कपडे हो गए छोटे
शर्म कहाँ रह गई आज !
गर्भ में कर देते है भ्रूण हत्या
ममता कहाँ रह गई आज !
अनाज हो गया मिलावटी
तो स्वाद कहा रह गया आज !
फूल हो गए प्लास्टिक के
खुशबू कहाँ रह गई आज !
छात्रों के हाथ में हो गए मोबाइल
शिक्षा कहाँ रह गई आज !
इंसान हो गया लालची धन का
दया भावना कहाँ रह गई आज !
युवा वर्ग हो रहा है अशलीलता का शिकार
देश भक्ति भक्ति कहाँ गई आज !
-- संजय भास्कर