विभारानी श्रीवास्तव ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है ( विभारानी श्रीवास्तव -- सोच का सृजन यानी जीने का जरिया ) विभारानी जी के लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है एक से बढ़कर एक हाइकू लिखने की कला में माहिर कुछ भी लिखे पर हर शब्द दिल को छूता है हमेशा ही उनकी कलम जब जब चलती है शब्द बनते चले जाते है ...शब्द ऐसे जो और पाठक को अपनी और खीचते है और मैं क्या सभी विभा जी के लेखन की तारीफ करते है...........!!
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कुछ दिन एहले विभा ताई जी की एक पोस्ट पढ़ी
मेरी ख्वाहिश थी
मुझे माँ कहने वाले ढेर सारे होते
मेरी हर बात धैर्य से सुनते
मुझे समझते
ख्वाहिश पूरी हुई फेसबुक पर :))))
.......मेरी आदरणीय ताई जी ये शब्द मुझे भावुक कर गए उनके लिखे शब्द बहुत ही अपनेपन का अहसास कराते है !
मौके कई मिले पर परिस्थियाँ ही कुछ ऐसी थी जिसकी वजह से आज तक ताई जी से मिलने का सौभाग्य नहीं प्राप्त हुआ !
क्योंकि एक लम्बे समय से मैं विभा ताई जी का ब्लॉग पढ़ रह हूँ और फेसबुक स्टेटस भी अक्सर पढता रहता हूँ पर ताई जी के लिए कुछ लिखने का समय नहीं निकल पाया पर आज समय मिला तो तो पोस्ट लिख डाली !
................ विभा ताई जी की उसी रचना की कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ जिसे याद कर आज यह पोस्ट लिखने का मौका मिला....!!
.............मेरी ख्वाहिश थी
मुझे माँ कहने वाले ढेर सारे होते
मेरी हर बात धैर्य से सुनते
मुझे समझते
ख्वाहिश पूरी हुई फेसबुक पर
जब किसी ने कहा
सखी
बुई
ताई
बड़ी माँ
चाची
भाभी
दीदी
दीदी माँ दीदी माँ तो कानो में शहनाई सी ,
धुन लगती है .....
यही बात आज मैं ने फूलो से भी कहा
सभी को अपने बांहों के घेरे में लेकर बताना चाहती हूँ ...
विभा ताई जी के अपार स्नेह और आशीर्वाद पाकर खुशकिस्मत हूँ मैं की उनके लिए आज यह पोस्ट लिख पाया सुंदर लेखन के लिए विभा ताई जी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ....!!!
(C) संजय भास्कर
57 टिप्पणियां:
अति सुन्दर सोच का सृजन करती प्रस्तुति
माई ताई बूआ काकी चची दादी और न जाने कितने नामों से महिमामंडित विभा जी की प्रभा मंडल निरंतर ज्ञान के व्योम प्रवाही गंगाजल से मानव जीवन को आलोकित करता रहे यही कामना है,सखी
अभिभूत हूँ ... खुद को तुम्हारे लेखनी से परिचय पाकर ..... अक्सर तुम्हारे पोस्ट पर लोगों के blog और उनके द्वारा लिखे पुस्तक की समीक्षा पढ़ती थी .... लेकिन मेरे बारे में लिखोगे ऐसा तो कल्पना भी नहीं की थी ....
आज सब Daughter'S day मना रहे हैं मुझे तो आज Son'S day घोषित करने का मन कर गया
ढेरों आशीष ... असीम शुभकामनायें
sach me vibha ji bare me aur jaan kar bahut achha laga ....
