श्रीमती आशा लता सक्सेना जी
आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ ....!!
अभी कुछ दिनों पहले श्रीमती आशालता सक्सेना जी की पुस्तक अनकहा सच ( काव्य संकलन ) पढने को मिला जो बहुत ही पसंद आया !
जो उन्होंने समर्पण किया है अपने अपनी माता सुप्रसिद्ध कवियित्री स्व. डॉ. (श्रीमती ) ज्ञानवती सक्सेना जी को
आशा जी जिन्हें आप सभी आकांशा ब्लॉग में पढ़ते हो आशा जी जिन्होंने हर विषय पर कवितायेँ लिखी है पर ज्यादा तर प्रकृति पर उनकी कविताये मन को बहुत प्रभावित करती हैं |
जीवन में हर व्यक्ति सपने अवश्य देखता है, पर कुछ ही लोगो के सपने साकार होते है जिसे आशा लता जी ने अपने रचना कर्म के स्वप्न को इस आयु में साकार किया है ।
श्रीमती आशा लता सक्सेना उन्ही में से एक है जिन्हें मैं ब्लॉगजगत में माँ का दर्जा देता हूँ !
डॉ. शिव कुमार चौरसिया जी ने उनके बारे में लिखा है :-
श्रीमती आशा लता सक्सेना जी अपने जीवन में शासकीय सेवा ,घर गृहस्थी ,बेटे बेटियों के पालन पोषण शिक्षा दीक्षा एवं वैवाहिक जिमेदारियां को पूर्ण करते हुए अपने जीवन के तीसरे सोपान में साहित्य सेवा में प्रवृत हुई है ।
श्रीमती आशा लता सक्सेना जी अपने जीवन में शासकीय सेवा ,घर गृहस्थी ,बेटे बेटियों के पालन पोषण शिक्षा दीक्षा एवं वैवाहिक जिमेदारियां को पूर्ण करते हुए अपने जीवन के तीसरे सोपान में साहित्य सेवा में प्रवृत हुई है ।
जिस आयु में सामान्य महिलाएं अक्सर देहिक कष्टों का बखान करती है और दुखी-दुखी रहती है उस उम्र आशा जी निरंतर लिखते पढ़ते हुए कविता लेखन कर रही है ......यह एक बड़ी बात है !
............................आशा जी की कविताओ में एक अथक उर्जा ,चिर नूतन उमंग ,सुतः और सकारात्मक सोच परिलक्षित होती है उनका जीवन दर्शन दिखाई देता है जिन्हें आशा जी ने अपने मनके भावो को बड़ी सहजता से अभिव्यक्त किया है !
आशा जी ने अभी तक करीब पांच सौ रचनाये लिखी है और उन्ही में से सत्तावन रचनाये इस संकलन में समाहित है ।
आशा जी के शब्दों में उनके विचार .......................
मैं तो बस लिख रही हूँ और क्यों लिख रही हूँ , यह नहीं जानती । मेरे मन में तरह तरह के विचार उठते है और इन विचारो के साथ जीवन के कड़वे मीठे अनुभवों का सिलसिला है खुलता जाता है । अनुभूतिय शब्दों का लिबास पहन कर अभिव्यक्त होने लगती है और मैं तो बस उन्हें आकर देती जाती हूँ । यह क्रम पिछले चार-पांच सालो से सतत चल रहा है !
मैं हिंदी साहित्य की विद्यार्थी भी नहीं रही और न ही मैंने काव्य शास्त्र पढ़ा ।इसीलिए साहित्य सृजन में मेरा परिचय नहीं है, पर मैं बहुत भाग्य शाली हूँ , की मुझे ममतामयी श्रेष्ठ कवियित्री माता से संस्कार मिले है ! यह उनकी संस्कारो का ही फल है विवाह के बाद घर गृहस्थी और शिक्षा सेवा में व्यस्त रही और सेवानिवृति के बाद अध्यन व लेखन से जुडी हूँ जिसमे मुझे मेरी छोटो बहन कवियित्री श्री मति साधना वैद का भरपूर प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है ........!
