जिस राह से भी गुजरे
एक नाम सुना जिंदगी |
हमने भी चाहा कोई हमको बता दे
क्या चीज है यह जिंदगी |
थके हुए राही ने कहा
रुकना ही है जिंदगी
अपाहिज ने कहा
चलना ही है जिंदगी |
गरीबी में तड़पते हुए ने कहा
पैसा ही है जिंदगी |
खुशियों में डूबे किसी ने कहा
प्यार ही प्यार है जिंदगी |
मगर कोई हमसे भी तो पूछे
क्या चीज है जिंदगी
........पर मैं समझता हूँ
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
..................शायद जिंदगी |
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार )
...............संजय कुमार भास्कर
99 टिप्पणियां:
rote ko hansana yahi hai jindagi
har dukh main saath nibhana hai jindagi,
bahut sundar likha jindagi ke baare hain,
sundar rachna
संजय भाई
कविता की तारीफ के लिए शब्द नही मिल रहे .............
बहुत बडे Experience का नतीजा है यह कविता
बस इतना ही कहूगां वाह वाह वाह वाह
वाह वाह ………………कितनी खूबसूरत बात कही है………………ज़िन्दगी को परिभाषित करने का सभी का अपना अन्दाज़ रहा है………………बेहद उम्दा प्रस्तुति।
वाह संजय भाई क्या खूब परिभाषा दी है ज़िन्दगी की..
बहुत खूब..
अच्छा नज़रिया है ज़िन्दगी के बारे में....
यूँ ही लिखते रहें ...
sabke liye ek swal hi to hai jindagi?
jisne jesa anubhav kiya usne use vese hi bayaan kar diya asal me isi ka naam hai jindagi.
bahut sundar rachna bahut bahut badhai
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.....sanjay ji.
बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
लाजवाब रचना.
aapne sahi kaha "thokar kha kar sambhal jana hai jindagi".........:)
jindagi ki sach se rubaru karati ek achchhi rachna...........
Bahut achhi abhivyakti.
4/10
सामान्य रचना
नजरिये की बात है. जिन्दगी को जिस अंदाज से देखिये बस वैसी ही है जिंदगी :
जिंदगी एक गीत है
जिंदगी संगीत है
जिंदगी मनमीत है
जिंदगी बस प्रीत है
जिंदगी आभास है
जिंदगी एक आस है
जिंदगी एक प्यास है
जिंदगी वनवास है
बहुत सही बात की है आपने. बढ़िया!
बेहद प्रभावशाली.....
मैंने इसे यों पढ़ा है
ठोकर खाने का नाम भी है ज़िंदगी
संभल जाने का नाम भी है ज़िंदगी
न संभल पाने का नाम भी है ज़िंदगी
आपके बहाने से ज़िंदगी के कई मायने मिले. आभार
जिंदगी की जींवत परिभाषा दी है आपने।
---------
सुनामी: प्रलय का दूसरा नाम।
चमत्कार दिखाऍं, एक लाख का इनाम पाऍं।
सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत बधाई ...इस सुन्दर सी रचना के लिये...जिन्दगी इस जीवन से इस कदर जुड़ी है कि इसके बिना हर क्षण महत्वहीन है कहीं यह खेल हो जाती है तो कहीं मेल हो जाती है, सुन्दर एवं बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये शुभकामनायें ।
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
इसी का नाम जिंदगी है।
Badhai... achchi rachna ke liye
Bahut umda rachna .jindagi k falsafe ko bahut karib se jana hai aapne .......
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
..................शायद जिंदगी |
बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत सही...सब अपनी परिस्थियों के हिसाब से मायने निकाल लेते हैं..
बढ़िया रचना.
धन्यवाद
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
@ दीपक सैनी जी..
@ वंदना जी..
@ शेखर सुमन जी..
ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक़्रिया..
@ मीनाक्षी पन्त जी..
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
..................शायद जिंदगी |
धन्यवाद
@ प्रीती जी..
@ मोहसिन जी..
