सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा नहीं |
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं ,
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं..........!
-- संजय भास्कर
136 टिप्पणियां:
ये सभी आदत ...आज - कल मुसकुराने की है !
जिंदगी का पता करने के लिए,
खुद अपने में ही झांकना होगा
कूड़े करकट से नजरें हटा,
उपवन को धारण करना होगा
दुनिया में सब बुरा बुरा ही नहीं
अच्छे की खोज में सद् विवेक को जाग्रत करना होगा.
आपकी यथार्थ की कड़वाहट को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार.
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं........
संजय जी, बिलकुल सही कहा है आपने, पूरी की पूरी व्यवस्था ही ख़राब है, नीचे से ऊपर तक... सार्थक भाव के साथ बेहतरीन प्रस्तुति......
बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
हमारे सामाजिक व्यवहार पर आपकी टिप्पणी सही है.
"कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं"
सबकुछ तो आपने ही कह दिया.कहने को कुछ बचा ही नहीं.विरोधाभासी सच में ही उत्तर छिपा है,मगर कोई ढूंढ़ता ही नहीं.सुंदर.
sanjay bhai kmala ka likh rahe ho mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
बहुत खूब
बिलकुल सही कहा है
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं.
जीवन का व्यवहारिक सच तो यही दिखाई दे रहा है ।
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं.
एकदम ठीक कहा हे संजय आपने ! बहुत दिने बाद एक अच्छी कविता पढने को मिली है --धन्यवाद !
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं........
जीवन का व्यवहारिक सच तो यही दिखाई दे रहा है ।
अच्छी कविता पढने को मिली है --धन्यवाद !
Jo kah rahe ho wo bilkul sahee hai.Waise bhee zindagee to ek uljhan hee hai...pahelee-si!
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
वाह .... बहुत ही गहन भावों का समावेश हर पंक्ति में, बेहतरीन प्रस्तुति ।
यही सब हो रहा है ..सच्चाई बयाँ करती पोस्ट
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
गजब कि पंक्तियाँ हैं .......संजय जी
BAHUT KHOOB SACHAI BYAN KI HAI AAPNE SANJAY JI.....
REGARDS
PREETI
यही तो दिक्कत है कि हर कोई लूटने में ही लगा है..
सुन्दर रचना!
जिन्दगी का सच तो जिन्दगी देने वाला ही जाने!
तीखी और बारीक नजर.
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं,सच है
आपके इसके जवाब में मैँ बस इतना ही कहूँगा कि आपका कहना शत-प्रतिशत सही है!
100 का नोट ही तो लगता है बस..इससे काम तो होगा ना ...
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार आपका
सचमुच में किसी को भी, किसी का भी पता नहीं।
बहुत सटीक बयानी करती रचना...
nice post....
very nice....
ky abaat he bhaskar ji
bahut bahut achha likah he!
बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
एक कडवी सचाई को बड़ी संवेदनशीलता के साथ कह दिया है आपने ! बहुत सुन्दर पोस्ट ! बधाई !
अपनी कमी को दूसरे पर थोपना आम बात है और वो भी जब बात ज्यादा बिगड़ जाए तो बेचारा ऊपर वाला ही मिलता है...
पूरी व्यवस्था ही बिगड़ी हुई है
बहुत अच्छा रचना...
बेहद शानदार रचना के लिए बहुत बहुत बधाई. बस ऐसा ही लिखते रहें.
आज का कड़वा सच बयान करती हुई असरदार रचना... शुभकामनाएँ...
सही है संजय जी ... जिंदगी का सच ढूँढते हुवे हो जिंदगी निकल जाती है ... बहुत लाजवाब लिखा है ...
बहुत दिने बाद एक अच्छी कविता
बिलकुल सही
एक भाव मई प्रस्तुति
आशा
सच क्या है जिंदगी का किसी को पता नहीं
ये सच हैं सच मै किसी को ये नही पता
बहुत खूब
आपकी यथार्थ की कड़वाहट को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार.
आप की रचना यथार्थ के बेहद करीब है| बधाई संजय भास्कर जी|
संजय जी ...... बहुत लाजवाब लिखा है ...
संजय जी बेहतरीन पोस्ट ने मन प्रसन्न कर दिया |
बधाई एवं आभार
बिना किसी लाग-लपेट के बिलकुल खरी-खरी बातें कही हैं ...संजय भाई !
सत्य वचन..!!
जिन्दगी की वास्तविकताओं से रूबरू करवाती रचना ..आपने बहुत सुंदर शब्दों में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है .....आपका आभार
bilkul sach...
@ G.N.SHAW JI
सही कहा आपने सर जी
......बहुत बहुत आभार
@ संध्या शर्मा जी..
आजकल पूरी की पूरी व्यवस्था ही ख़राब है
@ रविन्द्र प्रभात जी..
.....बहुत बहुत आभार
@ भूषण जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
@ राजीव जी..
@ अख्तर खान अकेला जी..
...बहुत बहुत आभार
@ Hams Institute
...बहुत बहुत आभार
@ सुशील बाकलीवाल जी..
...बहुत बहुत आभार
@ दर्शन कौर धनोए जी..