आशा जी ने अपना अनकहा सच कुछ इस प्रकार व्यक्त किया है -
दो बोल प्यार के बोले होते /पाते निकट अपने
नए सपने नयनों में पलते/ना रहा होता कुछ भी अनकहा |
यदि अपने मन को टटोला होता चाहत की तपिश कभी समाप्त नहीं होती -
अपनी चाहत को तुम कैसे झुटला पाओगे
मेरी चाहत की ऊंचाई ना छू पाओगे कभी
खुद ही झुलसते जाओगे उस आग की तपिश में |
उम्र के आखिती पड़ाव पर यदि अपनों का साथ ना हो तो मन दुखी हो जाता है | मन में कसक गहरी होती है-
होती है कसक
जब कोई साथ नहीं देता
जब कोई साथ नहीं देता
उम्र के इस मोड़ पर
नहीं होता चलना सरल
नहीं होता चलना सरल
लंबी कतार उलझनों की
पार पाना नहीं सहज |
अपने अतीत को कोई भला भुला पाया है अतीत पर यह देखिये -
जाने कहाँ खो गया
दूर हो गया बहुत
जब तक लौट कर आएगा
बहुत देर होजाएगी
ना पहचान पाएगा मुझे कैसे |
'प्रतिमा सौंदर्य की ' कविता महाप्राण सूर्य कान्त त्रिपाठी की कविता "वह तोडती पत्थर "की याद ताजा कर देती है | एक मजदूर स्त्री के प्रति सौन्दर्यानुभूति भाव को बखूबी प्रकट किया है -
प्रातः से संध्या तक वह तोड़ती पत्थर
भरी धूप में भी नहीं रुकती
गति उसके हाथों की |
जीवन की क्षण भंगुरता उन्हें "सूखी डाली "में दिखाई देती है -
एक दिन काटी जाएगी
उसकी जीवन लीला
हो जाएगी समाप्त
सोचती हूँ और कहानी क्या होगी
इस क्षणभंगुर जीवन की ?
मैं कुछ लिखना चाहती हूँ कविता अनकहा सच की आत्मा है | कहाजाए तो कुछ अतिशयोक्ति नहीं होगी -अब मैं लिखना चाहती हूँ
आने वाली पीढ़ी के लिए
मैं क्रान्तिकारी तो नहीं
पर सम्यक क्रान्ति चाहती हूँ
हूँ एक बुद्धिजीवी
चाहती हूँ प्रगति देश की
मृत्यु एक शाश्वत सत्य है -जो जन्मा है मृत्यु को अवश्य प्राप्त होता है -
होती अजर अमर आत्मा
है स्वतंत्र जीवन उसका
नष्ट कभी नहीं होता
शरीर नश्वर है
जन्म है प्रारम्भ
मृत्यु है अंत उसका |
"कुछ ना कुछ सीख देती है"रचना जीवन में उत्साह -ऊर्जा का संचार करने वाली आशा वादी रचना है -
सूरज की प्रथम किरण
भरती जीवन ऊर्जा से
कल कल बहता जल
सिखाता सतत आगे बढ़ना |
प्रत्येक व्यक्ति का जीवन एक डायरी की तरह है जिसमें अंकित होती हैं सुख -दुःख ,यादों की खट्टी मीठी बातें
डायरी का हर पन्ना कोई मिटा नहीं सकता क्यों कि -
पेन्सिल से जो भी लिखा था
रबर से मिट भी गया
पर मन के पन्नों पर जो अंकित
उसे मिटाऊँ कैसे ?
अब आखिर में अनकहा सच ( काव्य संकलन ) की पहली रचना आपको पढवाते है !
अनकहा सच
कुछ हमने कहा
कुछ तुमने सुना
बहुत कुछ छूट गया है अनकहा
न संबोधन न कोई रिश्ता
न टोल सके भावो को
छुप-छुप कर बात कही मन की
उसे न सजा सके शब्दों में
संवाद रहित अनजाना रिश्ता
न जता पाए
न लिया , दिया कभी कुछ भी
यह कमी सदा ही रही खलती
अलग हट कर सोचा होता
अंतर टटोला होता
दो बोल प्यार के बोले होते
पाते निकट अपने नए सपने नैनों में पलते
.................. न रहा होता कुछ भी अनकहा ! !
मेरी और से श्रीमति आशा सक्सेना जी को काव्य संकलन के लिए हार्दिक बधाई व ढेरो
शुभकामनाये ........!
शुभकामनाये ........!
@ संजय भास्कर
67 टिप्पणियां:
आशा जी रचनाएं सवेंदनाओं से भरपुर एवं जीवन के रंगों को प्रदर्शित करती है। इन्हे ढेर सारी शुभकामनाए।
संजय, बहुत बढिया समीक्षा की है तुमने ।
बहुत बढ़िया लगा आशा जी के विचारों को पढकर....बहुत बढ़िया प्रस्तुति
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आत्मविश्वास की महत्ता ..
आशा जी का लिखा नियमित पढ़ते हैं, इतनी सुन्दर कविता पढ़वाने का आभार..
आशा जी का लिखा नियमित पढ़ते हैं, इतनी सुन्दर कविता पढ़वाने का आभार
Aasha ji ke aadar bahut badh gaya! Aapka aalekh bahuthee badhiya hai!
मेरी दीदी की पुस्तक 'अनकहा सच' की इतनी सुन्दर समीक्षा प्रस्तुत करने के लिये बहुत सारी बधाइयाँ संजय जी ! विमोचन समारोह भी बहुत शानदार था ! इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !
bahut hi acchi samiksha kari aapane, dhanaywaad.