@ मुकेश सिन्हा जी..
@ यशवंत जी..
@ उस्ताद जी
आपने बिलकुल सही कहा है
जिंदगी आभास है
जिंदगी एक आस है
जिंदगी एक प्यास है
जिंदगी वनवास है
ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक़्रिया..
बिलकुल नया अंदाज हे आप का इस जिन्दगी की परिभाषा का , जबाब नही, बहुत खुब सुरत जी धन्यवाद
चाहत है जिसकी जैसी उसकी वो बन्दगी है
गिरते ही सम्भल जाना इतनी सी जिन्दगी है
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
संजय भाई ...मेरे लिए तो ज़िन्दगी एक संघर्ष है .
बढ़िया रचना है ....आभार
सँजय जी! जिन्दगी मेँ गम के मेले हैँ; जिसमेँ सब अकेले हैँ; खुशियोँ मेँ सब साथ खेले; रंज मेँ सब अकेले हैँ........। बहुत ही खूबसूरत कविता है। शब्दोँ का चुनाव बहतरीन एवं सार्थक हैँ,बहुत बहुत आभार जी।........ और आज तो उस्ताद जी ने भी हाथ खोलेँ हैँ। -: VISIT MY BLOG :- पढ़िये मेरे ब्लोग "Mind and body researches" पर आज विशेष लेख ..........पुरूषोँ को शराब से आनंद की अनुभूति क्योँ होती है? "Link here , Click please"
एकदम सही कहा आपने...
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम है जि़्दगी।
पर मैं समझता हूँ
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
..................शायद जिंदगी |
यकीनन यही है जिन्दगी
बहुत ही सही परिभाषा की है जिंदगी की. शुभकामनाएं.
रामराम.
सही है!
आशीष
अच्छा लगा.. मुझे तो जीवन दर्शन सा लगा ...
true.. Yahi hai zindagi... Google devta ka tohfa accha laga
बहुत अच्छा सन्देश ................... और अनुभव भी शायद ........ बधाई
bhaayi snjay bhut khub aek zindgi or nzriye alg alg is maamle men hr shkhs ke khyaalat jo aapne byaanat kiye hen voh jivnt he or hqiqt bhi bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan
ठोकर खा कर संभलना ही है जिंदगी. बहुत बड़ी बात कह दी आपने.
गद्दारों के विनास के लिए जी जान से डट जाना है जिन्दगी
हर कोई ज़िंदगी की अपनी परिभाषा गढता है ...बहुत अच्छी प्रस्तुति
@ आशु जी..
@ प्रियंका राठौर जी..
@ भूषण जी..
@ जाकिर अली जी..
@ सदा जी..
बहुत बहुत धन्यवाद
@ ॐ जी..
@ राजेश उत्साही जी..
@ अशोक जमनानी जी..
@ अमरेन्द्र अक्स जी..
@ ललित शर्मा जी..
@ समीर लाल जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार !
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ राज भाटिया जी..
बहुत बहुत शुक़्रिया..
@ श्यामल सुमनजी..
@ विरेन्द्र सिंह चौहान जी..
@ डॉ अशोक जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार !
@ महेंदर वर्मा जी..
@ ऍम वर्मा जी..
यकीनन यही है जिन्दगी
बिकुल सही कहा ही आपने
@ ताऊ रामपुरिया जी..
बहुत बहुत आभार..
@ आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ / ASHISH जी ..
@ अरुण चन्द्र रॉय जी ..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
राम जी
@ दिपाली "आब" जी..
@ अमृता तन्मय जी..
बहुत अच्छा सन्देश .....और अनुभव भी
दोनों ही है..सन्देश भी अनुभव भी..
@ अख्तर खान अकेला जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार
हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद !
Badi khoobsurati se paribhashit kya hai zindagi ko.....Bas yahi zidagi hai....
Badi khoobsurati se paribhashit kya hai zindagi ko.....Bas yahi zidagi hai....
