जब कोई इस दुनिया से
चला जाता है
वह दिन उस इलाके के लिए
बहुत अजीब हो जाता है
चारों दिशओं में जैसे
एक ख़ामोशी सी छा जाती है
दिन में फैली ख़ामोशी
वहां के लोगो को सुन्न कर देती है
क्योंकि कोई शक्श
इस दुनिया से
रुखसत हो चुका होता है ...........!!!!!
चित्र - गूगल से साभार
@ संजय भास्कर
46 टिप्पणियां:
किसी का सदा के लिए रुखसत होना जीवन के सच को दिखा देता है... मृत्यु अंतिम सच.
इलाका तो एक दिन के लिए खामोश होता है मगर किसी दिल में तो ताउम्र का सन्नाटा पसर जाता है......
:-(
अनु
.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
expression ने कहा…
इलाका तो एक दिन के लिए खामोश होता है मगर किसी दिल में तो ताउम्र का सन्नाटा पसर जाता है......
:-(
sahamat hoon
God Bless U ..
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुफ्त अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया है,!!!
RECENT POST: जुल्म
मार्मिक कविता...
:( सही कह रहे हैं भैया, उनकी जगह फ़िर एक खालीपन बसने लगता है… क्योंकि कोई शक्श
इस दुनिया से
रुखसत हो चुका होता है ...!
पूरी मार्मिकता से उभारा है चित्र आपने!
पुराने युग से निकल कर ..आज के युग में आओ !भास्कर भाई ..
आज तो पड़ोस में टी.वी. चल रहा होता है ?
आप की भावनाओ को सलाम !
शुभकामनायें!
कडुआ सच पर मानना पड़ता है
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my post कोल्हू के बैल
सच कहा..ये संन्नाटा उम्र भर दर्द देजाता है..शुभकामनाएं
दिल को छू लेने वाली अभिव्यक्ति
हाँ ..ऐसा ही होता है जब भावनाए जागृत होती हैं तब...अन्यथा कुछ भी नहीं
आज की ब्लॉग बुलेटिन बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बड़ा दुखदाई दिन होता है ..एक एक पल बड़ा भारी पड़ता हैं
पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
चारों दिशओं में जैसे
एक ख़ामोशी सी छा जाती है ....sahi bat...mujhse behtar ise kaun samjh sakta hai.....
भाव पूर्ण अभिव्यक्ति |उम्दा है |
आशा
बेहद भावपूर्ण रचना...
शब्दों को चित्र ने समझा दिया
मार्मिक
शब्दों को चित्र ने समझा दिया
मार्मिक
भावात्मक अभिव्यक्ति
जीवन के इस अंतिम सत्य को प्राकृति भी पहचानती है ...
अर्थपूर्ण लिखा है संजय जी ..
सच को तो स्वीकारना ही पड़ता है. संवेदनशील प्रस्तुति.
बहुत खूब.
badiya
sach ki abhivyakti
Sahi kaha aapne.
Bhavpurn rachna...
दिल को छू लेने वाली अभिव्यक्ति संवेदनशील प्रस्तुति.
..
भाई सब कुछ वही रहते हुए भी खामोशी ..दिल का सूनापन अलग अलग रिश्तों पर अलग प्रभाव ...
लेकिन अब समय बहुत बदल चूका है बड़ी मुश्किल से लोग थोड़ी देर ...फिर बदल
Bhramar5
यही शून्य दुनियाँ है, सुंदर रचना.......
नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग
नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग
बहुत बढ़िया संजय जी ... सादर !
लाजवाब ! सुन्दर पोस्ट लिखी आपने | पढ़ने पर आनंद की अनुभूति हुई | आभार |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
निशब्द कर दी आपकी कविता ...संवेदनशील रचना
भावमय करते शब्द ....
बिल्कुल सही कहा आपने
अच्छा लगा आपकी पहली कविता को पढ़ कर। जीवन-मृत्यु मेरे लिए भी कविताई करने के सर्वोत्कृष्ट विषय हैं। (शक्श) को (शख्स) कर लें। अच्छी कविताओं में गलतियां अखरती हैं। आपके प्रत्युत्तरों हेतु धन्यवाद।
aaha ha.kya bat hai sr waaaaaah waaaaaaaaaah...
बहुत सटीक.
रामराम
MARMIK SANJAY BHAI.....DARD HE
गहन अनुभूति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
शुभकामनायें
संवेदनशील प्रस्तुति....
बेहतरीन रचना.. मृत्यु अंतिम सत्य है संजय जी.. और यही हमारे जीवन को त्वरा देता है....
बहुत बढ़िया संजय जी
Umda...
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