स्मिता पाटिल एक ऐसा चेहरा जिसके सामने आते ही कई किस्से बयां हो जायें......उनका लफ्जों से बयां न कर आंखों से अपनी बात कह जाना वाकई काबिलेतारीफ था. ऐसी दमदार अदाकारी कि लोग देखे तो देखते ही रह जाये. स्मिता पाटिल अपने संवेदनशील किरदारों के लिए खूब चर्चित हुईं. हालांकि मात्र 31 साल की उम्र में वे इस दुनियां को अलविदा कह गईं. स्मिता पाटिल का फिल्मी करियर भले ही 10 साल का रहा हो लेकिन उनकी दमदार अदाकारी आज भी लोगों के जेहन में हैं स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हुआ था. उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद उनकी 14 फिल्में रिलीज हुई थी ...
पर्दे पर गंभीर नजर आने वाली एक्ट्रेस स्मिता पाटिल की अदाकारी से सभी वाकिफ हैं, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वो असल जिंदगी में पर्दे से बिल्कुल अलग थीं हमारा ये दुर्भाग्य रहा कि हमने महज 31 वर्ष की छोटी सी उम्र में हिंदी सिनेमा की सबसे संवेदनशील और प्रतिभाशाली अभिनेत्री को खो दिया। महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाली इस एक्ट्रेस की जिंदगी में हर रंग शामिल थे.......अपने सांवले रंग के बावजूद उसका चेहरा यूं दमकता था जैसे बादलों के बीच चांद, लेकिन वो सांवली लड़की जीवन की सांझ आने से पहले ही सो गई। अपनी बड़ी-बड़ी खूबसूरत आंखों और सांवली-सलोनी सूरत से सभी को आकर्षित करने वाली अभिनेत्री स्मिता पाटिल ने महज 10 साल के करियर में दर्शकों के बीच खास पहचान बना ली। उनका नाम हिंदी सिनेमा की बेहतरीन अदाकाराओं में शुमार है। स्मिता को आज भी कोई कहां भूल पाया है।
स्मिता पाटिल ने अपने छोटे से फिल्मी सफर में ऐसी फिल्में कीं, जो भारतीय फिल्मों के इतिहास में मील का पत्थर बन गईं।...उन्हें हिंदी सिनेमा में बेहतरीन अदाकारी के लिए 2 नेशनल अवॉर्ड, 1982 में फिल्मफेयर और साल 1985 में पद्मश्री से नवाजा गया था. ..उनकी कुछ चर्चित फिल्मों में 'निशान्त', 'आक्रोश', 'चक्र', 'अर्धसत्य', 'मंथन', 'अर्थ', 'मिर्च मसाला', 'शक्ति', 'नमक हलाल' और 'अनोखा रिश्ता' फ़िल्म 'भूमिका' और 'चक्र' में दमदार अभिनय के लिए उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा चार फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले.....!!
-- संजय भास्कर
पर्दे पर गंभीर नजर आने वाली एक्ट्रेस स्मिता पाटिल की अदाकारी से सभी वाकिफ हैं, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वो असल जिंदगी में पर्दे से बिल्कुल अलग थीं हमारा ये दुर्भाग्य रहा कि हमने महज 31 वर्ष की छोटी सी उम्र में हिंदी सिनेमा की सबसे संवेदनशील और प्रतिभाशाली अभिनेत्री को खो दिया। महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाली इस एक्ट्रेस की जिंदगी में हर रंग शामिल थे.......अपने सांवले रंग के बावजूद उसका चेहरा यूं दमकता था जैसे बादलों के बीच चांद, लेकिन वो सांवली लड़की जीवन की सांझ आने से पहले ही सो गई। अपनी बड़ी-बड़ी खूबसूरत आंखों और सांवली-सलोनी सूरत से सभी को आकर्षित करने वाली अभिनेत्री स्मिता पाटिल ने महज 10 साल के करियर में दर्शकों के बीच खास पहचान बना ली। उनका नाम हिंदी सिनेमा की बेहतरीन अदाकाराओं में शुमार है। स्मिता को आज भी कोई कहां भूल पाया है।
स्मिता पाटिल ने अपने छोटे से फिल्मी सफर में ऐसी फिल्में कीं, जो भारतीय फिल्मों के इतिहास में मील का पत्थर बन गईं।...उन्हें हिंदी सिनेमा में बेहतरीन अदाकारी के लिए 2 नेशनल अवॉर्ड, 1982 में फिल्मफेयर और साल 1985 में पद्मश्री से नवाजा गया था. ..उनकी कुछ चर्चित फिल्मों में 'निशान्त', 'आक्रोश', 'चक्र', 'अर्धसत्य', 'मंथन', 'अर्थ', 'मिर्च मसाला', 'शक्ति', 'नमक हलाल' और 'अनोखा रिश्ता' फ़िल्म 'भूमिका' और 'चक्र' में दमदार अभिनय के लिए उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा चार फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले.....!!