बहुत उम्दा, कई रंग दिखाई दिए...बधाई.
बहुत संजीदगी से बड़ी गंभीर बात कह गए संजय जी ! बहुत अच्छी रचना है ! अपने अनुभव के आधार पर हर एक के लिये जीवन की परिभाषा बिलकुल अलग और व्यक्तिगत होती है ! सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई !
यकीनन यही है जिन्दगी
chalti kaa naam gaadi.
jo kabhi naa ruke wohi hain zindagi.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
BAHUT HI KHOOBSURAT LIKHA HAI
PADKAR MAN KO SUKUN MILTA HAI
..........LIKHTE RAHE ALL THE BEST
REGARDS
YOUR SISTER
SUNITA BHASKAR
INDORE
bahut badhiya bhai... tabhi to kahtee hu ki aapse seekhna hai...
बेहद सार्थक परिभाषित जिन्दगी।
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
..................शायद जिंदगी |
सच कहा है संजय जी .... जो वस्तू जिसके पास नहीं होती ... उसे उस चीज़ क़ि असली कीमत का अंदाजा होता है .... बहुत ही achhee rachna है .
ब्लॉग पर देर से आई हूं क्षमा चाहती हूं |बहुत भावपूर्ण कविता |टॉपिक एक हो पर विचार अनेक को सकते हें मुझे यह रचना बहुत अच्छी लगी बहुत बहुत बधाई
आशा
सबके लिये जीवन का अपना अलग अर्थ है।
सुन्दर अभिव्यक्ति...
jaki rahi bhaavna jaisi
prabhumurat dekhi tin taisi
bhaav ke anuroop hi arth badal jate hain!
har roop mein mohak hai jindagi!!!
sundar rachna!
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही है
..................शायद जिंदगी |
jindagi ka sahi arth yahi hai!...
satye kaha jindgi ko
isi ka nam he jindgi
धन्यवाद
@ वंदना जी..
@ सुनील दत्त जी..
@ संगीता स्वरुप जी..
@ डॉ॰ मोनिका शर्मा जी..
@ शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' जी....
आप सभी का दिल से आभार आपने मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
@ साधना वैद जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
धन्यवाद
@ मनोज कुमार जी..
@ चन्द्र कुमार सोनी जी..
@ सुनीता जी..
@ पूजा जी..
@ सुज्ञ जी..
@ पूर्वीय जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
@ आशा माँ जी..
आप को जब भी समय मिले तब पढ़े आप क्षमा नहीं मान सकती मुझसे
@ प्रवीण पाण्डेय जी..
@ फ़िरदौस ख़ानजी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
बहुत बढ़िया रचना ..ऐसे ही लिखते रहो !
Good attempt........... but i thing Struggle is life
sanjayjee utkrusht rachana.....
jindgee ke kai roop hai kai padaav aate hai jo hume aajmate hai............saar jindgee ka sambhalna hee hai..........Aabhar
jindagi kee vocabulary bata dee aapne
goood poem
subadr rachna.....umda abhivakti
very correct!!!Life is defined by the lack of it!!!
JEET KAHOON YA HAAR JINDGI
HAI KITNI DUSHVAR JINDGI
OOPER SE TO KHILI-KHILI PAR
BHEETAR SE PATJHAAR JINDGI
JINDGI KI PARIBHASHA DENA KATHIN HAI
AAPKA NAJARIYA PRASHANSNIY HAI
अति सुन्दर भास्कर जी:
थके हुए राही ने कहा
रुकना ही है जिंदगी
अपाहिज ने कहा
चलना ही है जिंदगी |
-- मोह ले गए
बहुत सुन्दर सच बात है
कहते है ...अँधा क्या चाहे !! बस दोन आँख . यही है ज़िन्दगी जिसकी जो ललक उसके लिए वाही ज़िन्दगी और वाही उसका धेय. आपका विचार बहुत सुन्दर है . ज़िन्दगी के लिए यह नजरिया रखना हमेगा आगे कि ओर लेजाता है .....शुभकामनाएँ
बढ़िया रचना है ....आभार
सीधी सादी भाषा में जीवन की हकीकत कह जाते हैं आप संजय जी.. यही आपकी प्रसिध्ही का राज है.. शुभकामना सहित
@ अनुपमा पाठक जी..
