आदरणीय कुसुम कोठारी ब्लॉग (मन की वीणा) की लेखिका कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' जी की किसी भी रचना को पढ़ने का अर्थ होता है उस विषय को गहनता से समझना और प्रेरित होना करीब चार वर्ष से लेखिका कुसुम कोठारी का ब्लॉग पढ़ रहा हूँ उनकी लिखी रचनाओं में बात चाहे प्रकृति के श्रृंगार की हो या अन्य कोई भी विषय हो ,कुसुम जी हर विधा में माहिर हैं कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं काव्य की अनेक विधाओं पर इन्हें महारत हासिल है. मुख्यतः शुद्ध प्रांजल हिंदी में कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' जी की किसी भी रचना को पढ़ने का अर्थ होता है उस विषय को गहनता से समझना और प्रेरित होना। वह एक बहुत अच्छी लेखिका होने के साथ ही बहुत अच्छी पाठिका भी हैं और हमेशा से रचना के मर्म को समझ कर अपनी प्रतिक्रियाओं के माध्यम से कलमकारों को ऊर्जावान बनाती आई हैं कभी राजस्थानी में और कभी-कभी उर्दू में भी इनकी रचनाएँ देखने को मिलती हैं आदरणीय कुसुम जी के प्रकृति श्रृंगार के तो क्या कहने ? ऐसा छायाचित्र उकेरती हैं कि पाठक सम्मोहित हुए बिना न रह सके, विविधता भरा उनका लेखन बड़ी प्रेरणा देता है हम उनसे निरंतर सीख लेते हैं जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। जितना निर्मल इनका सृजन है उतने ही निर्मल हृदय की स्वामीनी है।
इनके नवगीतों में अद्भुत बिम्ब एवं व्यंजनाएं पाठक को विस्मित कर देती हैं......कुसुम कोठारी जी से मिलने का सौभाग्य अभी तक नही प्राप्त हुआ कुसुम जी के लिए कई दिनों से लिखने का मन था पर समय नही मिला पर आज समय मिलते ही सोचा प्रज्ञा जी के बारे में कुछ लिखा जाये उनके लेखन से मैं बहुत ही प्रभावित हूँ अंत मे कुसुम जी की एक रचना साँझा कर रहा हूँ..........
शीर्षक है.....जीवन चक्र यूँ ही चलते हैं
हम वहीं खड़े रह जाते हैं
उमंग से उठता है मचलता है
कैसे किनारों पर सर पटकता है
जीवन चक्र यूँ ही चलता है
साल आते है...
कभी टूटे ख्वाबों की किरचियाँ
कभी उगता सूरज भी बे रौनक
कभी काली रात भी सुकून भरी
साल आते हैं....
कभी गर्मियों सा दहकता
कभी बंसत सा मन भावन
कभी पतझर सा बिखरता
साल आते हैं....
कभी मुठ्ठी की रेत सा फिसलता
जिंदगी कभी बहुत छोटी लगती
कभी सदियों सी लम्बी हो जाती
साल आते हैं....
-- संजय भास्कर
19 टिप्पणियां:
आपकी द्वारा रचित “कुछ मेरी कलम से” में कुसुम कोठारी जी के लेखन के बारे में पढ़ना बेहद सुखद अनुभूति है । उनकी कलम का जादू लेखन की हर विधा पर बाखूबी चलता है । सृजन के प्रति कुसुम जी का असीम अनुराग अनुकरणीय है ।
प्रिय संजय, हमारी प्रिय विदुषी बहन कुसुम कोठारी जी से मेरा परिचय गूगल प्लस पर हुआ। तब वे शायद ब्लॉग पर नहीं लिखती थी। उसके बाद ही शायद उन्होने नियमित ब्लॉग लेखन शुरु किया और देखते ही देखते ब्लॉग जगत में उनकी जो पहचान बनी वह अपनी मिसाल आप है। उनका बहूरंगी लेखन सदैव प्रेरक और हृदयग्राही होता है। साथ ही इनके काव्य सृजन में छायावाद और प्रकृतिवाद की सशक्त झलक मिलती है। हर काव्य विधा में कुसुम जी सिद्धहस्त हैं। गीत, गीतिका,गजल, छंद मुक्त या छन्द युक्त सभी में उम्दा लिखती हैं।और हाँ, उन के उत्तम पाठक होने का परिचय रचनाकारों के लिए लिखी उनकी सुन्दर और भावपूर्ण सारगर्भित प्रतिक्रियाएँ देती हैं।बहुत अच्छा परिचय दिया आपने माननीया प्रबुद्ध कवयित्री काजिसके लिये हार्दिक आभार।जीवन बोध से भरी रचना और सुन्दर चित्र के लिए विशेष रूप से आभार।जितनी सुन्दर उनकी रचनाएँ हैं उतनी ही प्यारी वे खुद हैं।बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं प्रिय कुसुम बहन।आपका लेखन यूँ ही निर्बाध चलता रहे यही कामना है 🙏
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बहुत अच्छी प्रस्तुति
