20 अप्रैल 2011

सच है क्या जिंदगी का किसी को पता नहीं.......संजय भास्कर


सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता  नहीं  |
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह 
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं 
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
कहने को तो देशभक्त है यारों  नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा नहीं |
कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है 
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं ,
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं..........!


-- संजय भास्कर

136 टिप्‍पणियां:

G.N.SHAW ने कहा…

ये सभी आदत ...आज - कल मुसकुराने की है !

Rakesh Kumar ने कहा…

जिंदगी का पता करने के लिए,
खुद अपने में ही झांकना होगा
कूड़े करकट से नजरें हटा,
उपवन को धारण करना होगा
दुनिया में सब बुरा बुरा ही नहीं
अच्छे की खोज में सद् विवेक को जाग्रत करना होगा.
आपकी यथार्थ की कड़वाहट को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार.

संध्या शर्मा ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं........

संजय जी, बिलकुल सही कहा है आपने, पूरी की पूरी व्यवस्था ही ख़राब है, नीचे से ऊपर तक... सार्थक भाव के साथ बेहतरीन प्रस्तुति......

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |

Bharat Bhushan ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं

हमारे सामाजिक व्यवहार पर आपकी टिप्पणी सही है.

Rajiv ने कहा…

"कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं"
सबकुछ तो आपने ही कह दिया.कहने को कुछ बचा ही नहीं.विरोधाभासी सच में ही उत्तर छिपा है,मगर कोई ढूंढ़ता ही नहीं.सुंदर.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

sanjay bhai kmala ka likh rahe ho mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

Hams Institute ने कहा…

बहुत खूब

बिलकुल सही कहा है

Sushil Bakliwal ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं.

जीवन का व्यवहारिक सच तो यही दिखाई दे रहा है ।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं.


एकदम ठीक कहा हे संजय आपने ! बहुत दिने बाद एक अच्छी कविता पढने को मिली है --धन्यवाद !

शिवा ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं........
जीवन का व्यवहारिक सच तो यही दिखाई दे रहा है ।
अच्छी कविता पढने को मिली है --धन्यवाद !

kshama ने कहा…

Jo kah rahe ho wo bilkul sahee hai.Waise bhee zindagee to ek uljhan hee hai...pahelee-si!

सदा ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
वाह .... बहुत ही गहन भावों का समावेश हर पंक्ति में, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यही सब हो रहा है ..सच्चाई बयाँ करती पोस्ट

Unknown ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
गजब कि पंक्तियाँ हैं .......संजय जी

Unknown ने कहा…

BAHUT KHOOB SACHAI BYAN KI HAI AAPNE SANJAY JI.....

REGARDS
PREETI

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

यही तो दिक्कत है कि हर कोई लूटने में ही लगा है..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर रचना!
जिन्दगी का सच तो जिन्दगी देने वाला ही जाने!

Rahul Singh ने कहा…

तीखी और बारीक नजर.

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं,सच है
आपके इसके जवाब में मैँ बस इतना ही कहूँगा कि आपका कहना शत-प्रतिशत सही है!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

100 का नोट ही तो लगता है बस..इससे काम तो होगा ना ...
बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आभार आपका

विष्णु बैरागी ने कहा…

सचमुच में किसी को भी, किसी का भी पता नहीं।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सटीक बयानी करती रचना...

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

nice post....

rahul ने कहा…

very nice....

Khare A ने कहा…

ky abaat he bhaskar ji

bahut bahut achha likah he!

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |

Sadhana Vaid ने कहा…

एक कडवी सचाई को बड़ी संवेदनशीलता के साथ कह दिया है आपने ! बहुत सुन्दर पोस्ट ! बधाई !

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

अपनी कमी को दूसरे पर थोपना आम बात है और वो भी जब बात ज्यादा बिगड़ जाए तो बेचारा ऊपर वाला ही मिलता है...
पूरी व्यवस्था ही बिगड़ी हुई है
बहुत अच्छा रचना...

Unknown ने कहा…

बेहद शानदार रचना के लिए बहुत बहुत बधाई. बस ऐसा ही लिखते रहें.

मीनाक्षी ने कहा…

आज का कड़वा सच बयान करती हुई असरदार रचना... शुभकामनाएँ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही है संजय जी ... जिंदगी का सच ढूँढते हुवे हो जिंदगी निकल जाती है ... बहुत लाजवाब लिखा है ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत दिने बाद एक अच्छी कविता

Manoj Kumar ने कहा…

बिलकुल सही

Asha Lata Saxena ने कहा…

एक भाव मई प्रस्तुति
आशा

deepti sharma ने कहा…

सच क्या है जिंदगी का किसी को पता नहीं

ये सच हैं सच मै किसी को ये नही पता
बहुत खूब

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

आपकी यथार्थ की कड़वाहट को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार.