@ डा. अरुणा कपूर. जी..
@ अलोक खरे जी..
@ राम त्यागी जी..
@ सुमन अनुरागी जी..
@ अपनत्व जी..
@ पर्शंत पुंडीर जी..
@ रेवा जी..
@ राहुल जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ सुरेंदर बहादुर जी..
@ प्रकाश ⎝⎝पंकज⎠⎠ जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! मेरी रचना सराही और मेरा होसला अफजाई की
! धन्यवाद !
@ कोरल जी..
@ रानिविशल जी..
यही है ज़िन्दगी जिसकी जो ललक उसके लिए वाही ज़िन्दगी और वाही उसका धेय.
देर से ही आई पर आई तो सही
@ सुनील कुमार जी..
@ कुमार पलाश जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
सब के सब सही कहते हैं कि यही है जिंदगी
जो भी कह लो लेकिन, बहुत खूबसूरत है ये जिंदगी।
संजय जी
सुंदर चित्र के साथ एक सुंदर सी बात कही आप ने. सच एही है जिंदगी...
bhaskar ji...shukriya ess rachna aur mere blogs pe aake meri rachnao pe apne shabd kahne ka.
zindagi kya hai?
kuch nahi bas, maut abhav hi zindagi hai...sanso ka safar hi zindagi hai...
nice...keep it up...god bless u
ठोकर खाकर संभल जाना ही ज़िन्दगी। बेहतरीन।
Zindagi ko dekhne ka nazariya
or use shabdon me dhalne ki
safal koshish ke liye badhai.
जिंदगी को परिभाषित करने की कयावद जीवन भर चलती रहती है पर फ़िर भी हम इसे पूरी तरह समझ पाने में नाकाम रहते है. इस सब सवालों से जूझते बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
acha hai,sundar lekhan
acha hai,sundar lekhan
acha hai,sundar lekhan
@ आशा जोगलेकर जी..
@ उपेन्द्र जी..
@ अशोक लालवानी जी..
@ मंजुला जी..
@ संजय दानी जी..
@ प्रीती जी..
@ डोरोथी जी..
जिंदगी को परिभाषित करने की कयावद जीवन भर चलती रहती है पर फ़िर भी हम इसे पूरी तरह समझ पाने में नाकाम रहते है
@ नीलम जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
सही कहा, ज़िन्दगी के बहुत से रूप हैं, ........... अच्छी कविता
अनकहे..अनगिनत सवालों को ढूँढती..यह ही है ज़िन्दगी...!! खूब कहा..!!
"बचपन की गलीयों से शुरू हुई थी जिंदगी
बचपन के बाद कहीं गुम सी हो गई जिंदगी
गर कोई लौटा दे मुझे मेरा बचपन नाशाद
तो शायद मुझे फिर से मिल जायेगी जिंदगी."
===बस यही कहानी है हमारी और जिंदगी से दूरी की. बहुत सुन्दर कविता.
ढेर सारे अंधे मोड़ों से बाहरी घाटी है ज़िंदगी...
बहुत खूब भैया...
@ नीलम जी..
@ साहिल जी..
@ प्रियांकाभिलाशी जी..
@ नरेश चन्द्र बोहरा जी..
@ पूजा जी..
मेरे ब्लॉग पर आकर प्रोत्साहित करने के लिए आभार |
संजय भास्कर
sanjay bhai sachmuch aapki rachna bahut acchi lagi...
har kone ko dikhati zindagi ki..
आपकी पोस्ट यहाँ भी है……नयी-पुरानी हलचल
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
चलती का नाम है ज़िंदगी ... बहुत सुंदर !
ह्र्दय से निकली सार्थक रचना…….
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