30 नवंबर 2010

मेरी जिंदगी की झील में ..........संजय भास्कर


 उन्होंने कहा सबसे प्यार करो 
जिन्दगी खुद ही प्यारी हो जाएगी
मैंने कोशिश की पर कर नहीं पाया

हर किसी को प्यार दे नहीं पाया
उसने भी मेरा साथ न दिया 
चाहा न उसने मुझे बस देखती रही 
मेरी जिंदगी से 
वो इस तरह खेलती रही ,
न उतरी वो कभी 
मेरी जिंदगी की झील में ,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर 
फेकती रही  ............

......................संजय भास्कर

26 नवंबर 2010

मेरी मंजिल.................संजय भास्कर


यहाँ हर किसी कि अपनी मंजिल अपने रस्ते 
कोई कुछ नहीं करता किसी के वास्ते ,
हर कोई रहता अपने ऐशो आराम में ,
उन्हें कुछ नहीं दिखता फायदा दया के काम में ,
मैं दुसरो का भला करे कि सोचता रहूँ ,
पर मेरे पास दान के लिए कुछ भी नहीं 
मैं किसी को क्या कहूं ,
मानव के दुखों को देखकर रोता हूँ ,
अकेले बैठ उन्हें , उनके दुखों से छुटकारा दिलाने कि सोचता हूँ ,
पर यु खाली सोचने से कुछ बनता नहीं ,
गरीबो के दुखों को दूर करने के लिए धन चाहिए ,
पढता हूँ इसी मकसद से कि कुछ बन सकूं ,
ताकि दीन दुखियो के लिए कुछ कर सकूं ,
मुझे दुःख कि बीमारी लगती है निकम्मी ,
इसीलिए बनना चाहता हूँ स्वावलंबी || 
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार  )
 

..............संजय कुमार भास्कर

22 नवंबर 2010

तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू .............संजय भास्कर

तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू 




कुछ तस्वीरें जो हमारे ब्लागर  महानुभावो  द्वारा ली गई है जो ये बताती है क्या माहौल था कल का 

ये  उन ब्लॉगरों के नाम है जो वह पर उपस्थित  थे.......

राज भाटिया जी ,योगेंद्र मौदगिल जी,निर्मला कपिला जी,संगीता पुरी जी ,सतीश सक्सेना जी, ललित शर्मा  जी,नरेश सिंह राठौड़ जी,अजय कुमार झा जी ,राजीव कुमार तनेजा जी ,संजू तनेजा जी ,संजय भास्कर(यानि मैं ), अंतर सोहिल जी,नीरज जाट जी,केवल राम जी,शाहनवाज़ सिद्दीकीजी,डॉ अनिल सवेरा जी ,डॉ प्रवीण चोपड़ा जी, डॉ अरुणा कपूर जी,हरदीप राणा जी

इस अवसर पर अंतर सोहेल जी की पत्नीश्री अंजू और दो प्यारे बच्चों लक्शय और उर्वशी, अंतर सोहेल जी के पारिवारिक मित्र रमेश सिंगला ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.. 


.......................संजय कुमार भास्कर 

 

16 नवंबर 2010

.......ट्रेफिक जाम के लिए........ ज़िम्मेदार कौन ?