सच कहा है संजय भास्कर जी ने विभा श्रीवास्तव जी सबको साथ लेकर चलती है। मेरा जब उनसे परिचय हुआ उस वक्त तक मै हाइकु विद्या से परिचित भी नही थी। आदरणीय विभा दिदु ने मुझे लिखना सिखाया ..नमन है विभा दिदु आपको
विभा जी को पढ़ते रहते है..... आपने बहुत सुंदर परिचय दिया |
धन्यवाद संजय जी,
सच में दीदी ने सबको कुछना कुछ सिखाया ही है..और वो हमेशा सही बात सिखाती हैं..। दीदी को सब ने अलगअलग रिश्तो मे बांधा है और दीदी ने भी बहुतो को अलग अलग नाम दिये है..।जैसे मुझे वो प्यार से लल्ली कहती हैं..।दीदी भगवान आपको स्वस्थ और दीर्घायु बनायें..।
हमारी ममतामयी दीदी का शानदार परिचय!!
बहुत खुबसुरत लिखा आपने विभा दी के बारें में .....भगवन हमेशा स्वस्थ रक्खे उन्हें
बहुत सुंदर । विभा जी के लिये शुभकामनाऐं ।
बहुत सुंदर । विभा जी के लिये शुभकामनाऐं ।
बहुत सुन्दर और स्नेह से लबरेज़ व्यक्तित्व हैं विभा जी … बढ़िया परिचय
आदरणीया विभा जी का ब्लॉग अक्सर पढ़ता रहता हूँ. बहुत अच्छा लिखती हैं. उनके लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है... अच्छा लगा उनके विषय में जानकर...इस सुन्दर परिचय के लिए आभार...आप दोनों को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
bahut hi badhiya likha aapne sanjay ji.. vabha ji ki rachnao se bahut bar mukhatib hoti rahi aaj aapne unke baare me kafi kuchh bataya..bahut achchhha lga
bhaut hi badhiya
संजय जी ... आज तो विचारों की नयी ऊंचाई दी है आपने ... विभा जी की पावस चाहत अभिभूत कर गयी .... अंतर्मन भीग गया ...
Nice blog! Following you on Google Friend Connect :) TC! Keep smiling :)
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 1 . 10 . 2014 दिन बुद्धवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
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सुन्दर पंक्तियाँ ममतामयी रचना!
धरती की गोद
अम्मा क्या बीबी नातियों वाली हैं ताईजी। संजय भाई भावना से आप्लावित होकर आप लिखते हैं। बढ़िया व्यक्ति चित्र आपने प्रस्तुत किया बानगी के तौर पर ताई की एक रचना भी पढ़वाई। सुन्दर मनोहर।
एक अच्छी प्रस्तुति। 4 अक्तूबर शनिवार को आपकी इस प्रस्तुति को चर्चा हेतु चर्चामंच पर प्रकाशित किया जाएगा। आप भी पधारें http://charchamanch.blogspot.in/ स्वयं शून्य
बहुत बहुत आभार संजय जी, विभा जी का परिचय पाकर अच्छा लगा !
बढ़िया पोस्ट है !
बहुत खूब
विभा जी और संजय आप दोनों को शुभकामनाएँ
विभारानी श्रीवास्तव जी बारे में बहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
विभा ताई जी से कभी न कभी भेंट हो ही जायेगी ..दुनिया गोल जो है ....
विजयादशमी से हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (04-10-2014) को "अधम रावण जलाया जायेगा" (चर्चा मंच-१७५६) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
विजयादशमी (दशहरा) की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
निस्संदेह विभा जी एक संवेदनशील शब्दशिल्पी हैं।
उनके ममत्व को नमन।
सौभाग्य से मैं भी फ़ेसबुक के माध्यम से विभा दी से जुड़ी हुई हूँ. उन्हें, उनकी पोस्ट से ही जानती आई हूँ. एक बार मुझे कुछ सहायता चाहिए थी, समझ नहीं आ रहा था, किससे कहूँ ! क्योंकि 'इनबॉक्स' में बातचीत किसी से ऐसी होती नहीं, कि अधिकार जता सकूँ. फिर भी, पता नहीं क्यों और कैसे मैंनें विभा दी को संदेश भेजा. जैसा कि विश्वास था ही, उन्होंनें तुरंत ही मेरी मदद की. तब से उनकी अनुमति लिए बिना ही, मैं भी उन्हें दी कहने लगी ! लव यू दी :)
wow very nice post
I am touched to see that ppl like u are regular readers of such good blogs aNd really praise the bloggers
http://vanduchoudhary.blogspot.in/
अति सुन्दर सोच बहुत बहुत शुभकामनाएं विभा जी.....और संजय जी धन्यवाद मुझे उनसे मिलाने के लिए !!!
