23 अप्रैल 2010

सरकार हमसे उम्मीद कर रही है की हम बिजली बचायेंगे.


वो आती है तो पूरा शहर जश्न मनाता है. लोगों के चेहरे खिल जाते हैं. और उसके जाते ही हो जाता है सन्नाटा. न घर में चैन न बाहर. पर अफ़सोस की पहले इसने मोहाली से मुहं मोरा और अब चंडीगढ़ को भी दरसन देने कम कर दिये हैं. खूब नखरे दिखा रही है बिजली रानी. दिखाएँ भी क्यों नहीं. आखिर हमने उसे इतना सर जो चढा लिया है. हवा और पानी से जरूरी जो बना लिया है. एक दिन भूखे तो रह सकते हैं पर बिन बिजली के नहीं. अब पुरवाई से हमें शीतलता का अहसास नहीं होता. अपनी काया को तो कूलर की हवा लगनी चहिये. सूरज की रोशनी से अपना गुजारा नहीं होता बलब रोशन होना चाहिए. कोढ़ में खाज यह है की इसे बर्बाद करने के भी पुरे प्रबंध हमने कर लिए है. बचत अब हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं रही. जब हम पानी ही नहीं बचा रहे तो हमसे बिजली की बचत की उम्मीद करना बेमानी है. भले ही सरकार हमसे कितनी ही विनती करे की बिजली बचाओ, नही तो अँधेरे में रहना परेगा. कौन परवाह करता है. परसासन ने चंडीगढ़ में लॉन सिचने पर रोक लगाई है. फिर भी अपने लॉन की घास का गला तो हम रोज तर करतें हैं भले ही परोसी के बच्चे प्यासे रह जाएँ. और मुर्ख सरकार हमसे उम्मीद कर रही है की हम बिजली बचायेंगे. हमारा कम बिजली, पानी बर्बाद करना और फिर इनकी कमी होने पर सरकार को कोसना है.

25 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

आप से सहमत हूँ।

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' ने कहा…

संजय भैया ........सामयिक पोस्ट ..........उम्दा प्रस्तुती ..........हमे कब सदबुध्धि आयेगी और हम सुधरेगे ............खैर अभी तो मैं जवान हूँ बिजली नहीं ........सिर्फ बिल की चिंता करता हूँ ........रोकड़ा कमाना हैं न यार ................

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

कडुवासच ने कहा…

....दमदार अभिव्यक्ति !!!

kshama ने कहा…

Bahut sahi kaha.. sach hai,ki, apwyay kee adat-si pad gayi hai...

SANSKRITJAGAT ने कहा…

bahut khoob

vaicharik kranti ke liye shubhkamnaayen

हर्षिता ने कहा…

सही कहा आपने।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

भई बड़ी सुथरी बात कही।
पण पब्लिक समझेगी जद तो।

राम राम

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सटीक पोस्ट.

रामराम.

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

i am agree with you, in this matter.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सच है, पानी तो बचा नहीं पा रहे, बिजली क्या बचायेंगे हम. कुछ ऐसे ही हाल मध्य-प्रदेश के भी हैं.दिन में स्ट्रीट लाइट्स जलती रहतीं हैं, और रात में रौशनी को रोते हैं. शानदार पोस्ट.

nilesh mathur ने कहा…

कड़वा सच लिखा है! बहुत अच्छा !

Urmi ने कहा…

आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है! मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ!

बेनामी ने कहा…

bikul sahi kaha aapne...
agar aaj humne is taraf dhyan nahi diya to..
shayad hamari aane waali naslon ke liye pani, bijli aur aisi kayi cheejein nahi bachengi....
achhe vichar.........
mere blog par ek nayi kavita intzaar.........
aapka intzaar rahega.......

Arpita ने कहा…

aaj kal maine bhi aapka blog follow karna shuru kar dia hai, likhte rahiye.

Unknown ने कहा…

Ram Narayan Ray Janakpur Nepal nw (k.s.a.) Riyadh

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' ने कहा…

संजय भैया आज सुबह से मैं बिजली चोरी वालो का सर्वे करने जा रहा हु ............आपकी पोस्ट साथ लिए जा रहा हु ......................

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मेरी अपनी बात तो इस संबंध में यह है -
--
सारी बिजली तो सरकार ख़ुद ही बचा ले रही है,
कटौती कर-करके!
--
अब हम तो तब बचा पाएँगे,
जब हमें बिजली मिलेगी!

रचना दीक्षित ने कहा…

क्या खूब लिखा है!!!!!!!!!!!!!!!

Unknown ने कहा…

बहुत सटीक पोस्ट.

Unknown ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.

Dev ने कहा…

lajwaab prastuti ......bijli ki shikayt ko badi rochkta se likha hai aapne ...bahut badhiya

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

bahut hi samsaamyin prastuti...
ek jwalant samasya ko suljhaane ke liye sahi samay par sahi ahwaan...
accha laga padhna...

Unknown ने कहा…

क्या खूब लिखा है!!

ajeet ने कहा…

बिल्कुल सही फ़रमाया है!.........