03 अप्रैल 2019

कुछ मेरी कलम से कामिनी सिन्हा :)

कुछ समय से कामिनी सिन्हा जी के कुछ आलेखों को ( मेरी नज़र से ) ब्लॉग के माध्यम से पढ़ रहा हूँ जीवन का सारा खेल एक नज़र और नज़रिये का ही तो होता है ,किसी को पत्थर में भगवान नजर आते है किसी को भगवान भी पत्थर के नज़र आते है कामिनी जी हिंदी साहित्य मे संमरण आलेखों को काफी गहराई से लिखती है जिंदगी के ढेरों उलझनों से कुछ समय बचाकर कहानी और लेख के माध्यम से साँझा करती है ! जिस तरह हर इंसान का जिंदगी जीने का अपना ही अंदाज़ होता है उसी तरह जीवन को, जीवन की परिस्थितियों को, समाज को और यह तक की व्यक्ति विशेष को देखने का भी उसका अपना एक नज़रिया होता है ,अपना एक दृश्टिकोण होता है. वो अपनी ही नज़रिये से हर परिस्थिति को देखता है, समझता है, संभालता है और सीखता भी है. यूँ कहे कि सारा खेल नज़र और नज़रिये का है ! कुछ दिनों पहले कामिनी जी का एक आलेख एक खत पापा के नाम जो एक दर्द से भीगा हुआ मर्मस्पर्शी बेटी की खत था मन बहुत दुखी हुआ आपकी व्यथा पढ़ कर । दिवंगत पिताजी को समर्पित ये लेख हर उस बेटी के मन की अव्यक्त भावनाओं को शब्द देता है जिन्होंने आपकी ही तरह जीवन में इस स्नेहमयी छाया को खोया है ! एक बेटी और पिता के बीच हमेशा ही स्नेह का अद्भुत नाता रहा है जिसे लिख पाना बिलकुल भी संभव नहीं ! तुमने उन भावनाओं को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से लिखा है जो उस समय तुम्हारे भीतर उमड़ी होंगी पापा के अंतिम सफ़र के दृश्य मुझे भी अपने दिवंगत पिताजी के बारे में सुनी बातें याद दिला गये | सखी मैं इतनी भाग्यशाली नहीं थी जो अपने पिताजी के साथ उस समय रहती पर उनके साथ भी दर्दनाक कैंसर का यही अनुभव रहा मन की वेदना के ज्वार को तुमने ज्यों का त्यों लेख में उतार दिया ! शब्द - शब्द पीड़ा बही और सब अनकही कह गई पिता के लिए इतनी गहन अनुभूतियाँ सराहना से परे हैं इनसे तुम्हारे उनके बीच के अद्भुत रिश्ते का पता चलता है  कामिनी सिन्हा जी लेखनी से प्रभावित होकर ही उनके के बारे में लिख रहा हूँ पर शायद किसी के बारे में लिखना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है पिता के लिए बेटी के प्यार को शब्दों में पिरोता खत सीधे  दिल से दिल तक जाने में सक्षम रहा सच में बाप-बेटी का रिश्ता कितना अनमोल होता हैं...........उसे शब्दों में बयान करना बहुत ही मुश्किल हैं कामिनी के बारे जो कुछ भी लिखा उनकी लेखनी से प्रभावित हो कर लिखा उम्मीद है सभी पसंद आये !!
मेरी और से निरंतर लेखन के लिए को कामिनी जी को ढेरों शुभकामनाएँ.........!!


-- संजय भास्कर

11 टिप्‍पणियां:

Meena Bhardwaj ने कहा…

कामिनी जी लेखों में भावनाओं की गहराई की छाप बड़ी गहरी दृष्टिगोचर होती है । उनका हर लेख भावभीना व प्रेरक है । आपका कामिनी जी पर लिखा लेख बेहद प्रभावी व उनके लेखन की खूबियों को दर्शाता हुआ है ।

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.4.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3295 में दिया जाएगा

धन्यवाद सहित

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गहरी संवेदनाओं को समेटे ... मन के गहरे तहखाने से लिखी पाती स्वयं ही मन के आवेग को नयी दिशा को प्रेरित करती है ... सुन्दर भावुक कर देने वाली पाती ...
बहुत आभार संजय जी ... इसको पढवाने के लिए ...

