06 फ़रवरी 2012

......अनाम रिश्ते.....संजय भास्कर

आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ  पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई कविता के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी..!!




कुछ रिश्ते अनाम होते है 
पर वो रिश्ते दिल के करीब होते है 
अनाम होने पर भी रिश्ते 
........... कायम रहते है !
पर जब भी उन्हें नाम देने की कोशिश 
.............की जाती है !
तो जाने क्‍यूँ
वो रिश्ते लड़खड़ाने लगते है 
नाम से रिश्ते तो बन्ध जाते है !
पर बेनाम आगे बढते जाते है 
न कोई बंधन और न ही कोई सहारा 
सच्ची मुस्कान लिए होते है 
..............अनाम रिश्ते !
सभी बन्धनों से मुक्त ,
बिना किसी सहारे के लम्बी दूरी तक 
साथ निभाते है अनाम रिश्ते ! 
हमेशा दिल के पास होते है 
ये अनाम रिश्‍ते
अपनेपन का नाम साथ लेकर ही
.............बस खास होते है !


-- संजय भास्कर

23 जनवरी 2012

सभी के दिलों में हमेशा अमर रहेंगे महानायक - नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

जिन लोगों ने देश की स्वतन्त्रता के लिए अपना सर्वस्व यहाँ तक कि प्राण तक न्यौछावर कर दिया,नेताजी सुभाषचन्द्र बोस भी उन महान सच्चे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों में से एक हैं जिनके बलिदान का इस देश में सही आकलन नहीं हुआ  देश को स्वतन्त्रता सिर्फ गांधी जी और नेहरू जी के कारण ही मिली। हमारे भीतर की इस भावना ने अन्य सच्चे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों को उनकी अपेक्षा गौण बना कर रख दिया। हमारे समय में तो स्कूल की पाठ्य-पुस्तकों में यदा-कदा “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी…”, “अमर शहीद भगत सिंह” जैसे पाठ होते भी थे किन्तु आज वह भी लुप्त हो गया है

सुभाष चंद्र बोस
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     पूरा नाम           सुभाष चंद्र बोस
    प्रचलित नाम           नेताजी
    जन्म           23 जनवरी, 1897
    जन्म भूमि           कटक, उड़ीसा, भारत
    अविभावक          जानकीनाथ बोस, प्रभावती
    धर्म          हिन्दू
   आंदोलन          भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
   विद्यालय         प्रेज़िडेंसी कॉलेज, स्कॉटिश चर्च कॉलेज, केंब्रिज विश्वविद्यालय
   शिक्षा         स्नातक
  प्रमुख संगठन         आज़ाद हिन्द फ़ौज़
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का      जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा में कटक शहर में हुआ था सुभाष ने 7 जनवरी 1942 को बर्लिन में आजाद हिंद फौज की स्थापना की| उस समय इस फौज में लगभग 4000 जवान थे| इस फौज का उद्देश्य भारत को अंग्रेजी सरकार से आजाद कराना था| धीरे धीरे आजाद हिंद फौज में सैनिकों की संख्यां बढती गयी और लगभग तीस हजार तक सैनिकों की संख्या पहुँच गयी| जापान के प्रधानमन्त्री ने सुभाष को भारत कि आजादी में सहायता देने का वचन दिया था| 5 जुलाई वर्ष 1943 को नेताजी ने सिंगापुर टाउन हाल के पास एक भारी जनसभा में घोषणा करी की हम भारत को आजाद कराके रहेंगे| उन्होंने लोगो से यह भी कहा कि 'तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दूंगा'| आजाद हिंद फौज के सैनिकों ने 18 मार्च 1944 को असम कि धरती पर प्रवेश किया| लेकिन अमेरिका ने जब हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम डाले तब जापान सरकार ने अपने हथियार डाल दिए| हजारों भारतीय सैनिकों को भी बंदी बना लिया गया था| सुभाष चन्द्र बोस अपने दुश्मनों के हाथों नहीं मरना चाहते थे इसलिए जंग को जारी रखने के लिए उन्होंने 17 अगस्त 1945 को सिंगापुर से टोकियो कि और उड़ान भरी| लेकिन दुर्भाग्यवश उनके विमान किसी तरह कि खराबी हो गयी और उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया|

भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को 1992 में 'भारत रतन' से सम्मानित किया| आजादी के लिए उन्होंने जितने भी कार्य और प्रयास किये उन्हें भुलाया नहीं जा सकता| वे हम सभी कि दिलों में हमेशा अमर रहेंगे
सुभाष चंद्र बोस, प्यार नेताजी के रूप में कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सफल परिणति में सुभाष चन्द्र बोस का योगदान कम नहीं है. उन्होंने भारतीय इतिहास के इतिहास में अपनी सही जगह का खंडन किया है उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी ( आजाद हिंद फ़ौज ) की स्थापना के लिए भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने और भारतीय जनता के बीच पौराणिक दर्जा हासिल किया !

