प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम ! कैसे है आप सब ? लीजिये मैं फिर हाज़िर हूँ एक लम्बे इंतज़ार के बाद आप सब के लिए एक शेर आशा है आप सब को यह पसंद आयेगा !
जो कोई समझ न पाए वो बात हूँ मैं
जो ढल के नई सुबह लाये वो रात हूँ मैं
चले जाते है लोग दुनिया से रिश्ता बना के
जो न कभी छूट पाए वो साथ हूँ मैं
आपका संजय भास्कर