29 जुलाई 2010

सचिनः कितना महान हुआ भगवान

देख हमारे सचिन की ताकत क्या हो गई इंसान
कितना महान हुआ भगवान
कितना महान हुआ भगवान

टेस्ट में जो कर न पाते
भगवान वन-डे में भी कर दिखलाते
इसलिए ही तो महान और भगवान कहलाते
जिसपे सारा देश कुरबान
देख हमारे सचिन की ताकत क्या हो गई इंसान
कितना महान हुआ भगवान

कहते हैं शेर बूढ़ा भी करे शिकार
गीदड़ नहीं, जो बन बैठे बेकार
टीम पे आए संकट तो करते बेड़ा पार
पूरी टीम करती उसका ही गुणगान
देख हमारे सचिन की ताकत क्या हो गई इंसान
कितना महान हुआ भगवान
कितना महान हुआ भगवान

चेहरे पर जरा गुरूर नहीं है
सबसे उपर होने का सुरूर नहीं है
बोलो, क्या उस जैसा महान कहीं है
सरताज है सरताज रहेगा, अपना सचिन महान
देख हमारे सचिन की ताकत क्या हो गई इंसान
कितना महान हुआ भगवान
कितना महान हुआ भगवान

ब्रायन, सनथ, ब्रैडमैन, गावस्कर
करते आदर सत्कार झुककर
कहते, सचिन चले तो न देखे रूककर
खिलाड़ी छोटा बड़ा, करता उसे सलाम
ऐ बंदे
देख सचिन की ताकत क्या हो गई इंसान
कितना महान हुआ भगवान
कितना महान हुआ भगवान

53 टिप्‍पणियां:

arvind ने कहा…

देख हमारे सचिन की ताकत क्या हो गई इंसान
कितना महान हुआ भगवान
.....ya sachin is great.

Pawan Rajput ने कहा…

तू भी सोच तेरे सचिन की ताकत कितनी है मलखान
कितना बदल गया भगवान, कितना बदल गया भगवान
मैकग्राथ के आगे नर्वस निन्यानवे के भंवर फंसा था
टीम हार रही थी जब, शतक जरूरी था महान
देख तेरे सचिन की हालत क्या थी रे मलखान
कितना बदल गया भगवान, कितना बदल गया भगवान
एक मैच पहले ही देखो, मुरली और मलिंगा थे जब
सचिन भी ता-ता थैया कर घर गया
हार गया था टैस्ट अपना भारत महान
देख तेरे सचिन की हालत क्या है रे मलखान,
कितना बदल गया भगवान, कितना बदल गया भगवान

Unknown ने कहा…

मैं सोच रहा था कि चांदी और श्री सुधीर राघव जी कि और से कुछ शानदार कमेन्ट मिलेगा... लेकिन लगता है के विरोधियों के पास कोई जवाब बचा ही नहीं था, बेचारे करते भी तो क्या

Unknown ने कहा…

YES SACHIN IS GREAT.....

Unknown ने कहा…

वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब

Unknown ने कहा…

वाह शानदार....!

Unknown ने कहा…

Wahh Sanjay bhai kya likha
Amazing

बहुत दिनों बाद आप के ब्लॉग पार आना हुआ

Karan

Unknown ने कहा…

Wahh Sanjay bhai kya likha hai
Amazing

बहुत दिनों बाद आप के ब्लॉग पार आना हुआ

Karan

kshama ने कहा…

Sachin to sach me chauthe kramank pe khelnewala bhagwaan hi hai! Team ka taranhaar!

abhinav sinha ने कहा…

बहुत बेहतर मलखान सिंह.
सर्वप्रथम मास्टर ब्लास्टर सचिन के पांचवे दोहरे शतक कि हार्दिक बधाई.
मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ. सचिन विश्व के सर्वकालिक महान बल्लेबाज हैं. इस दुनिया में जब तक क्रिकेट खेला जाएगा, सचिन का नाम गर्व से लिया जाएगा. पुनः बधाई
आपका अभिनव सिन्हा

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Sanjay ji...badiya hai.

Pawan Rana ji ne kuch nimn ster ka vayang Sachin par kiya hai. Isliye mai apne aapko zabaab dene se Rok nahin pa raha hun..Sanjay ji mujhe maaf kar dena.

" Duniya ka Sabse AAsaan Kaam
Kisi ki Bhi Alochna karna hai
jo aapne bakhubi kar diya hai."