-- संजय भास्कर
20 टिप्पणियां:
अपने समय की मशहूर अदाकारा जिनकी लगभग हर फिल्म चली है और अपने अभिनय से सबको इम्प्रेस किया है स्मिता पाटिल ने ... असमय मृत्यु ने उनको छीन लिया पर वो हमेशा यादों में हैं ... नमन है उनको ...
स्मिता पाटिल एक बेमिसाल अदाकारा...असामयिक मृत्यु के इतने वर्षों बाद आज भी अपने अभिनय के बल पर वे फिल्म जगत का अविस्मरणीय हिस्सा हैं । उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर बेहतरीन प्रस्तुति ।
एक अनोखी कलाकार
और भी बेहतरीन अदाकारी देखने को मिलती
हमारे जन्म से पहले की हिरोइन..
सादर
एक लाज़वाब अदाकारा। उनकी फिल्में आज भी अविस्मरणीय हैं। नमन
अति सुंदर लेख
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15 -06-2019) को "पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक- 3367) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
स्मिता पाटिल अदाकारी की बेमिशाल स्तंभ हैं। उनकी असामयिक मृत्यु ने एक बेहतरीन अदाकार सदा के लिए छीन लिया।
बहुत लाजवाब प्रस्तुति। स्मिताजी मेरी पसंदीदा कलाकार रही हैं उनकी अदाकारी बेजोड़ रही हर फिल्म में।
एक असाधारण अदाकारा को भाव भीनी श्रद्धांजलि।
बिल्कुल सही कहा आपने ... इनकी हर भूमिका अविस्मरणीय रही है ....बहुत ही अच्छा लिखा भाई 👍👌
बेहतरीन पोस्ट
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति संजय जी बेहतरीन अदाकारा स्मिता जी को नमन
बहुत सुंदर प्रस्तूति।
जब भी स्मिता जी चर्चा हो तो राजबब्बर जी के जिक्र के बिना अधूरी है।
किसी भी इंसान के त्वचा के रंग और चेहरे के नक़्शे से परे उसकी सोचों के आभामंडल का चमक उसकी शख़्सियत पर परिलक्षित होता है।
कलाकारा स्मिता जी, घुमंतू दीप्ती नवल जी हों या फिर आज की समाज सेविका नंदिता दास (मशहूर चित्रकार जतिन दास जी की बेटी ) हो ।
प्रिय संजय , आपके इस भाव्प्र्ण लेख पर विलम्बित प्रतिक्रिया के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | बहुत सुंदर लेख है अबिनेत्री स्मिता पाटिल के लिए | उसका असीम आभा से भरा सांवला चेहरा और दमदार अभिनय कभी बुलाया नहीं गया ना कभी भुलाया जा सकता है | इस प्यारी सी कलाकारा का असमी दुनिया से जाना बहुत दुखद रहा |
हमारी सबसे प्रिय अदाकारा। नमन।
सचमुच ,एक बेहतरीन अदाकारा रही ,नमन उन्हें
Columbus Day 2019
life of christopher columbus
Very nice post.
Shayad ye bhi aapko pasand aayen- Siberian crane migration, Golden langoor
Bulleya Lyrics in English
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