13 जुलाई 2010

प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम लीजिये मैं फिर हाज़िर हूँ ....!


प्रिय ब्लॉगर मित्रो प्रणाम ! कैसे है आप सब ? लीजिये मैं फिर हाज़िर हूँ एक लम्बे इंतज़ार के बाद आप सब के लिए एक  शेर आशा है आप सब को यह  पसंद आयेगा !

जो कोई समझ न पाए वो बात हूँ मैं 

जो ढल के नई सुबह लाये वो रात हूँ मैं 

चले जाते है लोग दुनिया से रिश्ता बना के 

जो न कभी छूट पाए वो साथ हूँ मैं
                       आपका संजय भास्कर