Pawan Rana ji ..Mujhe ye to nahin pata ki aap kitna cricket jaante hai? Aur kab se cricket follow kar rahe?

Lekin kuchh baaten mere Zehan men aayi hain. Isliye Socha puch hi lun


Pawan Rana ji....AApne Murli aur malinga ki baat ki .... Unke saamne second innings men Sachin ke 87 runs kya kam the? Dusre batsman ne to itne ran bhi nahin banaaye.

Aapne Macgrath ki baat karte hue nervous (99)ki zikra kiya...

lekin Mcgrath par padte hue sixes ka zikra nahin kiya.(YouTube per dekh lena)

Duniya ki sabse fast pitch par yaani ki Perth men century ka zikra nahin kiya. Us samay aapka Macgrath aur Shene warne ke saath bahut se world class bowler the Austrailiya ke paas the jo Sachin ko unki favorite pitch par hi n rok sake.

Shoyab Akhter par world cup men 6 ka zikra nahin kiya. us match ko zitaane men Sachin ne Shaayad kuchh nahin kiya n? Out hone se pahle match nikaal diya thaa.

Murli aur Malingaa Hindustaan men Sachin ko Rok nahin paaye. Iska zikra nahin kiya. Out to duniya ka har gendwaz kar leta. Isme kya badi baat hai? Dono ke action ko leker bhi genuine Cricket lovers
Questions kar chuke hain.

Sachin ki techniaue par to aaj tak koi ungli nahin uthi.

Shene Warne ko sapne men Sachin dikhaayi diye uska zira nahin kiya.

Murli, Macgrath, Donald Shene warne , Vasim Akram jaise diggaj Bowlers ne Sachin ko sabse Khatarnaak batsman bataya...Apne ye Zikra nahin kiya.

Cricket men 94 centuries koi sadharan baat nahin hai.

Sir Don Bradman ne keval aur keval Sachin se milne ke liye Sachin ko Apne birthday par bulaaya ..Aapne iska bhi Zikra nahin kiya.

Duniya men aisa kaun hai jo 100 perfact hai ..AApne uska naam bataane ka kast nahin kiya.

Sachin men gar koi galati hai to ye itni badi baat hai kya?

Kam se kam kisi Indian Cricketer ne Sachin ki nisthaa par Sawaal nahin uthaaya aapne iska bhi zikra nahin kiya.

Kya koi aisa crickter hai duniya men jisne apne career men sabhi match apne dam par jitaaye ho ..Apne iska zikra hi nahin kiya.

Brayan lara Anli kumble ko Hidustaan men kabhi theek se nahin khel paaya..

Ricky Ponting ki Spin ko khelene ko leker uski ability ke baare hameshaa Sawaal rahe hai.

India men Ponting ka keval Ek test hundred iska gavaaha hai.


Sachin ke usi Australiya ke Khilaaf Austrailia men kitne satak hain zara us par nigaah daal lena.


SAchin hamesha run banaye aur match jitayen ..Very funny

CRICKET IS A TEAM GAME SIR JI.

TEAM WINS AND TEAM LOSES.

ANY INDIVIDUAL PLAYER CAN'T BE RESPONSIBLE FOR ANY DEFEAT.


Sawal to abhi bhi bahut hai lekin main jaanta hun ki Sachin ke Aalochkon ke paas uska koi satisfactory answers ho hi nahin sakta isliye apni baat yahin Khatm karta hun.

Unknown ने कहा…

बधाई, वीरेंदर सिंह चौहान जी आपने बहुत ही अच्छे सवाल किये हैं.. आलोचक आपके सवालों का जवाब किस तरह का देंगे, उसका andaza लगाया जा सकता है. बहुत शानदार सवाल
-मलखान सिंह आमीन

Unknown ने कहा…

इस दुनिया में जब तक क्रिकेट खेला जाएगा, सचिन का नाम गर्व से लिया जाएगा

संजय भास्‍कर ने कहा…

CRICKET IS A TEAM GAME SIR JI.

TEAM WINS AND TEAM LOSES.

U R RIGHT
I M AGREE WITH U SIR.....

Virendra Singh Chauhan

संजय भास्‍कर ने कहा…

मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ. सचिन विश्व के सर्वकालिक महान बल्लेबाज हैं.

संजय भास्कर

VIVEK VK JAIN ने कहा…

nice.....

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Ye 'Sachin ka yash gaan' AAmeen ji ne kiya hai. Maine ise Sanjay ji ka samjhaa.

Uske liye Khed hai.

