आज की ताजा खबर
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टीवी का शोर
दिमाग है गोल
लिखने का है मन
पर सूझता नहीं कुछ
कैसे कुछ सोचू
कैसे कुछ नया लिखू
यह तो बस नई पुरानी फिल्मो का संग
अमिताभ के गाने
संजय दत की ढिशुम- ढिशुम
गोविंदा के झटके
अब क्या करूं
न्यूज़ चैनल पर रुकता रिमोट
फिर धमाको से गूंजा मुंबई
फिर हुए ब्लास्ट
देखा लाशो के ढेर
दहकी मुंबई सारी
गूंजी सब तरफ घायलों की चीखें
फिर शुरू हुई पुलिस की भाग दौड़
लग गई फिर से नाकाबंदी
शुरू हो गई नेताओ की बयान बाज़ी
राजनीति के गलियारों में
शुरू हो गया आरोपों का दौर
ये है आज की ताजा खबर........................ !!!!
आदरणीय अंजु अनु चौधरी ब्लॉगजगत की जानी मानी शक्सियत है
जिन्हें ब्लॉगजगत में ( अपनों का साथ ) ब्लॉग के माध्यम से जाना जाता है !
ख्याबो को बना कर मंजिल ...बातो से सफर तय करती हूँ ..अपनों में खुद को ढूंढती हूँ ....खुद की तलाश करती हूँ ... .. बहुत सफर तय किया ...अभी मंजिल तक जाना हैं बाकि...जब वो मिल जाएगी तो ...विराम की सोचेंगे |बस ये ही हूँ मैं ...यानी अंजु (अनु ) चौधरी ...शब्दों को सोचना और उन्हें लिख लेना ..ये दो ही काम करने आते हैं....साधारण सी गृहणी ...अपनी रसोई में काम करते करते ...इस सफर पर कब आगे बढ़ गई ये पता ही नहीं चला ...कविता के रूप में जब लेखनी सामने आई ...तो वो काव्य संग्रह में तब्दील हो गई
किसी भी किताब के बारे में लिखना और फिर जिसने उस किताब को लिखा है और फिर उसके बारे में लिखना बहुत अलग अलग अनुभव होता है
........करीब ६ महीने पहले अंजू जी का कविता - संग्रह " क्षितिजा " को पढ़ा पर कभी कुछ दिनों से क्षितिजा के बारे में लिखने का समय नहीं मिल पाया पर आज उसी से जुड़े कुछ विचार आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ
अंजू की के काव्य संग्रह की रचनाये विविध विषयों पर आधारित है ......परन्तु संग्रह की रचनाओ का मूल कथ्य स्त्री की सम्पूर्णता को समेटे हुए है !
............. क्षितिजा का अर्थ होता पृथ्वी की कन्या ...धरती की कन्या है तो उसका स्वभाव ही नारी युक्त है और वह नारी भाव से घिरी हुई है ..और अंजू जी की अधिकतर रचनाएं है भी नारी के भावों पर ..खुद अपने परिचय में वह कहती है कि" नारी के भावों को शब्द देते हुए उनकी प्रति क्रियाओं को सीधे सपाट शब्दों में अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है "
आज वो घर कहाँ
बसते थे इंसान जहाँ
आज वो दिल कहाँ
रिसता था प्यार जहाँ
हर घर की दीवार
पत्थर हो गयी
दिल में सिर्फ बसेरा है गद्दारी का ..सही सच है यह ..हर घर की अब यही कहानी हो चुकी है ..घर कम और मकान अधिक नजर आते हैं जहाँ इंसान तो बसते हैं पर अनजाने से
अंजू जी रचनाओं में प्रेम .इन्तजार ,,कुदरत ,विरह और आक्रोश सभी रंग शामिल हैं
आकाश की कितनी उंचाई
मैंने नापी है
धरती पर कितनी दूरी तक
बाहें पसारी है
एक सुनहरे उजाले के लिए
निरंतर अब आगे बढ़ रही
एक नयी रोशनी के साए में
खुद को एक राह देने के लिए...!
मेरा विश्वास है यह पुस्तक पठनीय सुखद अनुभूति देने वाली है जो पाठको को बहुत पसंद आयेगी .... !!!!
“क्षितिजा” के लिये अंजु (अनु) चौधरी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ...!!!!
पुस्तक का नाम – क्षितिजा
रचना कार -- अंजू (अनु) चौधरी
पुस्तक का मूल्य – 250/ मात्र
आई एस बी एन – 978-93-81394-03-8
प्रकाशक - हिन्द युग्म
१, जिया सराय ,हौज ख़ास , नई दिल्ली - 110016
@ संजय भास्कर