बरसों बीत गए
तुम्हारे इंतज़ार में
आँखें तरस गए
तुम्हारी राह देखते हुएं
यादें ताज़ा होती रही
हरपल आपकी याद में
वादें सताने लगे
आपकी गैर मौजूदगी में
साँसे थमसी गयी
खबर आपकी ना आने में ...
तुम्हारे इंतज़ार में
आँखें तरस गए
तुम्हारी राह देखते हुएं
यादें ताज़ा होती रही
हरपल आपकी याद में
वादें सताने लगे
आपकी गैर मौजूदगी में
साँसे थमसी गयी
खबर आपकी ना आने में ...
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Pravallika जी जी की कलम से ये पंक्तिया आप तक | |||
पहुंचा रहे है प्रवाल्लिका जी को मेरी १०० वी समर्थक है जिन्होंने मुझे सैकड़े तक पहुचाया है बहुत बहुत आभार प्रवाल्लिका जी इसी पर आप सभी आदरणीय सुधिपाठक महानुभावों तक पेश है प्रवाल्लिका जी की एक सुंदर कविता............... आप अपनी अनमोल प्रतिक्रियाओं से प्रोत्साहित कर हौसला बढाईयेगा |