...बहुत बहुत आभार
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और भी प्रगति कर पाऊं ....आप सबका धन्यवाद
जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू कराती सुंदर कविता उम्दा अहसासों से लवरेज. बधाई.
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं........
वास्तविकता..... :( यथार्थ को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट
भाव पुर्ण कविता, इन लूटेरे देशवासियो पर... हर कोई लगा हे लूटने, शरीफ़ बेठा हे एक तरफ़
राम-राम भाई,
हर चीज का अपवाद होता है, इसका भी होगा,
मुझे कविता का कम ही शौक है लेकिन ये अच्छी लगी।
सारी सच्चाई बता कर कहते को
किसी को पता नहीं
बहुत खूब संजय भाई
sab kuchh dholane ke liye uparvala to hai hi....sach kaha ..
अनुत्तरित प्रश्नों से भरा जीवन।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
सही बात यही है..
विचारोत्जेक रचना के लिए आभार।
यथार्थ की कड़वाहट को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट.
सच सबको पता होता है मगर सच से सब नज़र चुराते हैं और क्यों ना चुरायें जब सच कहे बिना काम निकल रहा हो तो कौन सच का दामन थामना चाहेगा………सुन्दर अभिव्यक्ति।
बिल्कुल सच कहा है, जीवन के यथार्थ को जानते हुए भी हम उसको स्वीकार नहीं कर पाते हैं.
बहुत सही चित्रण किया है, अब यही सब शेष है बाकी तो सब विशेष है.
आज के माहौल को बेहद खूबसूरती से आइना दिखाया है ......शुभकामनायें !
कोई थोडा तो कोई ज्यादा , लूट सभी रहे हैं ..
सही बात !
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा नहीं |
बहुत सुन्दर भास्कर जी...
यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
bhaut sahi likha hai apne....sach mai zindagi ka pata nahi....sateek abhivyakti......
सच के सच को बयां करती जिंदगी से जुड़ी रचना !
जिंदगी की सच्चाई ब्यान करती एक सुन्दर रचना. बहुत-बहुत बधाई.
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं .....ये सच्चाई है जिंदगी की |
बहुत सुन्दर रचना भाव ...संजय जी ...बधाई प्रस्तुति के लिए ...
Very true.
बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
Sanjay ji...bahut badiya.
congrats on a very meaningful post.
सच क्या है जिंदगी का किसी को पता नहीं
ये सच हैं सच मै किसी को ये नही पता
......बहुत खूब
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
गजब कि पंक्तियाँ हैं .......संजय जी
nice post of aadat muskarane ki for SACH HAI KYA JINDAGI KA KISI KO PATA NAHI.........
Thanks....
Sanjay Bro.
sanjay ji
bahut hi sateek aur yatharth parak prastuti.
sach hai sabhi apne achhe bure karmo ko karke upar wale par daal dete hain .
vah yah nahi sochte ki upar wala bhi hame achhai karne ka mouka deta hai .par ham use andekha kar dete hain .
bahut hi umda post lagi aapki
bahut bahut badhai
poonam
सच्ची , सार्थक , सुन्दर रचना ।
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
सही कहा आपने, ऐसा ही हो रहा है आजकल।
अच्छी रचना।
बेहद शानदार रचना है
यूं ही लिखते रहे
आपको बधाई
बेहतरीन प्रस्तुति ।
Bahut badhiya Sanjay...
bahut khoob likha ji aapane
bahut hi badhiya hai
छा गए आप!!
..ढूँढता हूँ सबका पता, खुद का पता नहीं मिलता।
सटीक अभिव्यक्ति। बधाई।
बहुत ही सही बात आप ने कही................ जिंदगी के यथार्थ को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट. सच जिंदगी की इस मेले में है बहुत झमेले . सुंदर प्रस्तुति.
lutna khasotna ab to aam jindagi ki fitrat ho gayee hai..:)
bilkul sahi or spasht likha hai sanjay bhai...
bahut der ho gayi hame to ate-aate...
kunwar ji,
बहुत खूब,संजय जी.
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं
खूबसूरत शब्दों में यथार्थ चित्रण.
आभार.
@ शिव कुमार शिव जी
@ क्षमा जी
@ सदा जी
@ संगीता स्वरुप जी
@ प्रीती जी
@ भारतीय नागरिक -Indian सिटिज़न जी.
.....बहुत बहुत आभार
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना
.....बहुत बहुत आभार
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी.
.....बहुत बहुत आभार
@ राहुल सिंह जी.
.....बहुत बहुत आभार
@ सवाई राजपुरोहित भाई
.....बहुत बहुत आभार
@ विष्णु बैरागी जी.
.....बहुत बहुत आभार
@ समीर लाल जी..
.....बहुत बहुत आभार
@ प्रियंका राठौर जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं...........
@ राहुल जी..
@ अलोक खरे जी..
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
@ साधना वैद जी..
@ वीणा सिंह जी..
@ एम सिंह जी..
.....बहुत बहुत आभार
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
हम भी मुस्कुरा रहे हैं और हर हाल मे मुस्कुराते रहेंगे--- यही तो है ज़िन्दगी। आशीर्वाद।
bilkul sahi likha hai..jindagi ek paheli hi hai..kabhi hansati hai kabhi rulati hai...