 सुभाष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय देश भर में घूमें और निष्कर्ष निकाला-
हमारी सामाजिक स्थिति बद्तर है, जाति-पाति तो है ही, ग़रीब और अमीर की खाई भी समाज को बाँटे हुए है। निरक्षरता देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। इसके लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। सुभाष चंद्र बोस
कांग्रेस के अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस ने कहा-
मैं अंग्रेज़ों को देश से निकालना चाहता हूँ। मैं अहिंसा में विश्वास रखता हूँ किन्तु इस रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता काफ़ी देर से मिलने की आशा है।
क्रान्तिकारियों को बोस ने सशक्त बनने को कहा। वे चाहते थे कि अंग्रेज़ भयभीत होकर भाग खड़े हों। वे देश सेवा के काम पर लग गए। दिन देखा ना रात। उनकी सफलता देख देशबन्धु ने कहा था-
मैं एक बात समझ गया हूँ कि तुम देश के लिए रत्न सिद्ध होगे।
सुभाषचन्द्र बोस उन महान सच्चे स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों में से एक हैं जिन्होंने देश की स्वतन्त्रता के लिए अपना सर्वस्व यहाँ तक कि प्राण तक न्यौछावर कर दिया !

नेताजी ने हमें -"जय हिन्द," और " तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूँगा" का महामन्त्र दिया ।
स्वदेशाभिमान के बारे में नेताजी न कहा था.....

यदि
स्वदेशाभिमान सीखना है,

तो
मछली से सीखो ...

जो
स्वदेश (पानी ) के लिए
तड़प - तड़प कर
अपनी जान दे देती है।



मेरी पसंद और नेता जी को समर्पित यह कविता आपको समर्पित कर रहा हूँ ....!


है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।।
अक्सर दुनियाँ के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं ।।

यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है।
जो रक्त कणों से लिखी गई,जिसकी जयहिन्द निशानी है।।
प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था । 
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था।।

यह वीर चक्रवर्ती होगा , या त्यागी होगा सन्यासी।
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी।।
सो वही वीर नौकरशाही ने,पकड़ जेल में डाला था ।
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था।।

बाँधे जाते इंसान,कभी तूफ़ान न बाँधे जाते हैं।
काया ज़रूर बाँधी जाती,बाँधे न इरादे जाते हैं।।
वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था,जो मौका पाकर निकल गया।
वह पारा था अंग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया।।

जिस तरह धूर्त दुर्योधन से,बचकर यदुनन्दन आए थे।
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के,पहरेदार छकाए थे ।।
बस उसी तरह यह तोड़ पींजरा , तोते-सा बेदाग़ गया।
जनवरी माह सन् इकतालिस,मच गया शोर वह भाग गया।।

वे कहाँ गए, वे कहाँ रहे,ये धूमिल अभी कहानी है।
हमने तो उसकी नयी कथा,आज़ाद फ़ौज से जानी है।।


सुभाष चन्द्र बॉस जी पर लिखी ये कविता अवनीश आनंद जी के ब्लॉग से मिली

छवि और जानकारी गूगल से साभार 

भारत माता से महान सपूत को मेरा सलाम 

-- संजय भास्कर 

27 दिसंबर 2011

सांपला ब्लोगर मिलन ना भूलने वाले पल......संजय भास्कर

सांपला ब्लोगर मिलन ना भूलने वाले पल
साँपला ब्लोगेर मिलन के कुछ पल ऐसे थे जिन्हें शायद सभी कभी नहीं भूल पाएंगे
पूरे उत्साह के साथ  आखिर ढूंढते -ढूंढते हम भी पहुच ही गए साँपला आखिर ब्लॉगर मिलन में जाना था !

मुख्य द्वार
तारीख...24 दिसंबर 2011
स्थान...रेलवे रोड धर्मशाला, सांपला, हरियाणा
वक्त...दोपहर 12 से शाम 5 बजे
मेज़बान...राज भाटिया जी, अंतर सोहेल, सांपला सांस्कृतिक मंच के सदस्य


सभी खड़े होकर फोटो खिचवाते हुए
उपस्थिति...


