02 अप्रैल 2010

Fire is still alive.....महफूज़ भाई की शानदार उपलब्धि पर उनकी एक पुरानी रचना


कल आप सबने पढ़ा ही होगा  खुशदीप जी की पोस्ट थी, जिसमें महफूज़ अली जी की एक बड़ी उपलब्धि की बात कही गई थी,
अमेरिका में महफूज़ भाई  के नाम का डंका बजा हुआ है 
लखनऊ के स्टार ब्लोगेर ने  भारत का नाम दुनिया में रौशन कर दिया....
सबसे पहले महफूज भाई ...........को ढेरों बधाई ! 
खुशदीप सहगल जी के ब्लॉग से ये पता चला है
महफूज़ की एक अंग्रेजी कविता 'Fire is still alive' अमेरिका के मैडिसन स्टेट के Wisconsin University के Emeritus professor John L. Nancy Diekelmann ने T-Shirt पर प्रकाशित की है... यह टी-शर्ट पूरे अमेरिका व यूरोपियन, भारत समेत एशियन देशों में बेची जाएंगी... इस कविता को Wisconsin University के क्लिनिकल डिपार्टमेंट में सब्जेक्ट में जोड़ लिया गया है...यानि यह कविता अमेरिका के सिलेबस में पढाई जाएगी. 
 महफूज़ भाई की बुलंद कामयाबी के लिए .........ढेरो शुभ कामनाये... 
  


 दुनिया की इस भीड़ में,
खोजता फिरता हूँ अपना मुकाम
हर चीज़ वो मिलती नहीं
जिसकी होती चाहत यहाँ,
क्या खोने के डर से,
मैं भूलूँ,
कुछ पाने की चाह यहाँ?
जब चाहत हो तारों की,
तो क्यूँ ना माँगूं आसमाँ यहाँ??

 तो इसी बात पर हो जाये महफूज़ भाई  की कलम से निकली  एक पुरानी रचना.........

लेखक ............महफूज़ भाई 
 salaam mehfooz bhai.............