AAmeen Saab bahut achhi rachna.

Apko hamaari taraf se Bdhaai.

Unknown ने कहा…

oye chandi mera matlab pawan rana ji sachin ta tha thaiya karta nahi hai karwata hai.
jaise shane warne ko karwaya tha
ya mcgrath or bond ko karwaya tha.
tumhare sabhi 'great' bowler hamare '3rd class' master blaster se mu chupate firte rahe hain.
oye match me 94 run banate-banate aise ki taise ho jati hai or sachin ki 94 centuries hai.
or jis nervous ninties ki baat aap kar rehe hai to 100 se pehle 99 run banene padte hain. direct 100 nahi banaya ja sakta.
aap thoda jaroor sochne ka kasht karen. thodi takleef to hogi par aapke liye achha hoga!!!!!!!!!!!!!!!!
ha ha ha ha ha ha :-)

कडुवासच ने कहा…

...behatreen !!!

तिलक राज कपूर ने कहा…

आपने तो कवि प्रदीप का आव्‍हान कर लिया।

Pawan Rajput ने कहा…

beta rohit tu abhi bacha h ..........samjha

सत्य गौतम ने कहा…

हमारा देश गरीब है यह चीख-पुकार एक नाटक है, लाचारी है, हमारे देश में बेरोजगारी है यह भी एक नाटक है। गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी किसी देश में तब कही जा सकती है जब गरीबी, बेरोजगारी , लाचारी और भुखमरी से सब प्रभावित हों। हमारे देश में ऐसा नहीं है।
http://hindugranth.blogspot.com/2010/07/blog-post_29.html

Dev ने कहा…

बुहत खूब ...संजय जी ......सुन्दर रचना

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

अब संजय जी क्या बताऊँ आपको????
और
क्या कमेन्ट करूँ आपके इस ब्लॉग पोस्ट की????

आप बहुत अच्छा लिखते हैं, विशेषकर आपकी हिंदी की तारीफ़ करना चाहूँगा. आपकी हिंदी काफी सरल, सहज, और आसान होती हैं.

बिल्कुल आम आदमी की भाषा-बोली में लिखते हैं आप. यही शायद आपके ब्लॉग का सबसे मज़बूत आधार-पहलु हैं.

धन्यवाद.

WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

We love you Sachin!
May God bless you!
May you continue forever and ever.....

बेनामी ने कहा…

waah sanjay bhai, pura sachin prem chhalak raha hai aapki kavita se.....
gud...
sorry aaj kal thoda bzy hoon, to blogging se door hi hoon....

रचना दीक्षित ने कहा…

वाह!!!!!!!!!!!!!!! बुहत खूब सुन्दर रचना

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत शानदार...

