मैं अकेला चलता हूँ
चाहे कोई साथ चले
चाहे कोई साथ चले
या न चले
मैं अकेले ही खुश हूँ
कोई साथ हो या न हो
पर मेरी छाया
हमेशा मेरे साथ होती है !
जो हमेशा मेरे पीछे- २
अक्सर मेरा पीछा करती है
घर हो या बाज़ार
हमेशा मेरे साथ ही रहती है
मेरी छाया से ही मुझे हौसला मिलता है !
क्योंकि नाते रिश्तेदार तो
समय के साथ ही चलते है
पर धुप हो या छाव
मैं अकेले ही खुश हूँ
कोई साथ हो या न हो
पर मेरी छाया
हमेशा मेरे साथ होती है !
जो हमेशा मेरे पीछे- २
अक्सर मेरा पीछा करती है
घर हो या बाज़ार
हमेशा मेरे साथ ही रहती है
मेरी छाया से ही मुझे हौसला मिलता है !
क्योंकि नाते रिश्तेदार तो
समय के साथ ही चलते है
पर धुप हो या छाव
छाया हमेशा साथ रहती है
और मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती
इसलिए मैं अकेला ही चलता हूँ ...............!!!
और मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती
इसलिए मैं अकेला ही चलता हूँ ...............!!!
चित्र - गूगल से साभार
@ संजय भास्कर
60 टिप्पणियां:
बहुत खूब ... जिंदगी में इंसान अकेले ही आया है ओर उसे अकेले ही जाना है ... छाया तो फिर भी उम्र भर साथ देती है ... मरने के बाद भी साथ देती है ...
गहरे भाव संजोए हैं संजय जी ...
इसलिए मैं अकेला ही चलता हूँ ...............!!!
बहुत खूब कहा .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
bahut sundar abhivyakti , badhai
बहुत सुंदर प्रस्तुति.....बधाई
वाह! क्या बात है बहुत ख़ूब!
वाह! क्या बात है बहुत ख़ूब!
एकला चलो रे...बहुत सुंदर भाव..अपना हाथ जगन्नाथ की तरह अपना साथ जगन्नाथ !
इंसान अकेला ही आया है अकेला ही जाता है,
वाह !!!बहुत खूब बेहतरीन रचना,आभार,
RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
हर इंसान भीड़ में भी वह अकेला है
latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
bahut badhiya bhaw hain kavita ke sanjay jee .....akele chalna hin shayad indgi hai ......
Nice!
बहुत ही अच्छी रचना..
अकेले कहाँ है परछाई साथ है..
:-)
Superb.
अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल ..
bahut khoob..sundar
आदमी को अकेते चलने की आदत तो होनी ही चाहिए क्योंके छाया तो......बहुत खूब.
एकला चलो रे .... जिसने यह सीख लिया उसे ज़िंदगी को जीना आ गया ... सुंदर प्रस्तुति
भागिनेय!
अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है.. इसलिए अंदर की ज्योत को पहचानो.. तुम्हारी अंतर की आवाज़.. अपने दिल का कहा!!
बहुत अच्छी कविता!!
बहुत खूब .
aap bhi hmare blog se zud jaye to ach hai.thank you
छाया हमेशा साथ रहती है
और मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती
बहुत सुन्दर भाव... शुभकामनायें
दुःख कि बात ये है संजयजी कि अँधेरे में छाया भी साथ छोड़ देती है
आदमी की तन्हाई ही उसकी साथी है.
क्या हुआ ऐसी बातें क्यूँ .......
लेकिन लिखे तो सच्चाई ही हो .........
हार्दिक शुभकामनायें .......
परछाई है, इसका सीधा सा अर्थ है कि कहीं आस पास रोशनी है...चलते जाइए बस....
बहुत सुन्दर भाव...
अनु
उत्कृष्ट प्रस्तुति :)
अच्छी प्रस्तुति संजय जी ...