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

आप की रचना यथार्थ के बेहद करीब है| बधाई संजय भास्कर जी|

Unknown ने कहा…

संजय जी ...... बहुत लाजवाब लिखा है ...

smshindi By Sonu ने कहा…

संजय जी बेहतरीन पोस्ट ने मन प्रसन्न कर दिया |

smshindi By Sonu ने कहा…

बधाई एवं आभार

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बिना किसी लाग-लपेट के बिलकुल खरी-खरी बातें कही हैं ...संजय भाई !

priyankaabhilaashi ने कहा…

सत्य वचन..!!

केवल राम ने कहा…

जिन्दगी की वास्तविकताओं से रूबरू करवाती रचना ..आपने बहुत सुंदर शब्दों में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है .....आपका आभार

amit kumar srivastava ने कहा…

bilkul sach...

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ G.N.SHAW JI
सही कहा आपने सर जी
......बहुत बहुत आभार
@ संध्या शर्मा जी..
आजकल पूरी की पूरी व्यवस्था ही ख़राब है
@ रविन्द्र प्रभात जी..
.....बहुत बहुत आभार
@ भूषण जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ राजीव जी..
@ अख्तर खान अकेला जी..
...बहुत बहुत आभार
@ Hams Institute
...बहुत बहुत आभार
@ सुशील बाकलीवाल जी..
...बहुत बहुत आभार
@ दर्शन कौर धनोए जी..
...बहुत बहुत आभार
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और भी प्रगति कर पाऊं ....आप सबका धन्यवाद

रचना दीक्षित ने कहा…

जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू कराती सुंदर कविता उम्दा अहसासों से लवरेज. बधाई.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं........

वास्तविकता..... :( यथार्थ को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाव पुर्ण कविता, इन लूटेरे देशवासियो पर... हर कोई लगा हे लूटने, शरीफ़ बेठा हे एक तरफ़

SANDEEP PANWAR ने कहा…

राम-राम भाई,
हर चीज का अपवाद होता है, इसका भी होगा,
मुझे कविता का कम ही शौक है लेकिन ये अच्छी लगी।

Deepak Saini ने कहा…

सारी सच्चाई बता कर कहते को
किसी को पता नहीं

बहुत खूब संजय भाई

kavita verma ने कहा…

sab kuchh dholane ke liye uparvala to hai hi....sach kaha ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अनुत्तरित प्रश्नों से भरा जीवन।

Arun sathi ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
सही बात यही है..
विचारोत्जेक रचना के लिए आभार।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

यथार्थ की कड़वाहट को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट.

vandana gupta ने कहा…

सच सबको पता होता है मगर सच से सब नज़र चुराते हैं और क्यों ना चुरायें जब सच कहे बिना काम निकल रहा हो तो कौन सच का दामन थामना चाहेगा………सुन्दर अभिव्यक्ति।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

बिल्कुल सच कहा है, जीवन के यथार्थ को जानते हुए भी हम उसको स्वीकार नहीं कर पाते हैं.

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सही चित्रण किया है, अब यही सब शेष है बाकी तो सब विशेष है.

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

आज के माहौल को बेहद खूबसूरती से आइना दिखाया है ......शुभकामनायें !

वाणी गीत ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा , लूट सभी रहे हैं ..
सही बात !

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा नहीं |


बहुत सुन्दर भास्कर जी...
यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

Rewa Tibrewal ने कहा…

bhaut sahi likha hai apne....sach mai zindagi ka pata nahi....sateek abhivyakti......

Anita ने कहा…

सच के सच को बयां करती जिंदगी से जुड़ी रचना !

सूर्य गोयल ने कहा…

जिंदगी की सच्चाई ब्यान करती एक सुन्दर रचना. बहुत-बहुत बधाई.

naresh singh ने कहा…

चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं .....ये सच्चाई है जिंदगी की |

समय चक्र ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना भाव ...संजय जी ...बधाई प्रस्तुति के लिए ...

Rajeev Panchhi ने कहा…

Very true.

amrendra "amar" ने कहा…

बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Sanjay ji...bahut badiya.

congrats on a very meaningful post.

ANJAAN ने कहा…

सच क्या है जिंदगी का किसी को पता नहीं
ये सच हैं सच मै किसी को ये नही पता
......बहुत खूब

ANJAAN ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
गजब कि पंक्तियाँ हैं .......संजय जी

IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…

nice post of aadat muskarane ki for SACH HAI KYA JINDAGI KA KISI KO PATA NAHI.........