सुधीर राघव ने कहा…

आमीन की सचिन पर यह कविता मान्यतावादी समाजों में व्यक्तिपूजक प्रवृत्ति का अच्छा उदाहरण है। इस प्रवृत्ति का समाज में भरपूर पोषण होता है, क्योंकि इससे फायदा उठाने की गुंजाइश पैदा होती है। बाजारवाद में तो इस प्रवृत्ति का मोल और बढ़ जाता है। आप समाज में कुछ ऐसे चेहरे प्रचारित करते हो, जिनके कंधे पर रख कर आप अपने कीटनाशक मिले शीतलपेय (सुनीता नारायणन की रिपोर्ट काफी चर्चित रही) और अन्य उत्पाद लागत से कई गुना ज्यादा कीमतों पर बेच सकें। इसलिए व्यक्ति को समाज और बाजार से बड़ा करके प्रचारित किया जाता है। इस देश में स्तुतिगान गाने वाले भाट और चारण हमेशा से रहे हैं। एक युद्ध जीतने के बाद भी वे राजा को भगवान से बड़ा बना देते थे, और तो और हार में उन्हें उनका गुणगान ही करना होता था। जैसा कि चंद्रवरदायी ने मोहम्मद गोरी से हार के बाद भी प्रथ्वीराज चोहान का गुणगान करते हुए यहां तक लिखा है कि अंधे चौहान ने ही गोरी को मारा। जबकि इतिहास इसकी पुष्टि नहीं करता।
सचिन के व्यक्तिगत रिकार्ड बहुत अच्छे हैं। बहुत से छात्र नब्बे फीसदी अंक लाते हैं, मगर वे कभी भगवान नहीं कहलाये (हालांकि सचिन का टेस्ट क्रिकेट में औसत पचपन से कुछ ही ऊपर बैठता है। हमारे पास डॉन ब्रेडमैन हैं निन्यानवे से ऊपर औसत वाले, मगर जहां तक मुझे याद है उन्हें कभी क्रिकेट का भगवान नहीं कहा गया।
पवन राणा की टिप्पणी के संबंध में वीरेंद्र सिंह चौहान के तर्क भी आमीन की कविता के गद्यरूप का सा ही भाव लिए हुए हैं। यहां यह स्पष्ट करना भी जरूरी है कि गावस्कर ने जब ब्रेडमैन का रिकार्ड तोड़ा तो उनके आसपास भी कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं था, मीडिया और विश्लेश्क कह रहे थे कि अब यह शायद पचास साल न टूटे मगर ऐसा नहीं होता। खेल में प्रतिस्पर्धा है और यहां कोई हमेशा नंबर वन नहीं रहता। लगातार पहले से ज्यादा माहिर खिलाड़ी आ रहे हैं। क्रिकेट में ही विश्व रेंकिंग को देख लो कोई भी खिलाड़ी दो चार महीने से ज्यादा नंबर वन नहीं रहता। फिर भले ही लोग उसके भगवान होने का ही भ्रम क्यों न पालें।
जहां तक रिकी पोंटिंग से सचिन की तुलना का सवाल है तो मुझे लगता है कि रिकी पोंटिंग ने सचिन से ज्यादा जिम्मेवारियां उठाई हैं और लगातार सफलता के झंडे गाड़े हैं। सचिन ने जहां व्यक्तिगत प्रदर्शन की चिंता करते हुए कप्तानी की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा, हिचक दिखाई, वहीं पोंटिंग ने न सिर्फ इस जिम्मेदारी को बखूभी निभाया और लगातार अपनी टीम को विश्वकप विजेता बनाए रखा। दूसरी और पिछले चार विश्वकप में सचिन जोहर दिखा चुके हैं, मगर फिर भी वह चमत्कार नहीं हुआ जो कपिल ने कर दिखाया था। हालांकि कपिल भगवान नहीं कहे जाते, मगर मुझे लगता है कि जिम्बाव्बे के खिलाफ उनका प्रदर्शन वही था, जो उम्मीद किसी भगवान से की जाती है। सिर्फ एक व्यक्ति के प्रदर्शन ने वह मैच जिताया था। उसके बाद तो पूरी टीम का हौसला आसमान छूने लगा और हम विश्वकप जीत गए। सचिन को अभी यह करके दिखाना है और मुझे उम्मीद है कि वह इस बार करेंगे, क्योंकि उसके बाद उनके लिए संभवानाएं और कम हो जाएंगी।
सचिन अपने समय के एक महान खिलाड़ी हैं। उन्हें खिलाड़ी ही रहने दें। भगवान न बनाएं। भगवान अपनी सृष्टि रचता है। सृष्टि भगवान नहीं बनाती। क्रिकेट ने सचिन को बनाया है। क्रिकेट उनसे पहले भी थी और कल को कोई और खिलाड़ी आएगा वह इन रिकार्डस को तोड़ेगा, जैसे ब्रेडमैन और गावस्कर के साथ हुआ। यही खेल है। खेल को खेल रहने दो। अगर दांतों तले अंगुली दबानी है तो और भी बहुत से नाम हैं। शतरंज में हमारे विश्वनाथन आनंद कबसे विश्वचैम्पियन हैं, तैराकी में फ्लेप्स का रिकार्ड, स्प्रिंट में उसेन बोल्ट। और खेलों पर नजर डालिए आप को हर खेल में ऐसे नाम मिल जाएंगे। पर वे भगवान नहीं हैं। वे महान खिलाड़ी हैं।
इसलिए खेल को खेल और खिलाड़ी को खिलाड़ी ही रहने दीजिए। किसीको भगवान बनाने से न तो खेल का फायदा है न खिलाड़ी का हैं। बस इसमें बाजार के फायदे की गुंजाइश बनती है। बाजार जब फायदा उठाने लगता है तब आप जैसे ही भावुक लोग सबसे पहले चिल्लाते हैं कि इन खिलाड़ियों का वग्यापनों (एडवर्टाइजमेंट) में काम करना बंद करवाना चाहिए। नहीं तो ये खेल नहीं पाते। अगर भूले न हो तो पिछले वर्ल्डकप को याद कर लो।
(यह टिप्पणी सचिन पर नहीं उस भ्रम पर है, जो लोग पाले हुए हैं, उनके इस भ्रम से क्रिकेट और खेल दोनों का नुकसान होता है। ऐसे ही लोग एक हार नहीं पचा पाते और तोड़फोड़ करने खिलाड़ियों के घर पहुंच जाते हैं)