राज भाटिया (पराया देश, छोटी छोटी बातें)
इंदु पुरी (उद्धवजी)
अंजु चौधरी (अपनों का साथ)
वंदना गुप्ता (जख्म…जो फूलों ने दिये, एक प्रयास)
खुशदीप सहगल (देशनामा, स्लॉग ओवर)
महफूज अली (लेखनी…, Glimpse of Soul)
यौगेन्द्र मौदगिल (हरियाणा एक्सप्रैस)
अलबेला खत्री (हास्य व्यंग्य, भजन वन्दन, मुक्तक दोहे)
संजय अनेजा (मो सम कौन कुटिल खल…?)
राजीव तनेजा (हँसते रहो, जरा हट के-लाफ्टर के फटके)
संजू तनेजा
जाट देवता (संदीप पवाँर) (जाट देवता का सफर)
संजय भास्कर (आदत…मुस्कुराने की)
कौशल मिश्रा (जय बाबा बनारस)
दीपक डुडेजा (दीपक बाबा की बक बक, मेरी नजर से…)
आशुतोष तिवारी (आशुतोष की कलम से)
मुकेश कुमार सिन्हा (मेरी कविताओं का संग्रह, जिन्दगी की राहें)
पद्मसिंह (पद्मावली)
सुशील गुप्ता (मेरे विचार मेरे ख्याल)
राकेश कुमार (मनसा वाचा कर्मणा)
सर्जना शर्मा (रसबतिया)
शाहनवाज़ (प्रेम रस)
अजय कुमार झा (झा जी कहिन)
कनिष्क कश्यप (ब्लॉग प्रहरी)
केवल राम (चलते-चलते, धर्म और दर्शन)




अंतर सोहेल, मैं ,केवल राम ,जाट देवता राजेश सहरावत जी गन्ने का आनद उठाते हुए


अंतर सोहेल ( मुझे शिकायत है, सांपला सांस्कृतिक मंच )
( जिन सज्जनों के नाम मुझसे छूट गए हो तो माफ़ी  )


  श्रीमती राकेश , सर्जना शर्मा ,केवल राम जी , श्री एवं श्रीमती राज़ भाटिया ,पीछे संजय भास्कर यानी मैं , वंदना गुप्ता जी एवं संजू तनेजा जी 

हिंदी ब्लॉगिंग का सबसे यादगार दिन

 पदम सिंह जी राज भाटिया जी के गले लगते हुए और इंदु बुआ जी

सर्जना शर्मा, वंदना गुप्ता,अलबेला खत्री, कुश्दीप जी 

सांपला ब्लोगर मीट ना भूलने वाले पल 

और सबसे अंत में अगले दिन का सभी का ग्रुप फोटो 


ज्यादा समय न होने कारन ज्यादा नहीं लिख पाया पर आप तस्वीरों को देखर ही अंदाजा लगा ले !
 विस्तृत सपला रिपोर्ट आप सभी जाट देवता ,खुशदीप सहगल जी, अजय झा जी के ब्लॉग पर पढ़ ही चुके है

ब्लॉगर स्नेह मिलन की :-
कुछ फोटोग्राफ्स  जाट देवता (संदीप पवाँर) कुछ अजय कुमार झा जी से साभार 


-- संजय भास्कर 

09 दिसंबर 2011

ये लो हम भी हुए दस हजारी.....संजय भास्कर

 आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार ............कुछ कार्यो में व्यस्त होने के कारण काफी दिनों से ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ - पर अब एक बढ़िया दिन और बढ़िया खबर के साथ आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ ।

खबर ये है की हम भी हो गए है दस हजारी 
हमरे ब्लॉग पर टिप्पणियों का आंकड़ा दस हजार से ऊपर हो गया है

      कुल  प्रविष्टियाँ - 241
              कुल समर्थक सदस्य - 339
              कुल टिप्पणिया - 10116
              ब्लॉग शुरुवात- 03 सितम्बर 2009
              प्रथम कविता- "याद जताने के लिए नही होती": (03 सितम्बर 2009)
              प्रथम कविता पर टिप्पणियां- 9
              प्रथम टिपण्णी-       nidhitrivedi28 ने कहा…
                  That's true..."याद जताने नही होती"...    few But strong words.  
     लोकप्रिय कवितायेँ-
                           " अहसास "------ 16 मई 2011( 145 टिप्पणियां )
                           " खामोश तू रही "----------29 अप्रैल 2011 ( 160 टिप्पणियां )
                           " आशीर्वाद चाहिए आपका जिंदगी के लिए"-----------23 मार्च 2011(204 टिप्पणियां)
                           "लड़की कि दास्तान" -------------21 फरवरी 2011 (205 टिप्पणियां)
        सर्वाधिक टिप्पणियां------205(लड़की कि दास्तान - 21 फरवरी 2011)    
        दस हजारी  टिपण्णी-------- Sajan Aawara ने कहा…
                                             बहुत खूब लिखा है -कभी विदेश नहीं जाऊंगा आज फिर एक इलज़ाम हमारे सर आया ब्लॉग के तेंदुलकर को दसहजारी बनाया  दस हजार कमेन्ट के ढेर सारी बधाई आपको - जय हिंद जय भारत                                         11/17/2011(विदेश जाने कि इच्छा छोड़ दे भारतीय -( 07 नवम्बर 2011 )
आपके असीम प्यार एवं प्रोत्सन के लिए संजय भास्कर का दस हजारी सलाम,दस हजारी नमन!!!!!
आशा है ये आशीर्वाद सदा मुझपर कायम रहेगा!!!!
दस हजारी धन्यवाद !!!