Thanks....
Sanjay Bro.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

sanjay ji
bahut hi sateek aur yatharth parak prastuti.
sach hai sabhi apne achhe bure karmo ko karke upar wale par daal dete hain .
vah yah nahi sochte ki upar wala bhi hame achhai karne ka mouka deta hai .par ham use andekha kar dete hain .
bahut hi umda post lagi aapki
bahut bahut badhai
poonam

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सच्ची , सार्थक , सुन्दर रचना ।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं

सही कहा आपने, ऐसा ही हो रहा है आजकल।
अच्छी रचना।

राजकुमार सोनी ने कहा…

बेहद शानदार रचना है
यूं ही लिखते रहे
आपको बधाई

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Vijuy Ronjan ने कहा…

Bahut badhiya Sanjay...

बेनामी ने कहा…

bahut khoob likha ji aapane

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut hi badhiya hai

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

छा गए आप!!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

..ढूँढता हूँ सबका पता, खुद का पता नहीं मिलता।

निर्मला कपिला ने कहा…

सटीक अभिव्यक्ति। बधाई।

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बहुत ही सही बात आप ने कही................ जिंदगी के यथार्थ को दर्शाती भावपूर्ण पोस्ट. सच जिंदगी की इस मेले में है बहुत झमेले . सुंदर प्रस्तुति.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

lutna khasotna ab to aam jindagi ki fitrat ho gayee hai..:)

kunwarji's ने कहा…

bilkul sahi or spasht likha hai sanjay bhai...
bahut der ho gayi hame to ate-aate...

kunwar ji,

विशाल ने कहा…

बहुत खूब,संजय जी.

कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं

खूबसूरत शब्दों में यथार्थ चित्रण.
आभार.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ शिव कुमार शिव जी
@ क्षमा जी
@ सदा जी
@ संगीता स्वरुप जी
@ प्रीती जी
@ भारतीय नागरिक -Indian सिटिज़न जी.
.....बहुत बहुत आभार
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना
.....बहुत बहुत आभार

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी.
.....बहुत बहुत आभार
@ राहुल सिंह जी.
.....बहुत बहुत आभार
@ सवाई राजपुरोहित भाई
.....बहुत बहुत आभार
@ विष्णु बैरागी जी.
.....बहुत बहुत आभार
@ समीर लाल जी..
.....बहुत बहुत आभार
@ प्रियंका राठौर जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं...........

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ राहुल जी..
@ अलोक खरे जी..
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
@ साधना वैद जी..
@ वीणा सिंह जी..
@ एम सिंह जी..
.....बहुत बहुत आभार
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

निर्मला कपिला ने कहा…

हम भी मुस्कुरा रहे हैं और हर हाल मे मुस्कुराते रहेंगे--- यही तो है ज़िन्दगी। आशीर्वाद।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

bilkul sahi likha hai..jindagi ek paheli hi hai..kabhi hansati hai kabhi rulati hai...

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

कोई थोडा तो कोई ज्यादा जिसे देखो बस लूट रहा है
चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं

kyaaaa baat he.....bahut hii achchii rchnaaa

Patali-The-Village ने कहा…

एक कडवी सचाई को बड़ी संवेदनशीलता के साथ कह दिया है आपने|आभार|

Suman ने कहा…

sanjay ji,
bilkul sahi........sunder......

संगीता पुरी ने कहा…

सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं.........

Unknown ने कहा…

चाहे हो चपरासी बाबू या हो कोई दफ्तर बाबू पेट किसी का भरा नहीं ,
सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं......संजय जी, बिलकुल सही कहा है आपने

संध्या शर्मा ने कहा…

सच है क्या जिंदगी का , किसी को पता नहीं..........!

जिंदगी की सच्चाई बयां करती बेमिसाल रचना. बहुत-बहुत बधाई.

mridula pradhan ने कहा…

सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
bahut achcha likhe.

Apanatva ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
sarthak lekhan.....
aaj ke sach ko ujagar kartee rachana........bahut pasand aaee .
aabhar

Apanatva ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
sarthak lekhan.....
aaj ke sach ko ujagar kartee rachana........bahut pasand aaee .
aabhar

आशुतोष की कलम ने कहा…

सत्यता की अभिव्यक्ति करती हुए बहुत सुन्दर रचना..
कटु ही सही मगर ये हर जगह व्याप्त है समाज में..

OM KASHYAP ने कहा…

namaskar ji
blog par kafi dino se nahi aa paya mafi chahata hoon

OM KASHYAP ने कहा…

sach ye hein guru ji ka jawab nahi
bahut hi lajawab jabardast rachna
hakikat baya karti sateek rachna
jawab nahi sir ji

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

bahut sahi likha hai...
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
aur is bahane jo marzi karta rahta hai aadmi.
bahut achhi rachna, badhai Sanjay ji.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
कोई कहता है सब है यहाँ राम, रहीम, ईसा, अल्लाह
कोई कहता है झूठ है दुनिया में कोई खुदा नहीं |

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ... आपने दुनिया के सच के बारे में बखूबी लिखा है !