दीपक 'मशाल' ने कहा…

आमीन, संजय
कोई शक नहीं कि सचिन सबसे बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों में भी शीर्ष पर हैं .. लेकिन भगवान् जिसे कहते हैं वो कोई खिलाड़ी नहीं है भाई.. और क्रिकेट है क्या सिर्फ एक कोलोनियल खेल ना.. अभी तो दुनिया ने क्रिकेट को विश्व स्तर का खेल भी नहीं माना है क्योंकि ये सिर्फ उन्हीं देशों में खेला जाता है जो ब्रिटेन के गुलाम रहे..
सुधीर जी की बात पर गौर करो.. रचना में कमी नहीं वो बढ़िया है.. लेकिन अंधभक्ति ठीक नहीं भाई. सचिन एक शानदार खिलाडी हैं वो रहेंगे लेकिन भगवान् कहना शोभा नहीं देता..

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Urmi ने कहा…

सचिन सही में महान है! मेरा सबसे मनपसंद क्रिकेटर है और मैं सचिन का कोई गेम कभी मिस नहीं करती! बेहतरीन प्रस्तुती!

वाणी गीत ने कहा…

सचिन हमारे देश की शान है ...बेशक ...!

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Sudheer ji......Aapne apne vishleshan men ...Do important baaton ko shamil kiya....Ek ki Don Bradman ka average 99.94 hai aur vo kabhi bahgvaan nahin ban saka.

Dusre aapne ye kaha ki Rickey Ponting ne Sachin se Jyada zimmevaariyan ka bahan kiya hai...


Main AApki pahli baat par aata hun.
Don Bradman ne jis zammane men Cricket khela us zammane cricket ke bahut saare nium aaj ke cricket men nahi hain. Technology ka itna prayog bhi nahi hota thaa. Out hone ke kya niyam the koi nahin jaanta. LBW Kaise diya jaata thaa koi nahin jaanta.

AAj ke cricket men aur us samay ke
Cricket men Dharti AAsmaan ka anter hai.

Mat bhooliye ki
Don Bradman ne keval Test cricket men apni chhaap choddi hai. Cricket ke dusre format men uski kya Achievement hai?

Duniya ke kai behtreen cricketer cricket ke ek form men bahut achha karten hain lekin Dusre form men ve kuch khaas nahin kar paate.

jaise Gavaskar, Laxman, Lara ne bhi Oneday cericket men kuchh khaas nahi kiya. Don bradman ne to oneday men kuch khass kiya hi nahin.

Agar vo oneday khelte, to oneday ki Shaily ka asar un ke Test ki shaily par zaroor padta aur tab unka average kay hota koi nahin jaanta . D.Bradman oneday men kaisa paradhan karte ye bhi koi nahin jaanta ,. Apne Gaavaskar bhi oneday men kuchh nahin kar paaye.


Isliye Don Bradamn jisko humne Khelte huye dekha bhi nahin usko beech men laana bekaar hai.


Bradman kitne pressure men khelten the ye bhi koi nahin jaanta.

Keval naam suna hain ki Don bradman ne 99.94 ki ave. se run baanaye .

Samajh nahin aata ki keval TEst ki Achievement ke aadhaar par Don ki tulna Sachin se 'jisne Cricket ke har form men apni Safalta ke jhanden gaade hain' kaise kar sakte hain.

AApke dusre swaal ka zavab men Dusre comment men dunga.

संजय भास्‍कर ने कहा…

Thanks Mr. Aamin

संजय भास्‍कर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

Thanks Virender ji
i apriciate ur ans..




thanks
sanjay bhaskar

Aruna Kapoor ने कहा…

सचिन सही में है महान...

तभी तो मिल रहा उसे इतना सन्मान!

गग में है उसका बडा नाम...

माना जा रहा है उसे भगवान!



सुंदर वर्णन...बधाई!

Rahul ने कहा…

World will always continue to worhship HEROS....we need heros in every period!!!