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं
kyaaaa baat he.....bahut hii achchii rchnaaa
एक कडवी सचाई को बड़ी संवेदनशीलता के साथ कह दिया है आपने|आभार|
sanjay ji,
bilkul sahi........sunder......
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं.........
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं ,
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं......संजय जी, बिलकुल सही कहा है आपने
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं..........!
जिंदगी की सच्चाई बयां करती बेमिसाल रचना. बहुत-बहुत बधाई.
सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
bahut achcha likhe.
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
sarthak lekhan.....
aaj ke sach ko ujagar kartee rachana........bahut pasand aaee .
aabhar
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
sarthak lekhan.....
aaj ke sach ko ujagar kartee rachana........bahut pasand aaee .
aabhar
सत्यता की अभिव्यक्ति करती हुए बहुत सुन्दर रचना..
कटु ही सही मगर ये हर जगह व्याप्त है समाज में..
namaskar ji
blog par kafi dino se nahi aa paya mafi chahata hoon
sach ye hein guru ji ka jawab nahi
bahut hi lajawab jabardast rachna
hakikat baya karti sateek rachna
jawab nahi sir ji
bahut sahi likha hai...
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
aur is bahane jo marzi karta rahta hai aadmi.
bahut achhi rachna, badhai Sanjay ji.
सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... आपने दुनिया के सच के बारे में बखूबी लिखा है !
बहुत सटीक प्रस्तुति..
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं.
संजय जी, बिलकुल सही कहा है आपने
बहुत सटीक...सुन्दर प्रस्तुति..
waah ! sanjay bahut lay mein likhi hai kavita
बहुत सुन्दर शेर .......
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
बहुत सही बात कह डाली दोस्त....... सौ फीसदी खरी खरी.....!!!!
Dear Sanjay ,
It's indeed a beautiful creation.
कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा न
bahut sundar bhavabhivyakti.
कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा न
matr yahi pankti hi nahi sabhi panktiyan lajawab.
बहुत लाजवाब .....सुन्दर प्रस्तुति.
हार्दिक शुभकामनायें।
@ मीनाक्षी जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
@ मोज कुमार जी..
@ आशा जी..
@ दीप्ति शर्मा जी..
@ अरुण चन्द्र रॉय जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
@ नवीन चतुर्वेदी जी..
@ अमित जी..
@ सोनू भाई
@ सुरेंदर सिंह जी..
@ प्रियांकाभिलाशी जी..
@ केवल राम जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
@ अमित श्रीवास्तव जी..
@ रचना दीक्षित जी..
@ मोनिका शर्मा जी..
@ राज भाटिया जी..
@ जात देवता जी..
@ दीपक सैनी जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
@ कविता जी..
@प्रवीण पाण्डेय जी..
@ अरुण साथी जी..
@ कुंवर कुसुमेश जी..
@ वंदना जी..
@ रेखा श्रीवास्तव जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
बहुत खूब ....!!
बस किस को पता नहीं....
सुन्दर भावो से सजी रचना.
सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
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वाह... बहुत खूब... सही प्रस्तुति किये हैं - संजय भास्कर जी..
बहुत सुंदर
सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं
उम्दा अभिव्यक्ति
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
कभी हमारे ब्लॉग में भी पधारे.. हमे खुशी , होगी नया जो हूँ...
avinash001.blogspot.com
इंतजार रहेगा आपका
ऐसा नहीं है कि किसी को ज़िंदगी का पता नहीं
आरिफ़ाने हयात की बंदा हरेक मगर सुनता नहीं
congrats for maintaining century record in comments.
Bhut badiya likha hai..Bhaiya..
@ निवेदिता जी..
@ वनिगीत जी..
@ डॉ. शरद सिंह जी..
@ रेवा जी..
@ सूर्य गोएल जी..
@ नरेश सिंह राठौर जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
@ महेंदर मिश्र जी..
@ राजीव पंछी जी..
@ अमरेंदर अमर जी..
@ वीरेंदर चौहान जी..
@ अनजान जी..
@ धीरं शाह जी..
हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
@ पूनम जी..
@ डॉ टी एस दराल जी..
@ महेंदर वर्मा जी..
@ राज कुमार सोनी जी..
@ सारा सच
@ रजनी मल्होत्रा जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
@ विजय रंजन जी..
@ चिराग जी..
@ ज्योति सिंह जी..
@ सलिल जी..
@ देवेंदर पाण्डेय जी..
@ निर्मला कपिला जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ उपेंदर जी..
@ मुकेश कुमार सिन्हा जी..
@ कुंवर जी..
@ विशाल जी..
@ सुमन जी..
@ जोया जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार !
बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं
संजय जी बहुत ही सुन्दर भाव इस रचना के -आज कल अक्सर पल्ला झाड़ने को लोग कह जाते हैं की सब कुछ तो प्रभु करवाता है तो दोष हमें ही क्यों -जब अच्छा हो राम रहीम जब बुरा हो तो इन्सान ??
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
शुक्ल भ्रमर ५
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