अक्सर आ जाती है याद
मुझे बचपन की बातें |
कितने सुहाने दिन थे वो कितनी मीठी बातें |
ना घर की चिंता थी
न खाने पिने की फिकर ,
कूदते थे दिन भर कभी इधर कभी उधर |
ना खवाबो मै हकीकत थी न दिल मै मलाल ,
वो नंगे पाँव दौड़ना याद है मुझे
वो चोरी से फल तोड़ना याद है मुझे
शाम को देर से आना याद है मुझे
वो गाँव की गलियां और चोराहे याद है मुझे
माँ की डाट से बचने का बहाना याद है
मुझे छुट्टी होते ही शोर मचाना याद मुझे भूल नही सकता
उन यादो को जो दिल मै बसी है
मेरे उन यादो को याद करना याद है मुझे ....|