सुधीर राघव ने कहा…

भगवान बनाने का बिजनेस कोई नया नहीं, वीरेंद्र जी कहीं रास्ते की सरकारी जमीन पर लोग दो ईंट खड़ी करके भगवान के नाम पर उस जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। वही खेल सचिन के नाम पर खेला जा रहा है। स्तुतिगाने वाले चारणभाट ऐसे ही कब्जा करने वाले लोगों की मदद करते हैं। इसी तरह से सचिन को भगवान बनाकर क्रिकेट को बर्बाद किया जा रहा है। जहां तक ब्रेडमैन के बारे में आपने जो कहा तो आपको जानना चाहिए कि हर आदमी अपने समय की चुनौतियों से ही खेलता है। बल्लेबाजों के लिए क्रिकेट पहले ज्यादा मुश्किल थी। बल्लेबाजों के लिए मुफीद पिचें तो अब बनती हैं। भारतीय विकेट इसके लिए काफी बदनाम रही हैं।
जहां कोई पेड़ नहीं होता वहां अरंड का पौधा भी पेड़ माना जाता है। एक उदाहरण देता हूं, गांव के सरकारी स्कूलों का हाल और हमारी क्रिकेट का हाल एक जैसा है। जून का महीना था मैं गांव गया था। दसवीं का नतीजा आया था, शाम को एक लड़का मिठाई लेकर आया। पता चला कि वह जितने नंबरों से पास हुआ है उतने आसपास के दस गांवों में किसी के नहीं आए। सब उसकी प्रशंसा कर रहे थे, उसे ऐसे देख रहे थे जैसे भगवान हो। क्योंकि पहले गांव में इतने नंबर किसी के नहीं आए थे। ज्यादातर लड़के तो फेल हुए हैं। मैंने पूछा कितने नंबर हैं तो पता चला कि पचपन फीसदी हैं। जितना सम्मान उसे अपने आसपास मिल रहा था, मुझे नहीं लगता कि अस्सी और नब्बे फीसदी लाने वाले को भी मिलता होगा। यही हाल हमारी क्रिकेट का है एक औसत खिलाड़ी ५५ फीसदी वाला भी भगवान नजर आने लगता है, क्योंकि और तो दस गांवों में पास नहीं हो रहे। क्रिकेट भी दस गांवों (देशों) का खेल है, उसमें भी बांग्लादेश, जिम्बाव्बे और वेस्टइंडीज हैं, जहां अब क्रिकेट नई ऊंचाई नहीं छू रहा। उस पर आईपीएल ने इसे बाजार बनाकर इसके विकास की गुंजाइश को और चोट पहुंचाई है। ऐसे में हमें और खेलों की ओर भी देखना चाहिए, जहां खिलाड़ियों के नतीजे का औसत अस्सी-नब्बे फीसदी होता है। मगर वे भगवान नहीं होते क्योंकि उनका खेल लगातार तरक्की कर रहा है और कंपीटीशन ऊंचा होता जा रहा है। क्रिकेट का भी विकास होगा और रिकी पोंटिंग से हम सचिन की तुलना नहीं कर सकते पोंटिंग टीम के लिए खेले हैं और व्यक्तिगत रिकार्ड से ज्यादा उन्होंने टीम लीडर के रूप में जो कर दिखाया सचिन से वह उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। भारत ने दो बार विश्वकप जीता है एक बार एक वनडे का और एक बार ट्वेंटी-ट्वेंटी का। कमाल की बात यह है कि दोनों बार यह कारनामा बिना सचिन के ही हुआ है। इस लिए हमलोगों को भी व्यक्तिपूजा की जगह टीम की बात करनी चाहिए। खेलना खिलाड़ी का काम है। जहां तक खिलाड़ियों के प्रदर्शन का सवाल है क्रिकेट अभी चर्म पर नहीं पहुंचा है। अगर क्रिकेट विस्तार करता है तो भविष्य में सत्तर या अस्सी के औसत वाले खिलाड़ी अगले पांच दस सालों में सामने आ सकते हैं, तब वह काम जो सचिन ने बीस साल में किया है हो सकता है दस साल में हो जाए। मुझे लगता है कि क्रिकेट अभी विकास करेगा। भले ही बाजार खिलाड़ियों का ध्यान भटकाता रहे। गंदगी फैलाता रहे, चारण-भाट उन्हें गुमान देते रहें।