अच्छी प्रस्तुति!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण !
विभा ताई की लेखनी को नमन !
साभार !
वाह !!
अपनापन भरी पोस्ट , मंगलकामनाएं संजय !!
शुक्रिया एक और उत्कृष्ट ब्लॉगर का परिचय देने के लिये।
आपने बहुत खुब लिख हैँ।
सचाई के साथ कहाँ
आज मैँ भी अपने मन की आवाज शब्दो मेँ बाँधने का प्रयास किया प्लिज यहाँ आकर अपनी राय देकर मेरा होसला बढाये
आदरणीया विभा जी को पढ़ते रहते हैं पर आपने जो कमाल काम किया है वह कमाल का है ---
"जबसे हमने उनको जाना है
तबसे हमने भी उन्हें अपनी माँ जैसी माना है"
उनके हाइकू के तो क्या कहने...
एक से बढ़कर एक होते है....
विभा आंटी जी को ढेर सारी शुभकामनायें....
प्रसंसनीय। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
bahut sundar puri tarah se sahmat hoon ..tariph ke kabil hai vibha jee ka nature aur aapki rachna bhi .....
बहुत सुंदर ..एक अच्छे लेखन से अवगत कारवाने का शुक्रिया
आप सबके प्यार की कर्जदार हूँ ..... 13 अक्तूबर 2011 में ही मैं blog जगत में कदम रखी थी इन तीन सालो में बहुत गहरा रिश्ता बना है आप सबो से .... आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आप सबो का .... शुक्रिया पुत्र
आप सबके प्यार की कर्जदार हूँ ..... 13 अक्तूबर 2011 में ही मैं blog जगत में कदम रखी थी इन तीन सालो में बहुत गहरा रिश्ता बना है आप सबो से .... आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आप सबो का .... शुक्रिया पुत्र
Bahut hi sundar post lagi .shukriyaan
अनुपम प्रस्तुति......आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......
नयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं
bahut sundar..
Vibha ji ke baare me jaan ke khushi hui... :)
Shubhkaamnaayen
उनके हाइकू के तो क्या कहने...
एक से बढ़कर एक होते है....
विभा जी को ढेर सारी शुभकामनायें..
ढ़ेर सारा प्यार लेकर हम मिल भी लिए
सस्नेहाशीष 😍
कृष्ण हर युग में होते हैं
आभार सभी का
BAHUT SUNDAR AUR SARTHAK POST,BILKUL MAMTAMAYI CHHAVI HAIN UNME ,AUR HAIN BHI MAA JAISI
सच में विभा दीदी जी बहुत ही सरल इंसान हैं | हर बात को साफ़ साफ़ रखना इनकी आदत में शुमार है | हमें विभा दीदी जी के साथ दो साझा पुस्तकों में साथी होने का गौरव मिला और साथ ही विभा दीदी जी का मार्गदर्शन भी | नमन विभा दीदी जी आज आपके जन्मदिवस पर हृदयतल से शुभकामनायें |
बहुत अच्छे से लिखा है आपने...
परिचय की बारीकी बहुत सुन्दर है
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
अनुपम सृजन .......,
सस्नेहाशीष संग शुक्रिया
संजय जी आपका यह पोस्ट भावविह्वल कर गया । आदरणीया विभा जी को मैं दिदी या बहिन कह संबोधित करता हूँ । मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे उनका दुलार,प्यार, आशीर्वाद और सानिध्य प्राप्त है । इस पोस्ट हेतु बहुत बहुत आभार संजय जी ।
😍😍
एक मैं भी हूं इनमें से। 🤩🙏😊💐🙏
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