( चित्र गूगल से साभार )
वर्षो से जलती रही हथेलियाँ
माँ की
सेंकते- सेंकते रोटियां
मेरे पहले स्कूल से लेकर आखरी कॉलेज तक
सब याद है मुझे आज तक
बड़ी सी नौकरी और मिल गया
बड़ा सा घर
जिसे पाने के लिए सारी -२ रात लिखे पन्ने
अनजानी काली स्याही से
पर सब कुछ होने पर
नहीं भूलती
माँ की जलती हथेलियाँ....!!
- संजय भास्कर