सुधीर राघव ने कहा…

भगवान बनाने का बिजनेस कोई नया नहीं, वीरेंद्र जी कहीं रास्ते की सरकारी जमीन पर लोग दो ईंट खड़ी करके भगवान के नाम पर उस जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। वही खेल सचिन के नाम पर खेला जा रहा है। स्तुतिगाने वाले चारणभाट ऐसे ही कब्जा करने वाले लोगों की मदद करते हैं। इसी तरह से सचिन को भगवान बनाकर क्रिकेट को बर्बाद किया जा रहा है। जहां तक ब्रेडमैन के बारे में आपने जो कहा तो आपको जानना चाहिए कि हर आदमी अपने समय की चुनौतियों से ही खेलता है। बल्लेबाजों के लिए क्रिकेट पहले ज्यादा मुश्किल थी। बल्लेबाजों के लिए मुफीद पिचें तो अब बनती हैं। भारतीय विकेट इसके लिए काफी बदनाम रही हैं।
जहां कोई पेड़ नहीं होता वहां अरंड का पौधा भी पेड़ माना जाता है। एक उदाहरण देता हूं, गांव के सरकारी स्कूलों का हाल और हमारी क्रिकेट का हाल एक जैसा है। जून का महीना था मैं गांव गया था। दसवीं का नतीजा आया था, शाम को एक लड़का मिठाई लेकर आया। पता चला कि वह जितने नंबरों से पास हुआ है उतने आसपास के दस गांवों में किसी के नहीं आए। सब उसकी प्रशंसा कर रहे थे, उसे ऐसे देख रहे थे जैसे भगवान हो। क्योंकि पहले गांव में इतने नंबर किसी के नहीं आए थे। ज्यादातर लड़के तो फेल हुए हैं। मैंने पूछा कितने नंबर हैं तो पता चला कि पचपन फीसदी हैं। जितना सम्मान उसे अपने आसपास मिल रहा था, मुझे नहीं लगता कि अस्सी और नब्बे फीसदी लाने वाले को भी मिलता होगा। यही हाल हमारी क्रिकेट का है एक औसत खिलाड़ी ५५ फीसदी वाला भी भगवान नजर आने लगता है, क्योंकि और तो दस गांवों में पास नहीं हो रहे। क्रिकेट भी दस गांवों (देशों) का खेल है, उसमें भी बांग्लादेश, जिम्बाव्बे और वेस्टइंडीज हैं, जहां अब क्रिकेट नई ऊंचाई नहीं छू रहा। उस पर आईपीएल ने इसे बाजार बनाकर इसके विकास की गुंजाइश को और चोट पहुंचाई है। ऐसे में हमें और खेलों की ओर भी देखना चाहिए, जहां खिलाड़ियों के नतीजे का औसत अस्सी-नब्बे फीसदी होता है। मगर वे भगवान नहीं होते क्योंकि उनका खेल लगातार तरक्की कर रहा है और कंपीटीशन ऊंचा होता जा रहा है। क्रिकेट का भी विकास होगा और रिकी पोंटिंग से हम सचिन की तुलना नहीं कर सकते पोंटिंग टीम के लिए खेले हैं और व्यक्तिगत रिकार्ड से ज्यादा उन्होंने टीम लीडर के रूप में जो कर दिखाया सचिन से वह उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। भारत ने दो बार विश्वकप जीता है एक बार एक वनडे का और एक बार ट्वेंटी-ट्वेंटी का। कमाल की बात यह है कि दोनों बार यह कारनामा बिना सचिन के ही हुआ है। इस लिए हमलोगों को भी व्यक्तिपूजा की जगह टीम की बात करनी चाहिए। खेलना खिलाड़ी का काम है। जहां तक खिलाड़ियों के प्रदर्शन का सवाल है क्रिकेट अभी चर्म पर नहीं पहुंचा है। अगर क्रिकेट विस्तार करता है तो भविष्य में सत्तर या अस्सी के औसत वाले खिलाड़ी अगले पांच दस सालों में सामने आ सकते हैं, तब वह काम जो सचिन ने बीस साल में किया है हो सकता है दस साल में हो जाए। मुझे लगता है कि क्रिकेट अभी विकास करेगा। भले ही बाजार खिलाड़ियों का ध्यान भटकाता रहे। गंदगी फैलाता रहे, चारण-भाट उन्हें गुमान देते रहें।

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Sudhir ji.. Sachin ne Indian cricket ko 8-10 saal apno kandhon par dhoya hai.

Ek zammane men Tendulkar ke out hote hi log TV band kar dete the.

Lekin Ponting ke out hone par kisi Austrailian ne TV band kiya ho, ye Samachaaron men kabhi nahin suna.

