20 अप्रैल 2011

सच है क्या जिंदगी का किसी को पता नहीं.......संजय भास्कर


सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता  नहीं  |
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह 
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं 
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
कहने को तो देशभक्त है यारों  नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा नहीं |
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है 
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं ,
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं..........!


-- संजय भास्कर