कुसुम जी की सृजनात्मक व्यक्तित्व को समेटना सहज कार्य नहीं है, मगर आपने ये बाखुबी निभाया है संजय जी, एक बार चर्चा मंच की प्रस्तुति में मैंने भी उन्हें समेटने की कोशिश की थी । कुसुम जी की कलम को लेखन की प्रत्येक विधा में महारत हासिल है। मां सरस्वती उनकी लेखनी पर अपनी कृपा बनाए रखें । आपकी इस श्रमसाध्य कार्य के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं । एक अनोखी श्रृंखला में शुरू की है आपने।
मैं अभिभूत हूँ भाई संजय जी आपकी इस पोस्ट के बारे में क्या कहू़ँ निशब्द हूँ।
सच कहूँ तो मैंने इस की कल्पना तक नहीं की थी, पहले फेसबुक और आज यहां पर ये पोस्ट ---
प्रायः आप अच्छे साहित्यकारों और उनकी नव प्रकाशित पुस्तको पर समीक्षा देते रहते हैं जो एक प्रेरक, सकारात्मक और महत्ती कार्य है , इससे हमें साहित्यकारों और उनके सृजन के निकट आने का अवसर प्राप्त होता है।
पर कभी आपकी लेखनी से स्वयं का मूल्यांकन पढ़ूंगी ये सोचा भी नहीं, शायद कभी सोचा भी नहीं कि मेरे बारे में भी लिखा जा सकता है।
आपके इस कार्य से मन प्रसन्नता से भर गया मैं किन शब्दों में आभार व्यक्त करूं यही समझ नहीं आ रहा।
आप ने अपना बहुमूल्य समय निकालकर मेरे सृजन पर एक विहंगम दृष्टि से समालोचनात्मक
आलेख लिख कर मुझे कृतार्थ किया है।
मैं सदैव आभारी रहूंगी।
पुनः आपका और सभी साथियों का आत्मीय आभार।
सादर सस्नेह।
सस्नेह आभार मीना जी आपके मोहक स्नेहसिक्त उदगार सदा मेरी लेखनी को नव ऊर्जा से भरते हैं।
आपका स्नेह मेरे लिए अमूल्य है।
सस्नेह।
रेणु बहन आपकी विस्तृत, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया समय समय पर मुझे उत्साहित करती रहती है , आपकी विश्लेषणात्मक टिप्पणियां सदा मुझे ऊर्जावान करती हैं।
आपकी विहंगम दृष्टि और सकारात्मक लेखनी सदा साहित्यकार को विशेषता का अहसास दिलखती है।
मैं अभिभूत हूँ आपकी प्रतिक्रिया से।
सस्नेह ।
बहुत बहुत आभार आपका कविता जी संजय जी को मैं भी अनंत साधुवाद कहती हूँ।
सस्नेह।
सस्नेह आभार आपका कामिनी जी ।
आप सब का अपार स्नेह आँखों में खुशी की नमी देने वाला है सचमुच भावुक कर रही है आप सबकी टिप्पणियां और संजय भाई का
ये श्रमसाध्य कार्य।
हृदय से आभार आपका।
मैं अभिभूत हूँ भाई संजय जी आपकी इस पोस्ट के बारे में क्या कहू़ँ निशब्द हूँ।
सच कहूँ तो मैंने इस की कल्पना तक नहीं की थी, पहले फेसबुक और आज यहां पर ये पोस्ट ---
प्रायः आप अच्छे साहित्यकारों और उनकी नव प्रकाशित पुस्तको पर समीक्षा देते रहते हैं जो एक प्रेरक, सकारात्मक और महत्ती कार्य है , इससे हमें साहित्यकारों और उनके सृजन के निकट आने का अवसर प्राप्त होता है।
पर कभी आपकी लेखनी से स्वयं का मूल्यांकन पढ़ूंगी ये सोचा भी नहीं, शायद कभी सोचा भी नहीं कि मेरे बारे में भी लिखा जा सकता है।
आपके इस कार्य से मन प्रसन्नता से भर गया मैं किन शब्दों में आभार व्यक्त करूं यही समझ नहीं आ रहा।
आप ने अपना बहुमूल्य समय निकालकर मेरे सृजन पर एक विहंगम दृष्टि से समालोचनात्मक
आलेख लिख कर मुझे कृतार्थ किया है।
मैं सदैव आभारी रहूंगी।
पुनः आपका और सभी साथियों का आत्मीय आभार।
सादर सस्नेह।
आपकी स्नेहसिक्त टिप्पणियाँ सदा ही मुझे ऊर्जावान करती है मीना जी।
आपका स्नेह मेरे लिए अमूल्य है।
सस्नेह आभार आपका।
हृदय से आभार आपका कविता जी सचमुच संजय जी ने श्र्लाघ्य कार्य किया है।
मेरे द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां स्पेम में जा रही है संजय जी शायद ,देख लें वें।
अत्युत्तम हृदयोद्गार,,,,, यूं ही लिखते रहें
अपने आलेख के माध्यम से कुसुम कोठारी जी और उनकी कविताओं से परिचित करवाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत ही सुंदर और सारगर्भित जानकारी कुसुम जी के बारे में दी है आपने संजय भाई ।
मैं भी उनकी लेखनी से प्रेरित होती हूं वे बहुमुखी प्रतिभा और सशक्त लेखनी की धनी है, उन्हें मेरी अनंत शुभकामनाएं।
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Lokasi UMJ
How is Kusum Kothari 'Prajna' described in the article, especially in relation to her proficiency in various genres of literature?
Regard Telkom University
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