03 फ़रवरी 2013

आकर्षण -- संजय भास्कर


कॉलेज को छोड़े करीब
सात साल बीत गये !
मगर आज उसे जब 7 साल बाद
देखा तो
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं
हमेशा उसकी और
 खिचा चला जाता था !
आज वो पहले से भी ज्यादा
खूबसूरत लग रही थी
पर मुझे विश्वास नहीं
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद
उसे देखना
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा
मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!


चित्र - गूगल से साभार

@ संजय भास्कर  


57 टिप्‍पणियां:

अरुन अनन्त ने कहा…

संजय भाई नमस्कार, काफी दिनों के बाद आपकी कविता आई है, पढ़कर आपके साथ-साथ काफी और लोगों पुरानी यादें तरोताजा हो जायेंगी. सुन्दर प्रस्तुति बधाई

Ravi Rajbhar ने कहा…

Bahut hi khubsurat shabdo se sanjoya hai apne yado ko.

Badhai.

vandana gupta ने कहा…

सुन्दर ख्याल

Girish Kumar Billore ने कहा…

bahut umda vapasee sanjay

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

उम्दा अभिव्यक्ति !!
चलो अच्छी बात ...। अगले सात का भी ख्याल रखना ...।

शारदा अरोरा ने कहा…

मन की कोमल भावनाएं अभिव्यक्त हुई हैं ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

ह्म्म्मम्म

क्या कहें ...आपके दिल से निकली मीठी सी बात है...
:-)

अनु

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

मुद्दते गुजरी तरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे,ऐसा भी नही,,,,

RECENT POST शहीदों की याद में,

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर अहसास...

Anupama Tripathi ने कहा…

sundar bhaav ....
sundar rachna ..

राहुल ने कहा…

हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा
-------------------------------

राहुल ने कहा…

हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा
-------------------------------

मदन शर्मा ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति !!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

यादों की दुनिया में तो तुम थी ,रहोगी सदा
यूँ मुलाकात तुम से राह में भी, होगी यदा-कदा
--बहुत बहुत शुभ कामनाएं
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Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

atit hmesha lubhawana hota hai.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

होता है बीती बातों का आकर्षण ...
दिल के जज्बात ... क्या बात है ...

Maheshwari kaneri ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..संजय.बस .मुस्कराते रहो

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आकर्षण कहाँ बूढ़ा होता है..

Unknown ने कहा…

sundar ahsasho se bhari aur smrition ke jharokhe jhakti prastuti

nayee dunia ने कहा…

bahut sundar rachna

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

अति सुन्दर रचना...
पहला आकर्षण कभी ख़त्म नहीं होता..
यकायक जब वो सामने आते है तो बीती यादे पुनः
समृति पटल पर छाने लगते है...
:-)

डॉ टी एस दराल ने कहा…

पुराना आकर्षण जब सामने आ जाये तो और भी बढ़ जाता है।
दिल के कोमल अहसास।

Swapnil Shukla ने कहा…

very impressive post .... very well written & fabulous as always
plz . visit -http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/a-kettle-of-glitters.html

shalini rastogi ने कहा…

सही लिखा है संजय जी...आकर्षण का रंग समय के साथ और गहराता जाता है ...

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ताकि आपकी मुस्कान बनी रहे - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह!
आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर....समय के साथ भी कुछ नहीं बदलता कभी कभी

Nidhi ने कहा…

ऐसा ही होता है...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

चलिये आप को अच्छा तो लगा..

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत बढ़िया हुज़ूर | पुराने दिन याद दिला दिए आपने | मुझे भी कुछ ऐसे ही लम्हे याद आ गए |

Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Asha Lata Saxena ने कहा…

कालेज की यादें ताजा करता रचना |
आशा

Rajendra kumar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति बधाई

amrendra "amar" ने कहा…

उम्दा अभिव्यक्ति ****

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

बहुत स्वाभाविक!

रविकर ने कहा…

प्रभावी प्रस्तुति |
शुभकामनायें ||

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

Sadhana Vaid ने कहा…

कोमल अहसासों को अभिव्यक्त करती सुकुमार सी रचना ! बहुर सुन्दर !

virendra sharma ने कहा…

बढ़िया रचना है संजय भाई .मुबारक



कॉलेज को छोड़े करीब
सात साल बीत गये !
मगर आज उसे जब 7 साल बाद
देखा तो
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं
हमेशा उसकी और।।।।।।।।।।।।।।।।ओर
खिचा चला जाता था !...........खिंचा
आज वो पहले से भी ज्यादा
खूबसूरत लग रही थी
पर मुझे विश्वास नहीं
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद ............सालों
उसे देखना
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा
मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!

सुन्दर,मनोहर .

Madan Mohan Saxena ने कहा…

भावपूर्ण प्रस्तुति.

Unknown ने कहा…

खूबसूरत मनोभाव लिए श्रगारिक कविता संजय बधाई

कविता रावत ने कहा…

मधुर यादें कभी नहीं जाती ...बहुत सुन्दर ..अब मगर आकर्षण घर में देखना ...

शिवनाथ कुमार ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भाव
सुन्दर अहसास

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

सुंदर सहज भाव, वाह !!!!!!!!!!

सदा ने कहा…

यह हमेशा ऐसा ही रहता है ...

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

पहचान पुरानी जरुर थी ..पर थी अपनी सी :)

Parul kanani ने कहा…

yaadon ka manzar ..yadakada laut hi aata hai!

mridula pradhan ने कहा…

vo purani baaten thin.....ab vartmaan men aa jaiye.

Sneha Rahul Choudhary ने कहा…

khubsurat tasveer ke sath khubsurat kavita

Satish Saxena ने कहा…

बड़े दिन बाद आये हो ...
शुभकामनायें !

Guzarish ने कहा…

KYA DEKHTE HO SANJAY
KEEP IT UP....

राज चौहान ने कहा…

अति सुन्दर रचना...
पहला आकर्षण कभी ख़त्म नहीं होता..!!!

राज चौहान ने कहा…

बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

संजय भाई ...सुन्दर यादों में पिरोई रचना ..ताजगी वाली आत्मा को सम्भालियेगा ..आप के कदम अब और कहीं प्रेम सजनी साजन
भ्रमर 5

Dinesh pareek ने कहा…

हर शब्द की अपनी पहचान बना दी क्या खूब लिखा है
मेरी नई रचना

प्रेमविरह

एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

मन्टू कुमार ने कहा…

Khubsurat ehsas...

Neeraj Neer ने कहा…

वाह! पुरानी याद ताजा हो गयी.

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

प्यार तो शराब की तरह है ...जितना पुराना होता जाएगा उतना ही ज्यादा रंग दिल पर जमाता है