04 जुलाई 2013

बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग :))



आधी रात को अचानक
किसी के चीखने की आवाज़
से चौंक कर
सीधे छत पर भागा
देखा सामने वाले घर में
कुछ चोर घुस गये थे
 वो चोरी के इरादे में थे
हथियार बंद लोग
जिसे देख मैं भी डर गया
एक बार
चिल्लाने से
पर कुछ देर चुप रहने के
बाद
मैं जोर से चिल्लाया
पर कोई असर न हुआ
मेरे चिल्लाने का
बड़ी बिल्डिंग के लोगो पर
.......क्योंकि सो जाते है
घोड़े बेचकर अक्सर
बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग............!!!!


@ संजय भास्कर  


55 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

सुन्दर रचना!

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

सुन्दर रचना!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर रचना,

बडी बिल्शिंग के लोग घोडॆ बेचकर नही सोते बल्कि कुछ चढाकर सोते होंगे इसलिये नही उठे.:)

रामराम.

राज चौहान ने कहा…

पर कुछ देर चुप रहने के
बाद
मैं जोर से चिल्लाया

......बहुत सुंदर, आत्मविश्वास से भरी पंक्तियाँ !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

भूल सुधार:-

बिल्शिंग = बिल्डिंग

पढा जाये.

रामराम.

Satish Saxena ने कहा…

बड़े बड़े लोगों के घर में, जाने क्यों, सन्नाटा रहता !
हमने अक्सर रजवाड़ों में, लोगों के मुंह, ताले देखे !

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

जो जागते में नहीं सुनते उनसे कैसी उम्मीद कि सोते में सुन लेंगे ?

सुंदर रचना.........

kunwarji's ने कहा…

Bade logo par bada vyangya....
Sundar.

Kunwar ji

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुंदर रचना,

Kailash Sharma ने कहा…

महानगरों की असंवेदनशीलता का बहुत सुन्दर और सटीक चित्रण....

Manjusha negi ने कहा…

bilkul sahi .......एक दम दिल से निकली बेहतरीन

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग
वाह जी वाह
बहुत सुंदर रचना

Parul Chandra ने कहा…

बड़े लोग...बड़े लोग.. अक्सर यही होता है संजय जी..पर आपका प्रयास सराहनीय है ..ये मैंने आपकी रचना के लिए नहीं बल्कि चिल्लाने के लिए कहा। रचना तो लाजवाब ही है... हमेशा जैसी।
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया...और लिखते रहें..आपकी रचनाओं का इन्तज़ार रहता है।

अशोक सलूजा ने कहा…

जिन्हें आप बड़े लोग कह रहे हैं संजय जी ....
उन के पास नींद कहाँ...वो तो उधार की नींद सोते हैं
नींद की गोलियां ले कर ...उधार चुकाने के लिए कौन उठता है ???

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…



RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बड़े लोगो की बड़ी बाते,,,उम्दा अभिव्यक्ति ...

RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.

Dr. Shorya ने कहा…

संवेदनाहीन समाज का सच, बड़े शहरो और बड़े लोगो के सच को उकेरती पंक्तिया , बहुत शुभकामनाये


यहाँ भी पधारे

http://shoryamalik.blogspot.in/2013/01/yaadain-yad-aati-h.html

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है, अधिक होने का प्रमाद..

Shalini kaushik ने कहा…

ghode bechkar nahi nend kee goli khakar kyonki iske bagair unhen neend nahi aati . .बेहतरीन अभिव्यक्ति .उम्दा प्रस्तुति आभार तवज्जह देना ''शालिनी'' की तहकीकात को ,
आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...

Suresh kumar ने कहा…

Sahi kaha Sanjay ji bade log kab kisi ki sunte hai...

कौशल लाल ने कहा…

बड़े लोगो का आशियाना आवाज रोधी होता है ,सुन्दर

वाणी गीत ने कहा…

ओह! बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग !

Rajesh Kumari ने कहा…

बिल्डिंगे जितनी बड़ी हो गई दिल उतने संकुचित हो गए संवेदनाएं शिथिल हो गई ,बहुत बढ़िया कटाक्षपूर्ण रचना बधाई आपको

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

खुबसूरत प्रस्तुति !
latest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )

Ranjana verma ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति .....!!

Ranjana verma ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति .....!!

रविकर ने कहा…

बढ़िया -
शुभकामनायें-

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

सुंदर रचना.....

Anita ने कहा…

रात को तो छोड़ दें दिन में भी अगर कोई चोर किसी के यहाँ आ जाये तो अडोस-पडोस वालों को खबर नहीं रहती..

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

dhikkar aise pahalwano pr....achchhi rachana.....badhai Sanjay ji

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बड़े लोग मर्द अपनी जोरू के होते हैं , न कि चोरों के ! :)

विभूति" ने कहा…

भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

babanpandey ने कहा…

they do not mix up .... and thiefs also know that no will come when anyone cry.... this poem also request to mix up one another... so that we make a healthy society

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

बहुत सुंदर रचना,

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत खूब रचना..
यथार्थ कहती पंक्तियाँ..
बड़े लोगों की बड़ी बातें..
:-)

Bharat Bhushan ने कहा…

सोने दो मुझे मेरी जाँ के दुश्मनों
बेहोशी सा होश मुझे मिले, मिले न मिले

रचना दीक्षित ने कहा…

खुद के सचेत हुए बिना अपराधों पर काबू पाना असम्भव है.

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

बहुत बढ़िया

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बड़ी बिल्डिगों वालों के दिल छोटे होते हैं ... उन तक आवाज़ नहीं जाती ...
अच्छी रचना है संजय जी ...

के. सी. मईड़ा ने कहा…

बहुत खुब .... बड़ी बिल्डींग के लोग ..... शायद बड़ी है इसलिए आवाज नहीं सुन पाए होंगें

शिवनाथ कुमार ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
शिवनाथ कुमार ने कहा…

बड़े बिल्डिंगों में लोगों की नींद भी बड़ी कीमती होती है
बहुत सुन्दर रचना

Ramakant Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

बेईमान शायर ने कहा…

satya wachan. Bahut hi bebak! :)

Asha Lata Saxena ने कहा…

सही अनुभव लिखा है

Unknown ने कहा…

बड़ी बिल्डिंग, बड़े लोग, छोटा दिल....

Unknown ने कहा…

बड़ी बिल्डिंग, बड़े लोग, छोटा दिल....

Indrani ने कहा…

Very well brought out and relevant too.

Bhavya N ने कहा…

True, some people sleep so deep they are not aware of what happens around them...

kavita verma ने कहा…

sateek abhivyakti ..

अनूषा ने कहा…

जैसे ऊँची दुकान का फीका पकवान, वैसे ये ऊँचा मकान..
दिल छोटे - दिमाग बंद, स्वार्थ के हाथ दे रखी कमान...
सन्नाटा न्योते चोर उचक्के, फिर मनाया करेंगे सोग,
पर दूसरे के सोग में भी लेंगे चटखारे,
ये बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग...

Darshan jangra ने कहा…

सुन्दर रचना!

prritiy----sneh ने कहा…

bahut khoob kaha.

shubhkamnayen

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

wastwikta ka satik warnan....

Unknown ने कहा…

बिल्डिंगे जितनी बड़ी हो गई दिल उतने संकुचित हो गए संवेदनाएं शिथिल हो गई ,बहुत बढ़िया कटाक्षपूर्ण रचना बधाई आपको :)