Achievements ke baat karte hue ye bhi dhayaan rakhan chaaayiye ki

Sachin ne jitne pressure me khelaa hai

utne pressure men Ponting ne khela hota to Sachin ki tulna Ponting se achii lagti.

Kul milakar SAchin, Ponting par kai maamlon men Bhaari padte hain.

haan
Sachin ko bhagvaan kahne ke maamle men bhai jo jaisa soche , soch sakta hai.

Ye to person -person depend karta hai.

vaise bhi kavita ho ya vayang 100 % satya nahin ho sakta.

manjeet ने कहा…

:)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Wah Sachin..........sayad iss post ko dekh kar ek aur dohra shatak maar bhi diya.........SAchin ne.....:)


wah wah!

Unknown ने कहा…

वीरेंदर जी आपने काफी अच्छा लिखा... अच्छे सवाल किये. लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि श्री सुधीर जी और एक दो जो सचिन के आलोचक हैं, वे आपकी और मेरी बात से कभी सहमत नहीं हो सकते. इसके पीछे एक वजह है. वह ये कि उनको लगता है कि वो जो सोचते हैं सिर्फ और सिर्फ वही सही है. दूसरों को घोसले से बाहर निकलने की नसीहत देने वाले खुद उसी में कैद हैं और बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. सचिन को भगवान तब कहा जाता है, जब क्रिकेट को धरम कहा जाता है. इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि श्री सुधीर जी जवाब लिखते वक्त कितने उत्तेजित थे, क्योंकि उन्होंने सचिन कि बुरे करने के लिए टोपिक से हटकर अन्य खेलों को भी अपने दायरे में ले लिया. खैर, मुझे इस बात कि ख़ुशी है कि वे भी खुलकर ये नहीं कह पाते कि सचिन महान खिलाडी नहीं है. कुल मिलाकर सचिन के प्रसंशक तो वे भी हैं पर उतने बड़े नहीं जितने कि हम, और हम जैसे 'चारण-भाट'. हा हा
सचिन इज ग्रेट!!!!!!!!!

-Aamin

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

sachin shandaar khiladi hain
unka jabab nahin

Vijay K Shrotryia ने कहा…

congratulations.... keep it up.... expressions par excellence...

Anand ने कहा…

आमीन भाई को शुभकामनाये मेरी तरफ से संजय..

कोशिश बहुत अची थी, एक दिन आप कुशल लेखक बनकर उभरे यही कामना है | इस कविता या सचिनगान के बाद मै कुछ सलाह देना चाहूँगा अपने स्थर पर, कृपा कर बुरा न माने | अभी आपकी लेखनी मुझे इतनी प्रभावशाली नहीं लगी| यह मेरे अपने विचार है| आप अभी और पढ़े और शब्दों को, कविता शैली को और घहराई से समझे और अपनी कविता में उतारे | कुछ भी लिखने से पहले आचे से सोचे और अंतिम रूप देने से पहले खुद उसकी हर तरह से आलोचना कर ले | मै खुद अभी इसी दौर से निकल रहा हूँ | अभी बहुत कुछ है सिखने को | पर मै कुछ गलत विचार नहीं लिखना चाहता था | कृपया छमा करे |

रही बात सचिन की और बाज़ारवाद की तो मेरे विचार में :-
सचिन बहुत महान हैं और हम सभी भारतवासी को उनपे नाज़ है | वीरेंदर जी आप अपनी जगह पे सही है और सुधीर जी अपनी जगह पे | जरूरत है तो हम सभी को एक दुसरे के भावनाओ की समझने की | सचिन टीम के लिए खेलते है, देश के लिए खेलते है लेकीन बाज़ार के सौदागर उनका इस्तेमाल करने नहीं चुकते |
ए गलती उनकी नहीं हमारी है | हमें क्रिकेट की और समाज की सीमा को पहचान के उनके फर्क को समझना होगा | हमें अच्छी शिक्षा ही ग्रहण करना चाहिए गलत नहीं | सर ब्राडमैन या सचिन दोनों ने क्या अच्छा किया जो हमें सिख प्रदान करती है वों सीखते है न, वों किस्मे चुक गए इस्पे क्यों बहस?

पर हाँ किसी को भगवन बनाने के पक्छ में मै कभी नहीं रहा | इंसान, इंसान ही बन जाए तो सभी का भला हों जाये | कुछ गलत कहा तो तो छमा चाहूँगा | आशा है आपलोग निराश नहीं करेंगे | फिर मिलन की आस में....

आनंद
काव्यलोक

Anand ने कहा…
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बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

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