सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा नहीं |
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं ,
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं..........!
-- संजय भास्कर