02 दिसंबर 2015

हम भी डरते है - संजय भास्कर

( चित्र - गूगल से साभार )

उस चौराहे पर
पड़ी वह स्त्री रो रही
है बुरी तरह से
उसका बलात्कार हुआ है
कुछ देर पहले
वह सह रही है असहनीय
पीड़ा कुछ
दरिंदो की दरिंदगी का
भीड़ में खड़े है
लाखो लोग पर मदद का हाथ
कोई नहीं बढाता
इंसानियत नहीं बची
ज़माने में
क्योंकि हम भी डरते है.........!!!

-  संजय भास्कर

27 टिप्‍पणियां:

nayee dunia ने कहा…

yah bhi ho sakta hai ! lekin dar kis baat ka hai ?

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत सटीक रचना ।

कविता रावत ने कहा…

भीड़ का हिस्सा हर कोई बन जाता है ..दु:खद..

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

डर अपने अपने ।

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3 - 12 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2179 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Himkar Shyam ने कहा…

सुंदर और सार्थक। क्या इंसानियत बची भी है?

Malti Mishra ने कहा…

सत्य को बयाँ किया है

Malti Mishra ने कहा…

सत्य को बयाँ किया है

Unknown ने कहा…

सहीं कहाँ आपने

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

सत्य कहा आपनें।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

डर से ही बढ़ावा मिलता जा रहा है

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

मर्मस्पर्शी और सटीक रचना...

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

दुखद स्थिति पर यही आज का सच है.

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना वर्षान्त अंक "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 31 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

जमशेद आज़मी ने कहा…

बेहद संजीदा रचना की प्रस्‍तुति। बहुत ही अच्‍छा लिखा है।

RK ने कहा…

Right , hum bhi darte hain. We just choose to paas by troubled by our own issues ....

कविता रावत ने कहा…

जाने कितने ही डर बिठा लेते हैं हम कुछ अच्छा करने की सोचने से पहले ..
मर्मस्पर्शी रचना

जमशेद आज़मी ने कहा…

बहुत ही सुंदर और मर्मस्‍पर्शी रचना की प्रस्‍तुति।

Vikram Pratap Singh ने कहा…

यही समाज की कुरूपता है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

काश की चटना जागे समाज की ....

Unknown ने कहा…

http://zeerokattas.blogspot.in/

Unknown ने कहा…

ये बहुत अच्छी जानकारी है मेने भी अपना हेल्थ टिप्स इन हिंदी में ब्लॉग लिखना शुरू किया है जिससे सभी भारतवासी आयुर्वेद और घरेलू नस्खों द्वारा विभिन्न रोगों का उपचार कर पाएंगे

Unknown ने कहा…

बेहद संजीदा रचना की प्रस्‍तुति। बहुत ही अच्‍छा लिखा है।

Unknown ने कहा…

सत्य को बयाँ किया है मर्मस्‍पर्शी रचना की प्रस्‍तुति।

प्रभात ने कहा…

आज के विषय को ध्यान में रखते हुए सबसे सटीक रचना

Iamgoogler ने कहा…

ह्रदय को कटोचाती है ये पंक्तिया. तब एक दु:शाशन था और आज पता नहीं कौन बन जाये. Health tips in hindi

Meena Bhardwaj ने कहा…

मन को कचोटती है यह रचना.शायद आपकी रचना पढ़ कर लोगों का डर खत्म हो जाए.