ब्लॉग जगत के सभी साथियों का तहे दिल से शुक्रिया....!
 
-- संजय भास्कर.... :-)

07 नवंबर 2011

विदेश जाने की इच्छा छोड़ दे भारतीय........ संजय भास्कर


आज के समय में भारत का हर नागरिक विदेश जाने की इच्छा रखता है | जिससे भी पूछो वही यही कहेगा जो सुख विदेश में मिलता है वो भारत में कहाँ | भारत को छोड़कर विदेश जाएं की चाह में आज न जाने
कितने लोग इस ग़लतफहमी में है की विदेश जा कर ही बहुत सारा पैसा कमा सकेंगे विदेश जा कर ही नाम कमा सकेंगे , क्या इस सब चीजो की हमारे देश में कोई कमी है ? क्या भारत देश में रह कर नाम
नहीं कमाया जा सकता |
हमारे देश में भी सब सुख सुविधाए उपलब्ध है जो विदेशो में है , अगर पूरी लगन ,
मेहनत के साथ काम किया जाये तो यहाँ रह कर भी नाम  कमाया जा सकता है | विदेश  जाने वाले ये नहीं सोचते की भारतभूमि ऊनके बारे में क्या सोचेगी , भारत भूमि यही सोचेगी की जिन बच्चो का जन्म भारत भूमि पर हुआ वो उस भूमि को छोड़ कर जा रहे है | क्या बच्चो को अपनी भारतभूमि पर विश्वास नहीं था जो दोस्रो की जमीन पर पैर रखने जा रहे है |
भारत भूमि को छोड़कर विदेश जाने की लालसा दिन प्रतिदिन लोगो में बढती जा रही है | इसका कारण यह है 
विदेशी सभ्यता ने भारतीयों की सोचने समझने के तरीके को ही बदल दिया है , आज के समय में विदेश
जाने के लिए भारतीय नागरिक किसी भी हद तक जा सकता है भारत के नागरिको पर विदेशी माया का भूत इस कदर सवार हो चूका है , कि वो विदेश जाने के चक्कर में अपने घर बार ,जमीन आदि बेचकर जो पैसा इक्कठा करते है और उस पैसे को गलत हाथो में दे देते है , आज के दौर में लोग लाखो रूपये  ट्रेवल एजेंटो को सोप कर चले जाते है और या समझने लगने लगते है शायद विदेश जाएं के रास्ते खुल गये  | आज के समय में भारत में बहुत से ऐसे व्यक्ति और एजेंसिया है जो भोले- भाले लोगो को विदेश भेजने के नाम पर लाखो रूपये ऐठ लेते है |
    ट्रेवल एजेंट लोगो को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों  में फसा कर उनका घर उजाड़ देते है  आज तक ना जाने  कितनो  के साथ ऐसा धोखा हो चूका है पर हम लोग फिर भी  सबक नहीं सीखते  है भारतीयों ये समझ लेना चहिये की , जो सुख शांति पैसा रिश्ते नाते रीती रिवाज आपस का भाई चारा  भारत में मौजूद है | वह  विश्व के किसी कोने में नहीं है  भारतीयों में जो अपने पन की भावना है वो कहीं नहीं है ! परन्तु आज भारत देश को 
ऊँचे शिखर तक ले जाने के लिए हमे सच्ची लगन व्  इमानदारी से देश की सेवा करनी होगी |
......सभी भारतीयों  की अपने देश की शान के लिए  अपने जान तक न्योछावर कर देना  चाहिए |
इस बात को भारतीय अच्छी तरह से जान ले की विदेश में भारतीय पैसा तो कमा लेते है पर प्यार और अपनेपन की भावना को खो देते है |
.....इसीलिए भारतीय विदेश जाने की इच्छा न करे क्योकि जो प्यार और अपनेपन की भावना भारत देश 
में है और कहीं भी नहीं है ..............!

-- संजय भास्कर