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
बहुत सुन्दर.
Aaj kal ke samay me yahi satya hain.... aap aur parchayi.... sahi baat to ye hai ki parchayi tabhi saath hoti hain jab bahut garmi hoti hain.... jab kisi chau me sukun milta hain to wo hume bhi akela chor deti hain..kuch samay ke liye..
जिसे अकेले चलना आ जाता है,उसके लिए जीवन जीना बहुत ही आसान हो जाता है क्योंकि उसे
अपने आत्मविश्वास की अनुभूति हो जाती है !
सुन्दर रचना!
अपनेपन का भाव साथ है,
कौन कहे मैं चलूँ अकेला।
बहुत खूब :)
खुबसूरत भाव
तेरे मन में राम [श्री अनूप जलोटा ]
सुन्दर, बढ़िया !
छाया और कर्म ये दोनों साथ नहीं छोड़ते
बस कर्म करते रहना चाहिए , चाहे साथ कोई हो न हो
बहुत ही अनुपम प्रस्तुति है
कभी यहॉ भी आयें
MY BIG GUIDE
बहुत ही अनुपम प्रस्तुति है
कभी यहॉ भी आयें
MY BIG GUIDE
प्रशंसनीय प्रस्तुति
हाँ,अपने आप में अकेला तो हरएक है.पर कभी कुछ कहने-सुनने के लिए तो...
बहुत खूब ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति..
कोई साथ हो या न हो
पर मेरी छाया
हमेशा मेरे साथ होती है !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
बहुत खूब संजय जी,,.....
सुन्दर पन्क्तिया
छाया साथ न छोडती,
सुबह से शाम तक
रहती सदा साथ
जीवन में विराम तक |
अच्छी प्रस्तुति |
आशा
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..पर ऐसा क्यों साहब ...
छाया हमेशा साथ रहती है
और मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती
इसलिए मैं अकेला ही चलता हूँ ...............!!!
बहुत सुंदर. खूबसूरत अभिव्यक्ति
आदमी को अकेले ही चलना होता है, यही शाश्वत सत्य है..बहुत सुन्दर..
मैं अकेले ही खुश हूँ
कोई साथ हो या न हो .......bahut acchi aadat .....warna kisi ke sath hone se kai bar gadbad ho jata hai ....
छाया कभी अकेले नहीं होने देती।
अच्छी कविता।
सच है हमसाया साथ न छोड़े ..फिर कोई साथ हो नहो..बहुत बढ़िया..
बहुत सुंदर बधाई
बहुत ही सुन्दर रचना, संजय जी.. आपकी अभिव्यक्ति दिल को छू गयी....
छाया हमेशा साथ रहती है
और मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती
बहुत सुन्दर भाव... शुभकामनायें
बहुत अच्छा लिखा है।
सच कहा..ये छाया हौसला देती है...मुझे भी। सुन्दर रचना !!
मेरी छाया से ही मुझे हौसला मिलता है !
क्योंकि नाते रिश्तेदार तो
समय के साथ ही चलते है
पर धुप हो या छाव
छाया हमेशा साथ रहती है
जी संजय भाई तभी तो हम गाते हैं
मन रे तू काहे न धीर धरे
जोदी तोर साथ दिए केऊ ना आसे तोबे एकला चलो रे
सुन्दर रचना ..जीवन के रंग ...
भ्रमर ५
Khud Se Bada Koi Humsafar Nhi Hota...
Badhiya Likha Hai Aapne.
मन की भावनाएं कविता में कह देने से मन काफी हल्का हो जाता है ,, अच्छा प्रयास ,... संजय जी , भास्कर भूमि क्या है और इसमें प्रकाशित लेख और कवितायें कैसे पढ़ सकती हूँ , बताएं
छाया ही साथ है तो अकेला नही हुआ ।
बहुत उम्दा ,सुन्दर भाव... शुभकामनायें आभार
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