बहुत बढ़िया लगा आशा जी के विचारों को पढकर....बहुत बढ़िया प्रस्तुति
अनकहा सच से परिचय कराने के लिए आभार।
...लिखते रहिये ऐसे ही पूर्ण समीक्षक बन जायेंगे !
'अनकहा सच' के लिए शुभकामनाएँ !
आशा जी की पुस्तक "अनकहा सच" की बहुत सुन्दर समीक्षा की आपने ,....बधाई.
वैसे मै आशा जी ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ......
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
सुन्दर समीक्षा है संजय जी आपक ...
आशा जी कों बहुत बहुत बधाई इस प्रकाशान पे ...
Aasha ji ko saadar parnaam.........
parichaya karwane ke liye dhanyawad sanjay bhai.........
प्रिय संजय ,आज तुम्हारी लिखी समीक्षा (अनकहा सच पर )पढ़ी |समीक्षा में
तुम्हारे द्वारा लिखित शब्दों का चयन एवं कविताओं में छिपे भाव बड़े ही
सौन्दर्यात्मक
ढंग से उजागर किये हैं |समीक्षा कई व्यक्तियों द्वारा की गयी परन्तु
कविताओं का गहन अध्यन करने के पश्च्यात तुमने जो कुछ कहा है वह अपने आप
में ही अनकहा सच है |तुम्हारी साहित्यिक प्रतिभा जान कर मैं गौरान्वित
हुई हूँ |
मुझे प्रोत्साहित करने के लिए एवं मेरी लेखनी को और आगे बढाने के लिए
तुम्हारी शुभ कामनाएं मुझे प्रेरित करती रहेंगी |तुम्हें धन्यवाद और
आशीर्वाद |
आशा
shandar samiksha ke liye aabhar maene bhi padhi hae ankhasach.mera blog aapki pratiksha kar rha hae .
आशा सक्सेना जी, सादर प्रणाम, आपकी कवितायेँ जिन्दगी का अनकहा सच बयां करती है. मुझे याद है कि एक बार आप मेरे ब्लॉग पर आयीं थी. आपने एक खुबसूरत कमेंट्स भी दिया था. मुझे उम्मीद है आपका स्नेह हमेशा मिलता रहेगा....और हाँ.. संजय भाई का भी हार्दिक आभार..
धन्यवाद संजय .... !!
*आशा जी* का लिखा *लेख्य* पढ़ने की बहुत दिनों से ईच्छा थी ,आज कुछ पूरी हुई ... शुक्रिया और आभार .... !!
सुंदर समीक्षा .... आपको और आशा जी को बधाई
बहुत बढ़िया प्रस्तुति.आभार.
सुन्दर रचना ।
सुंदर समीक्षा ||
आभार ।।
sanjay jee sabse pahle to aapko aapke is shandaar pryas ke liye hardik dhnywad dena chahta hoon..asha jee jaisi rachnakaar kee lagbhag sabhi rachnayein main padhta hoon...lekin aaj bidhiwat unke jeewan ko samajhne ka mauka mila..bahut acchi sammeksha..sandaar pryas ke liye punah badhayee
आदरणीय आशा जी की पुस्तक 'अनकहा सच' की इतनी सुन्दर समीक्षा प्रस्तुत करने के लिये..आभार
प्रिय संजयजी,
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
मातृदिवस के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
सवाई
आशा जी की पुस्तक "अनकहा सच" की बहुत सुन्दर समीक्षा की है संजय आपने ,....बधाई.
समीक्षा अच्छी लगी लेकिन कुछ छोटी रही। आशा जी को बधाई और आपका धन्यवाद!
हार्दिक शुभकामनाएँ इस सुंदर आलेख के लिये..!!
अच्छी समीक्षा संजय जी...
आशा जी को नियमित पढ़ती हूँ...
बहुत शुक्रिया.
अनंत शुभकामनाएँ.
आशा जी के लेखन से हम सभी परिचित हैं परन्तु उनके काव्य संकलन को पढ़ने का सौभाग्य अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. तुम्हारे द्वारा पुस्तक सम्मेक्षा पढकर उसे पढ़ने की उत्सुकता बहुत बढ़ गयी. अच्छी समीक्षा.
शुभकामनायें.
आशा जी की रचनाये मै पढ़ती हूँ ..बहुत ही बेहतरीन लिखती है वो......और अपने बहुत ही उत्कृष्ट रूप से समीक्षा की है....
बधाई :-)
आशा जी को ढेर सारी शुभकामनाये एवं बधाई
उनकी लेखनी अमर रहे :-)
आशा जी की लेखनी से पहले ही परिचय है...बहुत सुन्दर पुस्तक समीक्षा...आभार और शुभकामनायें !
itni sunder jankari mili.....badhayee apko aur ashajee ko.