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक प्रस्तुति..

sumeet "satya" ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं.

संजय जी, बिलकुल सही कहा है आपने
बहुत सटीक...सुन्दर प्रस्तुति..

Minoo Bhagia ने कहा…

waah ! sanjay bahut lay mein likhi hai kavita

Pawan Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर शेर .......
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
बहुत सही बात कह डाली दोस्त....... सौ फीसदी खरी खरी.....!!!!

ZEAL ने कहा…

Dear Sanjay ,
It's indeed a beautiful creation.

Shalini kaushik ने कहा…

कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा न
bahut sundar bhavabhivyakti.

Shalini kaushik ने कहा…

कहने को तो देशभक्त है यारों नेता सभी ,
लेकिन ' भास्कर ' की नजर में करता कोई वफा न
matr yahi pankti hi nahi sabhi panktiyan lajawab.

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत लाजवाब .....सुन्दर प्रस्तुति.
हार्दिक शुभकामनायें।

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ मीनाक्षी जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
@ मोज कुमार जी..
@ आशा जी..
@ दीप्ति शर्मा जी..
@ अरुण चन्द्र रॉय जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

@ नवीन चतुर्वेदी जी..
@ अमित जी..
@ सोनू भाई
@ सुरेंदर सिंह जी..
@ प्रियांकाभिलाशी जी..
@ केवल राम जी..
.....बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ अमित श्रीवास्तव जी..
@ रचना दीक्षित जी..
@ मोनिका शर्मा जी..
@ राज भाटिया जी..
@ जात देवता जी..
@ दीपक सैनी जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ कविता जी..
@प्रवीण पाण्डेय जी..
@ अरुण साथी जी..
@ कुंवर कुसुमेश जी..
@ वंदना जी..
@ रेखा श्रीवास्तव जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं

बहुत खूब ....!!

Coral ने कहा…

बस किस को पता नहीं....

shikha varshney ने कहा…

सुन्दर भावो से सजी रचना.

आकाश सिंह ने कहा…

सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं |
कौन कर रहा है क्या, किसी को पता नहीं |
-----------------------
वाह... बहुत खूब... सही प्रस्तुति किये हैं - संजय भास्कर जी..

वर्षा ने कहा…

बहुत सुंदर

अविनाश मिश्र ने कहा…

सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं

उम्दा अभिव्यक्ति

अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
कभी हमारे ब्लॉग में भी पधारे.. हमे खुशी , होगी नया जो हूँ...
avinash001.blogspot.com
इंतजार रहेगा आपका

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

ऐसा नहीं है कि किसी को ज़िंदगी का पता नहीं
आरिफ़ाने हयात की बंदा हरेक मगर सुनता नहीं

Kunwar Kusumesh ने कहा…

congrats for maintaining century record in comments.

Suman Anuragi ने कहा…

Bhut badiya likha hai..Bhaiya..

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ निवेदिता जी..
@ वनिगीत जी..
@ डॉ. शरद सिंह जी..
@ रेवा जी..
@ सूर्य गोएल जी..
@ नरेश सिंह राठौर जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ महेंदर मिश्र जी..
@ राजीव पंछी जी..
@ अमरेंदर अमर जी..
@ वीरेंदर चौहान जी..
@ अनजान जी..
@ धीरं शाह जी..
हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ पूनम जी..
@ डॉ टी एस दराल जी..
@ महेंदर वर्मा जी..
@ राज कुमार सोनी जी..
@ सारा सच
@ रजनी मल्होत्रा जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ विजय रंजन जी..
@ चिराग जी..
@ ज्योति सिंह जी..
@ सलिल जी..
@ देवेंदर पाण्डेय जी..
@ निर्मला कपिला जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ उपेंदर जी..
@ मुकेश कुमार सिन्हा जी..
@ कुंवर जी..
@ विशाल जी..
@ सुमन जी..
@ जोया जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार !

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

बिलकुल सही कहा है आपने,सच है क्या जिंदगी का, किसी को पता नहीं

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

संजय जी बहुत ही सुन्दर भाव इस रचना के -आज कल अक्सर पल्ला झाड़ने को लोग कह जाते हैं की सब कुछ तो प्रभु करवाता है तो दोष हमें ही क्यों -जब अच्छा हो राम रहीम जब बुरा हो तो इन्सान ??
करके सब काम बुरे उसी पर टाल देता है आदमी ,
कहता है ऊपर वाले की मर्जी मेरी कोई खता नहीं
दुनिया बुरी भी है और अच्छी भी ये भी सभी को पता नहीं ,
शुक्ल भ्रमर ५