13 नवंबर 2013

............ दृष्टिकोण :))




जीवन में सबसे दुर्भाग्यशाली 
वह है,
जिसके पास दृष्टि तो है
 पर दृष्टिकोण नहीं
 पर सच तो ये है,
क्योंकि दृष्टिकोण के लिए
 अपने भीतर की दुनिआ से
जुड़ना पड़ता है !
आंकना पड़ता है आकारों के पार
निरंकार मन में
क्योंकि कहता तो
अध्यात्म भी यही  है!
आओ अकार से ऊपर उठने के लिए
निरंकार कि और चले ...............!!


-- संजय भास्कर 




33 टिप्‍पणियां:

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ,शुभकामनायें.

आशीष अवस्थी ने कहा…

बेहतरीन प्रेरित करती आपकी रचना , संजय भाई धन्यवाद
सूत्र आपके लिए अगर समय मिले तो --: श्री राम तेरे कितने रूप , लेकिन ?
* जै श्री हरि: *

कविता रावत ने कहा…

सच दृष्टि के साथ ही दृष्टिकोण न हो तो वह बेमानी है ..
बहुत बढ़िया रचना
आपको सपरिवार दीपपर्व की शुभकामना!

Amrita Tanmay ने कहा…

अति सुन्दर..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आकार से निराकार होना ... आत्मा से परमात्मा हो जाना है .. सतत योग या भक्ति से शायद संभव है ये ... अच्छी रचना ...

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

देव कुमार झा जी ने आज ब्लॉग बुलेटिन की दूसरी वर्षगांठ पर तैयार की एक बर्थड़े स्पेशल बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ... और हाँ साथ साथ अपनी शुभकामनायें भी देना मत भूलिएगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन बातचीत... बक बक... और ब्लॉग बुलेटिन का आना मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति ...

Asha Lata Saxena ने कहा…

गहन विचार लिए अच्छी प्रस्तुति |
आशा

Suman ने कहा…

संजय एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई, मैं इस प्रकार व्याख्या कर रही हूँ
अध्यात्म भी यही है!
आओ अहंकार से ऊपर उठने के लिए
निरअहंकार कि और चले ...............!!
मन या तो है या नहीं है मन का न होना ध्यान है निरंकार मन नहीं होता !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

Gahri baat!!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

Gahri baat!!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

Gahri baat!!

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बहुत खूब

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-11-2013 की चर्चा में दिया गया है
कृपया चर्चा मंच पर पधार कर अपनी राय दें
धन्यवाद

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

गहन भाव रचना,..

Saras ने कहा…

सुन्दर ...बहोत सुन्दर...!!!!

राज चौहान ने कहा…

..... प्रेरित करती रचना .... संजय भाई

विभूति" ने कहा…

खुबसूरत अभिवयक्ति..

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

अति सुन्दर अभिव्यक्ति !
नई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ

nayee dunia ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 16 /11/2013 को ज्योतिष भाग्य बताता है , बनाता नहीं ... ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 045 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

Unknown ने कहा…

बेहतरीन प्रेरित करती आपकी रचना संजय जी धन्यवाद।

Anita ने कहा…

बहुत सुंदर बात...

Niraj Pal ने कहा…

सुन्दर।

Nitish Tiwary ने कहा…

bilkul sahi kaha aapne
yahan bhi padharen
http://iwillrocknow.blogspot.in/

Yugesh kumar ने कहा…

बहुत खूब कहा है आपने......

travel ufo ने कहा…

प्रिय ब्लागर
आपको जानकर अति हर्ष होगा कि एक नये ब्लाग संकलक / रीडर का शुभारंभ किया गया है और उसमें आपका ब्लाग भी शामिल किया गया है । कृपया एक बार जांच लें कि आपका ब्लाग सही श्रेणी में है अथवा नही और यदि आपके एक से ज्यादा ब्लाग हैं तो अन्य ब्लाग्स के बारे में वेबसाइट पर जाकर सूचना दे सकते हैं

welcome to Hindi blog reader

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

क्योंकि दृष्टिकोण के लिए
अपने भीतर की दुनिआ से
जुड़ना पड़ता है !
आंकना पड़ता है आकारों के पार
निरंकार मन में

बहुत सुन्दर भाव...सुन्दर रचना....

Satish Saxena ने कहा…

सही कहा ...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Anupama Tripathi ने कहा…

sarthak kathan ...

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर . अच्छी प्रस्तुति

Himkar Shyam ने कहा…

गहन भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति...

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत सुन्दर‎ ......,