Meena sharma ने कहा…

कामिनी जी के लेख जीवन की वास्तविकता से जुड़े होते हैं। मुझे भी उनका लेखन बहुत पसंद है।

रेणु ने कहा…

प्रिय संजय -- बहुत सुंदर विशलेषण किया है आपने सखी कामिनी के मर्मस्पर्शी लेख का | सचमुच ये लेख ब्लॉग जगत में प्रमुखता से पढ़ा किया गया और सभी ने इसमें व्याप्त एक बेटी के पिता के प्रति लगाव को बड़ी शिद्दत से महसूस किया | ये लेख आपके उदार और उत्तम सहयोगी होने का परिचायक है सस्नेह शुभकामनायें |

अनीता सैनी ने कहा…

कामिनी जी के लेख वास्तविकता से जुड़े होते है | बहुत ही प्रभावी लेखन है उन का
सस्नेह शुभकामनायें |

Vocal Baba ने कहा…

कामिनी जी को शुभकामनाएं और बधाईयाँँ। संजय जी आपको भी बधाई।

Kamini Sinha ने कहा…

आदरणीय संजय जी ,आपने मुझे अपने लेख का हिस्सा बनाया ये देख मैं निशब्द हो गयी हूँ ,मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि मैं क्या कहूं ,धन्यवाद कहूं या आभार जताऊं। आपने जो मुझे मान दिया हैं मैं तो उसके काबिल भी नहीं ,ये तो आप का बड़पन हैं जो आपने मेरा परिचय सब से कराया हैं। और मेरा दुर्भाग्य देखे कि मैं इतने दिन बाद आज आपके इस लेख को पढ़ पाई हूँ ,इसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ। वो तो मैं सखी रेणु की शुक्रगुजार हूँ जिन्होने मुझे आपके इस लेख की सुचना दी। शारीरिक अस्वस्थता के कारण काफी दिनों से ब्लॉग पर आना ही नहीं हो पाया। आज थोड़ी स्वस्थ हुई हूँ तो सबसे पहले आपको शुक्रिया कहने आ गई हूँ। आपके इस मान और प्यार के लिए मैं बस आप को कोटि कोटि नमन करती हूँ और विनती भी करती हूँ कि आप हमेशा मेरा मार्गदर्शन करे। मैं तो लेखन की बारीकियों को अच्छे से जानती भी नहीं बस अपनी भावनाओ को शब्दों में ढाल देती हूँ और पापा के नाम खत पापा के वियोग में मेरे मन की उपजी भावनाये ही थी। आप सभी सहयोगी साथीयों ने जो मुझे प्यार और प्रोत्साहन दिया है मेरे लिए वो एक पुरस्कार हैं , आप सभी को कोटि कोटि नमस्कार और दिल से शुक्रिया........

Ankur Jain ने कहा…

बहुत ही उम्दा। इसी तरह ब्लॉगर मित्रो से परिचय कराते रहे।

Anuradha chauhan ने कहा…

कामिनी जी की जितनी तारीफ की जाए कम है उनके लेख बेहद हृदयस्पर्शी और सटीक होते हैं"एक खत पापा ने नाम"बेहद मर्मस्पर्शी खत लिखा था जिसे पढ़ते हुए मेरी आँखे भी नम हो गईं थीं कामिनी जी की लेखनी कमाल की है कामिनी जी को बहुत-बहुत बधाई आपका बेहद आभार आदरणीय

ज्योति सिंह ने कहा…

बहुत ही बढ़िया संजय ,हम सभी तुम्हारे दिल से आभारी हैं,