊँचे – ऊँचे पहाड़, घने जंगल, जलप्रपात और तालाब,पुरातात्विक महत्व की गुफाएं शैलचित्र देखने परिवार के साथ घूमने निकल पड़ते हैं संध्या दी की कविताओं में उनकी सक्रियता सामाजिक कार्यों तथा प्रकृति संरक्षण में भी है.......मैं एक लम्बे समय से मैं संध्या दी का लेखन पढ़ रहा हूँ उनकी कविताएँ हमारे जीवन की वह जीवन्त कविताएँ हैं जिसे हम सचमुच जीते हैं उन्होंने प्यार भरे रिश्तों को पूरी तरह जीकर अपनी कविताओं मे रचती है .....संध्या दी से मिलने का सौभाग्य अभी तक नही प्राप्त हुआ पर कोशिशे लगातार जारी है पर जब भी कभी नागपुर जाना हुआ मिलूँगा जरूर संध्या दी का मेरे प्रति अपार स्नेह होने के कारण ही उनके लिए लिख रहा हूँ संध्या जी की रचना प्रकृति है तो इंसान है, प्रकृति को बचाना होगा तभी फुदकेगी आंगन में गौरैया....साँझा का रहा हूँ.....!!

शीर्षक है.............ओ गौरैया !
ओ गौरैया
अब लौट आओ
बदल गया है इंसान
प्रकृति प्रेमी हो गया है
आकर देखो तो ज़रा
इसके कमरे की दीवारें
भरी पड़ी है तुम्हारे चित्र से
ऐसे चित्र
जिनमें तुम हो,
तुम्हारा नीड़ है,तुम्हारे बच्चे है
सीख ली है इसने
तुम्हारी नाराज़गी से
सर आँखों पर बिठाएगा
तिनका- तिनका संभालेगा
ओ गौरैया !
आ भी जाओ तुम्हे मिलेगा
तुम्हारे सपनों का संसार !
और तुम
यह सब देखकर
पहले की तरह खुश हो पाओगी
आँगन - आँगन चहकोगी
बाहर-भीतर भागोगी
तो फुदको आकर
मुँडेर - मुँडेर
बना लो न!
हमारे घर को तुम्हारा भी घर....

- संजय भास्कर

16 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

संध्या शर्मा जी को उनके ब्‍लॉग पर पढ्ते रहते हैं लेकिन आपके ब्‍लॉग पर उनके बारे में फिर से जानकर बहुत अच्‍छा लिखा। आपने बहुत ही अच्‍छे ढंग से उनके बारे में अपने मन की बात उनके माध्‍यम से की है, यह देखकर अच्‍छा लगा।

Kamini Sinha ने कहा…

आदरणीया संध्या जी के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद संजय जी, अच्छा लगता है पुराने ब्लोगरो के बारे में जानना, और इस श्रमसाध्य कार्य के लिए आपको बहुत बहुत बधाई

Seema Sharma ने कहा…

बहुत बहुत अभिनंदन दी

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 24 जून 2022 को 'ओ गौरैया अब लौट आओ बदल गया है इंसान' (चर्चा अंक 4470) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

अनीता सैनी ने कहा…

आदरणीया संध्या जी के बारे में बहुत सुंदर जानकारी। सराहनीय सृजन है उनका।
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

आ.संध्या जी के बारे में जानकारी देने एवं उनकी रचना शेयर कर पढवाने हेतु आभार संजय जी !

Marmagya - know the inner self ने कहा…

आ संध्या जी की बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए हार्दिक साधुवाद. प्रकृति को बचाने की लिए कविता की माध्यम से अच्छा सन्देश..
कृपया दृश्यों के संमिश्रण और पृष्ठभूमि में मेरी आवाज में कविता पाठ के साथ निर्मित इस वीडियो को यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर देखें और कमेँट बॉक्स में अपने विचारों को देकर मेरा मार्गदर्शन करें. हार्दिक आभार! ब्रजेन्द्र नाथ
यू ट्यूब लिंक :
https://youtu.be/RZxr7IbHOIU

Vocal Baba ने कहा…

संध्या जी के विषय में विस्तृत जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार!

Jyoti khare ने कहा…

आ संध्या जी को प्रणाम

सुंदर प्रस्तुति

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

संध्या जी के विषय में जानकारी देना, उनकी रचना साझा करना । बहुत ही सुंदर सराहनीय कार्य किया है संजय जी आपने । बहुत आभार आपका।

रचना दीक्षित ने कहा…

संध्या जी का परिचय और उनकी कविता बहुत ही सुंदर हैं | हम सब से शेयर करने के लिए दिल से धन्यवाद |

संध्या शर्मा ने कहा…

बहुत शुक्रिया संजय जी। बस यही कहूंगी- हम सभी का साथ और स्नेह यूं ही बना रहे। ब्लॉगिंग का ज़माना फिर लौटे... ढ़ेर सारी शुभकामनाएं आपको ... आपके शब्दों को मुस्कुराहट यूं ही बनी रहे...

संध्या शर्मा ने कहा…

आप सभी का इस मूल्यवान प्रतिक्रिया के लिए आत्मिक आभार एवं यथोचित अभिवादन 🙏

Anita ने कहा…

संध्या जी के बारे में जानकर बहुत आनंद हुआ, उनकी रचनाएँ वर्षों से पढ़ती आ रही हूँ, सदा एक ताज़गी और आशा से भरी होती हैं। आज की कविता भी सराहनीय है। बधाई इस सुंदर पोस्ट के लिए।

Meena Bhardwaj ने कहा…

संध्या जी के के बारे मे पढ़ कर बेहद अच्छा लगा । उनकी कविता बहुत सुन्दर है । संध्या जी के परिचय की इस पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार।

डॉ 0 विभा नायक ने कहा…

संध्या जी के विषय में जानकर अच्छा लगा। उनका व्यक्तित्व वास्तव में प्रेरक है। बधाई आपको🌷🌷