चित्र-- गूगल से साभार
तुम्हारे बारे में क्या लिखू
तुम मेरा सर्वत्र हो
मेरी दुनिया हो
तुम्हारे लिए हर पंक्ति छोटी है !
हर स्पर्श बहुत छोटा है
सारी दुनिया न्योछावर कर दू
तुम्हारे चरणों में
लेकिन वह भी जैसे काफी
नहीं है !
मैं तुम्हारे खून का वह कतरा हूँ !
जिसे तुम इस दुनिया में
लेकर आई
और बहुत प्यार से पालकर
बड़ा किया तुम्हारी गोद में
आकर मैंने आँखें खोली
तुम्हारे सहारे ही मैंने दुनिया दारी देखी माँ
आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी एक छोटी कविता के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!
@ संजय भास्कर