अगर हम किसी महानगर या शहर की बात करे तो एक ही तस्वीर दिमाग में उतरती है कि चारो तरफ होर्न की  ची ची पो पो  और ज्यादातर हिस्सों में ट्रेफिक जाम का होना |
हर साल न जाने कितने ही वाहन  सड़क पर उतरते है  परन्तु ज्यादा तर सड़को व बाजारों के हालात तो बहुत ही पुराने है ऐसे में ट्रेफिक जाम का होना आम बात है जहा पर इन सड़को के हालत  न बदलने के लिए सरकार जिम्मेदार है , वहीँ पर कुछ बातों के लिए हम स्वयं भी जिम्मेदार है |
शहरो  में दुकानदार भाइयों का तालुक है उनमे से ज्यादा तर दुकानदार तो ज्यादा से ज्यादा सामान अपनी दूकान के बाहर लगाया होता है ,और राही सही कसर रेहड़ी वाले पूरा कर देते है ,जिससे बाजारों में वाहन सुचारू  रूप से कैसे चल सकते है |
बाजारों में अक्सर देखा जाता है कि लोग आज एक दुसरे  से आगे निकलने कि होड़ में ट्रेफिक नियमो कि धज्जियाँ उड़ा देते है |
अपनी साइड के बजाय आने वाले कि साइड में ही वाहन भिड़ा देते है ,जिसकी वजह से यातायात में बाधा आती है जो कि ट्राफिक जाम में सहायक सिद्ध होता है दूसरे वो लोग है जो अपने वाहन को पार्किंग करने में लग जाते है | ऐसे में अगर सड़क खाली नहीं होगी तो ट्रेफिक जाम होना स्वाभाविक है एक वो ट्रेफिक कर्मचारी है जो अपना काम इमानदारी से नहीं करते 
और तो और ड्यूटी के टाइम पर पान कि दुकम में पान खाने  में मस्त रहते है | कहने को तो हम सभी ट्रेफिक जाम से दुखी है 
लेकिन हम सभी किसी न किसी रूप में ट्रेफिक जाम को बढ़ावा देने में मदद भी करते है |
आखिर  इसका हल क्या है | अगर हम सभी मन में ठान ले कि ट्रेफिक नियमो का कड़ाई से पालन करना है ,तो इस बात में कोई शक नहीं  कि ट्रेफिक जाम कि समस्या कैसे गायब हो जाती है  पता भी नहीं चलेगा |

........................संजय कुमार भास्कर 

12 नवंबर 2010

.............अपनी तो आदत है मुस्कुराने की !



आदत मुस्कुराने की 
कहाँ थे कहाँ पहुँच गए हम 
ये जिंदगी की दास्तान बड़ी अजीब है ,
इस प्यार भरी जिंदगी में हंस कर जियेंगे ,
कभी किसी से कोई शिकायत नहीं करेंगे ,
सभी को प्यार मिले यही दुआ करेंगे |
जियेंगे हंस कर मरेंगे  हंस कर ,
गम में भी मुस्कुराने  की आदत है अपनी ,
सभी को खुशिया दे रब से दुआ यही करेंगे |
क्योकि हमे आदत है गम छुपाने की 
गम में भी है आदत है मुस्कुराने की !
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार )

................संजय कुमार भास्कर 

08 नवंबर 2010

.........परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग



खुल के दिल से मिलो तो सजा देते हैं लोग
सच्चे जज़्बात भी ठुकरा देते हैं लोग
क्या देखेंगे दो लोगों का मिलना
बैठे हुए दो परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग !

...ये पंक्तियाँ मझे SMS में मिली, अच्छी लगी तो ब्लॉग पर आपसे साझा कर लीं !

05 नवंबर 2010

................. दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं !



आदत......मुस्कुराने की
की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को दीपोत्सव की की बहुत बहुत शुभकामनाये !

.............संजय कुमार भास्कर 

02 नवंबर 2010

................सिन्दूर बनके सजता हूँ |



खुशी या गम हो तेरे आंसुओं में ढलता हूँ
तुझे ख़बर है तेरी चश्मे-नम में रहता हूँ
=========================
क्या हुवा जो तेरा हाथ भी न छू सका
तेरे माथे की सुर्ख चांदनी में जलता हूँ
=========================
है और बात तेरे दिल से हूँ मैं दूर बहुत
तुम्हारी मांग में सिन्दूर बनके सजता हूँ
===========================
मैंने माना तेरी खुशियों पर इख्तियार नही
तेरे हिस्से का गम खुशी खुशी सहता हूँ
===========================
तेरा ख्याल मेरे दिल से क्यों नही जाता
जब कभी सामने आती हो कह नही पाता
===========================
तमाम बातें यूँ तो दिल में मेरे रहती हैं
तुम्हारे सामने कुछ याद ही नही आता |
=========================== 
चित्र :- ( गूगल से साभार  )

नासवा जी ने इतनी सुन्दरता से लिखा कि मैं अपने ब्लॉग पर ही ले आया 

नासवा जी कि कलम से निकली एक बेहतरीन रचना 
दिगम्बर नासवा जी के ब्लॉग से ये कविता आप तक  पहुंचा रहे है संजय भास्कर