आधी रात को अचानक
किसी के चीखने की आवाज़
से चौंक कर
सीधे छत पर भागा
देखा सामने वाले घर में
कुछ चोर घुस गये थे
वो चोरी के इरादे में थे
हथियार बंद लोग
जिसे देख मैं भी डर गया
एक बार
चिल्लाने से
पर कुछ देर चुप रहने के
बाद
मैं जोर से चिल्लाया
पर कोई असर न हुआ
मेरे चिल्लाने का
बड़ी बिल्डिंग के लोगो पर
.......क्योंकि सो जाते है
घोड़े बेचकर अक्सर
बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग............!!!!
@ संजय भास्कर
55 टिप्पणियां:
सुन्दर रचना!
सुन्दर रचना!
बहुत सुंदर रचना,
बडी बिल्शिंग के लोग घोडॆ बेचकर नही सोते बल्कि कुछ चढाकर सोते होंगे इसलिये नही उठे.:)
रामराम.
पर कुछ देर चुप रहने के
बाद
मैं जोर से चिल्लाया
......बहुत सुंदर, आत्मविश्वास से भरी पंक्तियाँ !
भूल सुधार:-
बिल्शिंग = बिल्डिंग
पढा जाये.
रामराम.
बड़े बड़े लोगों के घर में, जाने क्यों, सन्नाटा रहता !
हमने अक्सर रजवाड़ों में, लोगों के मुंह, ताले देखे !
जो जागते में नहीं सुनते उनसे कैसी उम्मीद कि सोते में सुन लेंगे ?
सुंदर रचना.........
Bade logo par bada vyangya....
Sundar.
Kunwar ji
बहुत सुंदर रचना,
महानगरों की असंवेदनशीलता का बहुत सुन्दर और सटीक चित्रण....
bilkul sahi .......एक दम दिल से निकली बेहतरीन
बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग
वाह जी वाह
बहुत सुंदर रचना
बड़े लोग...बड़े लोग.. अक्सर यही होता है संजय जी..पर आपका प्रयास सराहनीय है ..ये मैंने आपकी रचना के लिए नहीं बल्कि चिल्लाने के लिए कहा। रचना तो लाजवाब ही है... हमेशा जैसी।
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया...और लिखते रहें..आपकी रचनाओं का इन्तज़ार रहता है।
जिन्हें आप बड़े लोग कह रहे हैं संजय जी ....
उन के पास नींद कहाँ...वो तो उधार की नींद सोते हैं
नींद की गोलियां ले कर ...उधार चुकाने के लिए कौन उठता है ???
RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
बड़े लोगो की बड़ी बाते,,,उम्दा अभिव्यक्ति ...
RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
संवेदनाहीन समाज का सच, बड़े शहरो और बड़े लोगो के सच को उकेरती पंक्तिया , बहुत शुभकामनाये
यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/01/yaadain-yad-aati-h.html
सच है, अधिक होने का प्रमाद..
ghode bechkar nahi nend kee goli khakar kyonki iske bagair unhen neend nahi aati . .बेहतरीन अभिव्यक्ति .उम्दा प्रस्तुति आभार तवज्जह देना ''शालिनी'' की तहकीकात को ,
आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...
Sahi kaha Sanjay ji bade log kab kisi ki sunte hai...
बड़े लोगो का आशियाना आवाज रोधी होता है ,सुन्दर
ओह! बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग !
बिल्डिंगे जितनी बड़ी हो गई दिल उतने संकुचित हो गए संवेदनाएं शिथिल हो गई ,बहुत बढ़िया कटाक्षपूर्ण रचना बधाई आपको
खुबसूरत प्रस्तुति !
latest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
सुंदर अभिव्यक्ति .....!!
बढ़िया -
शुभकामनायें-
सुंदर रचना.....
रात को तो छोड़ दें दिन में भी अगर कोई चोर किसी के यहाँ आ जाये तो अडोस-पडोस वालों को खबर नहीं रहती..
dhikkar aise pahalwano pr....achchhi rachana.....badhai Sanjay ji
बड़े लोग मर्द अपनी जोरू के होते हैं , न कि चोरों के ! :)
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
they do not mix up .... and thiefs also know that no will come when anyone cry.... this poem also request to mix up one another... so that we make a healthy society
बहुत सुंदर रचना,
बहुत खूब रचना..
यथार्थ कहती पंक्तियाँ..
बड़े लोगों की बड़ी बातें..
:-)
सोने दो मुझे मेरी जाँ के दुश्मनों
बेहोशी सा होश मुझे मिले, मिले न मिले
खुद के सचेत हुए बिना अपराधों पर काबू पाना असम्भव है.
बहुत बढ़िया
बड़ी बिल्डिगों वालों के दिल छोटे होते हैं ... उन तक आवाज़ नहीं जाती ...
अच्छी रचना है संजय जी ...
बहुत खुब .... बड़ी बिल्डींग के लोग ..... शायद बड़ी है इसलिए आवाज नहीं सुन पाए होंगें
बड़े बिल्डिंगों में लोगों की नींद भी बड़ी कीमती होती है
बहुत सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर रचना
satya wachan. Bahut hi bebak! :)
सही अनुभव लिखा है
बड़ी बिल्डिंग, बड़े लोग, छोटा दिल....
बड़ी बिल्डिंग, बड़े लोग, छोटा दिल....
Very well brought out and relevant too.
True, some people sleep so deep they are not aware of what happens around them...
sateek abhivyakti ..
जैसे ऊँची दुकान का फीका पकवान, वैसे ये ऊँचा मकान..
दिल छोटे - दिमाग बंद, स्वार्थ के हाथ दे रखी कमान...
सन्नाटा न्योते चोर उचक्के, फिर मनाया करेंगे सोग,
पर दूसरे के सोग में भी लेंगे चटखारे,
ये बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग...
सुन्दर रचना!
bahut khoob kaha.
shubhkamnayen
wastwikta ka satik warnan....
बिल्डिंगे जितनी बड़ी हो गई दिल उतने संकुचित हो गए संवेदनाएं शिथिल हो गई ,बहुत बढ़िया कटाक्षपूर्ण रचना बधाई आपको :)
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