आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई कविता के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!
आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा , उदासी का गम ढ़ोते देखा देखा सब को तड़पते हुए, सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा, रात की रौशनी को देखा , तारो की चमक को देखा सुबह होते ही इनकी रौशनी को खोते देखा | अन्दर से चमक दमक खोते देखा कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा.......!! |