आपके आलेख से एक सुंदर जानकारी मिली है. आभार.
आशाजी का लेखन हमेशा से प्रभावित करता रहा है, उन्हें ढेर सारी शुभकामनाये एवं बधाई... आपने बढिया समीक्षा की है संजय जी... आभार आपका
आदरणीया आशा जी को ढेर सारी शुभ कामनाएं और बधाई साथ ही सुन्दर समीक्षा के लिए आप को भी संजय जी ..जय श्री राधे
भ्रमर ५.
बहुत सुंदर समीक्षा...प्रस्तुत कविताएँ बहुत भावपूर्ण हैं
आपको और आशा जी को बधाई और शुभकामनाएँ!!!
आशा जी को ढेर सारी शुभकामनाये एवं बधाई
प्रस्तुत कविताएँ बहुत भावपूर्ण
बहुत ही अच्छी समीक्षा लिखी है आपने ..बधाई सहित शुभकामनाएं ।
आशा जी जैसी प्रतिभाशाली शख्सियत से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद संजय जी !
kya baat hai sanjay ji , aap to bade chhupe rustam nikle ! aapme ek achchhe samikshak ke gun bhi hai ! badhai !
बहुत बढिया समीक्षा....बधाई, शुभकामनाएं....
यह नहीं मालूम था कि आशा जी, ज्ञानवती सक्सेना जैसी महान कवियित्री कि सुपुत्री हैं , मैं बचपन से ही उनके गीत पढता रहा हूँ और कई तो संकलन में भी लिख रखे थे !
वैसी कवियित्री अब कहाँ मिलती हैं !
आभार उनपर लिखने के लिए !
सुंदर समीक्षा
बहुत ही बढ़िया समीक्षा की है संजय भाई आपने... जल्द ही पुस्तक पढने की कोशिश करूँगा...
संजय, बहुत बढिया समीक्षा की है तुमने ।आशा जी को ढेर सारी शुभकामनाये एवं बधाई.
आदरणीय आशा जी के ब्लॉग में नियमित जाना होता है... उन्हें पढ़ना हमेशा सुखद होता है...
सुन्दर समीक्षा के लिए हार्दिक बधाई.
कल 18/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
आपकी पोस्ट 17/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा - 882:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सुन्दर समीक्षा प्रस्तुत करने के लिये बहुत२ बधाइयाँ संजय जी !
MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....
संजय भास्कर जी आपको ढेरों बधाई आशा जी की पुस्तक की इतनी सुन्दर समीक्षा करने हेतु शुभकामनाएं
aasha jee ka ankaha sach aur aapki
samiksha bahut acchi lagi.....
आशाजी को उनके पुस्तक के प्रकाशन पर बधाई ।
आपको भी पुस्तक की सुन्दर समीक्षा के लिये ।
आशाजी कोा परिचय बहुत कुछ अपना सा लगा ।
सुन्दर समीक्षा...अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिया दर्पण की ओर से आभार।
उत्तम प्रस्तुति...
मै आभारी हूँ आप सब प्रबुद्ध साहित्यकार,
साहित्यिक गतिबिधियों के प्रेरक एवं साहित्य प्रेमी जनों की जिनने संजय भास्कर द्वारा मेरी पुस्तक "अनकहा सच " की समीक्षा को पढ़ा और टिप्पणी कर सराहा | उन्हें इसी प्रकार के लेखन के लिए प्रोत्साहित किया |मैं आभारी हूँ संजय की जिन्होंने
सही समीक्षा की |एक बार पुनः आप सब को हार्दिक धन्यवाद |
आशा
अनकहा सच से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद.....
अच्छी समीक्षा है......
यूँ ही कराते रहिये अनछुए पहलुओं से परिचय...ताकि...कुछ भी न रह जाये अनकहा
आशा जी को अनकहे सच की बहुत बहुत बधाई .....!!
प्रयास अच्छा है।
प्रयास अच्छा है।
एक काव्य संग्रह का हाथ में आना ...और उसे पूरा पढ़ लेने के बाद उसकी समीक्षा करना ये दोनों अगल अगल बाते हैं ...आपने संग्रह पढ़ा ...और उसकी समीक्षा की ...बहुत खूब ...आशा जी के काव्य संग्रह की ..इतनी अच्छी और सार्थक समीक्षा के लिए संजय ..आपको बधाई
आशा जी को बहुत बधाई.
संजय, बहुत बढिया समीक्षा
सुंदर समीक्षा .... आपको और आशा जी को बहुत बहुत बधाई!
बहुत सुन्दर समीक्षा.. आशा जी को पढता रहता हूँ
संजय, बहुत बढिया समीक्षा की है तुमने ।आशा जी को ढेर सारी शुभकामनाये एवं बधाई.
sundar pustak ki sundar sameeksha..
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