31 दिसंबर 2010

2011 के साथ होगी खुशियों की बरसात...........संजय भास्कर


कुछ दिनों की है बात
फिर हर रोज होगी मुलाकात
कुछ तुम कहना कुछ हम कहेंगे
अपने दिल की बात
कैसे कैसे सपने देखे
कैसे बीती वो आपसे दूर रह कर रात
  बीता 2010 आ रहा 2011 का साथ
इंतज़ार की घड़िया ख़त्म होने को है
रूबरू होंगे लेकर खुशियों की बरसात !
Happy  New Year 
******************************

ब्लॉग जगत के तमाम साथियों को मेरी तरफ से नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें , अपना स्नेह और प्यार इसी तरह बरकरार रखना ......मुझे अभी बहुत कुछ कहना है ..........!

....संजय कुमार भास्कर....  

27 दिसंबर 2010

" ......इक अनाथ का दर्द ........"


मैं अनाथ हूँ तो क्या
मुझे न मिलेगा प्यार कभी
किसी की आँख का तारा
क्या कभी बन पाऊंगा
किसी के घर आँगन में
फूल बन मह्कूंगा कभी
ओ दुनिया वालों
मैं भी तो इक बच्चा हूँ
माना तुम्हारा खून नही हूँ
न ही संस्कार तुम्हारे हैं
फिर भी हर बाल सुलभ
चेष्टाएं तो हैं मेरी भी वही
क्या संस्कार ही बच्चे को
माँ की गोद दिलाते हैं
क्या खून ही बच्चे को
पिता का नाम दिलाता है
क्या हर रिश्ता केवल
खून और संस्कार बनाता है
तुम तो सभ्य समाज के
सभ्य इंसान हो
फिर क्यूँ नही
मेरी पीड़ा समझ पाते हो
मैं भी तरसता हूँ
माँ की लोरी सुनने को
मैं भी मचलना चाहता हूँ
पिता की ऊँगली पकड़
मैं भी चलना चाहता हूँ
क्या दूसरे का बच्चा हूँ
इसीलिए मैं बच्चा नही
यदि खून की ही बात है तो
खुदा ने तो न फर्क किया
फिर क्यूँ तुम फर्क दिखाते हो
लाल रंग है लहू का मेरे भी
फिर भी मुझे न अपनाते हो
अगर खून और संस्कार तुम्हारे हैं
फिर क्यूँ आतंकियों का बोलबाला है
हर ओर देश में देखो
आतंक का ही साम्राज्य है
अब कहो दुनिया के कर्णधारों
क्या वो खून तुम्हारा अपना नही
एक बार मेरी ओर निहारो तो सही
मुझे भी अपना बनाओ तो सही
फिर देखना तुम्हारी परवरिश से
ये फूल भी खिल जाएगा
तुम्हारे ही संस्कारों से
दुनिया को जन्नत बनाएगा
बस इक बार
हाथ बढाओ तो सही
हाथ बढाओ तो सही 
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
 
कविता के माध्यम से एक अनाथ के दर्द को बयाँ किया है 
वंदना जी ने इतनी सुन्दरता से लिखा कि मैं अपने ब्लॉग पर ही ले आया 
वंदना जी कि कलम से निकली एक बेहतरीन रचना 
वंदना गुप्ता  जी के ब्लॉग से ये कविता आप तक  पहुंचा रहे है संजय भास्कर
 

22 दिसंबर 2010

200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों और ब्लॉगस्पॉट का तहे दिल से शुक्रिया ...संजय भास्कर

मुझे  यह  बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में  मेरे  समर्थको (Followers) की संख्या 2०० हो गई है  
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ , मैं और मेरी कविताये  वाली लेखिका संध्या शर्मा  जी  की  , जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने  की का  दोसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।

इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी 

    आनंदित है रोम रोम, पाकर प्यार आपका
थैंक्स, शुक्रिया, मेहरबानी, छोटे पड़ गए
कैसे करूँ प्रकट आभार आपका
नहीं उतरेगा कर्ज इस जन्म, मुझसे 
संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
 
इसी पर एक छोटी सी कविता  पेश करता हूँ आपके सामने
शुक्रिया ब्लॉगस्पॉट
तेरा बहुत शुक्रिया
मेरे जीवन में एक तरंग लाए हो तुम
लगता खुशियां अपने संग लाए हो तुम
मुझे साथ खड़े हैं दो सौ दिमाग
चार  सौ आंखे, चार सौ हाथ
जारी है गिनती, मेरी बढ़ती खुशियों की
बढ़ाने को मेरा हौसला हर कदम पर
शुक्रिया ब्लॉगस्पॉट!
बनी रहेगी आदत........मुस्कुराने की मेरी
तेरे संग ब्लॉगस्पॉट
शुक्रिया,.बहुत शुक्रिया..

.......आमीन.......

साथ ही आप सभी पेश है मेरी दो सौंवी फ़ॉलोअर संध्या शर्मा जी की एक सुंदर कविता 

" KAVITA "

" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों  ने  घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"         


.........................संजय कुमार भास्कर 

16 दिसंबर 2010

माँ की परिभाषा........संजय भास्कर


माँ की परिभाषा कोई पूछे तो ,
प्यार मैं बतलाता हूँ |
माँ का आँचल कोई पूछे तो ,
आकाश मैं दिखलाता हूँ  |
माँ कि सहनशीलता कोई पूछे तो ,
धरती मैं बतलाता हूँ |
माँ कि लोरिया कोई पूछे तो ,
तारे मैं गिनवाता हूँ |
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |

...............संजय कुमार भास्कर  



13 दिसंबर 2010

नए पुराने ब्लोगरो हेतु ब्लोगिंग टिप्स...नरेश जी के ब्लॉग से पहुंचा रहे है.... संजय भास्कर

मुझे हिन्दी ब्लोगिंग में बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है लेकिन जितना समय हुआ है उसमे बहुत कुछ सीख गया हूँ | ये पोस्ट लिखने की आवश्यकता भी रोहतक में ब्लोग्गर मिलन के बाद ही महसूस हुई है | ज्यादा भूमिका बनाए बगैर सीधे काम की बात पर आते है |

     नए बलोगर जो गलती करते है उनके बारे में पहले भी एक पोस्ट मैंने लिखी थी | उन बातों को दुबारा यहां लिख रहा हूँ |
वर्ड वैरिफ़िकेशन - नए ब्लोगर इसे हटाते नहीं जिससे उनके बलोग पर टिप्पणी देने में परेशानी आती है और मजबूरन पाठक दुसरे बलोग पर चले जाते है | इसका तरीका है -ब्लोगर डेशबोर्ड --> सेटिंग---> कमेंट्स ---- >शो वर्ड वैरिफ़िकेशन फार कमेंट्स ---->सेलेक्ट नो-----> सेव सेटिंग्स
     
     सब्सक्राईब करने का लिंक - अपने पाठको को ई मेल द्वारा सब्सक्राईब करने का लिंक जरूर लगाए |
विजेट बार में फोल्लोवर बनने का विजेट जरूर लगाए - आज कल नए टेम्प्लेट में तो यह सुविधा आती ही है अगर नहीं भी हो तो आप इसे चालू कर सकते है |
टिप्पणी देने में कंजूसी ना करे - टिप्पणियां हिन्दी बलोग जगत के विकास में टिप्पणियों की अहम भूमिका रही है | कोइ भी बलोग्गर इसके महत्त्व को नकार नहीं सकता है |तो आप भी ज्यादा से ज्यादा टिप्पणी दे ताकी आपका लिंक ज्यादा से ज्यादा जगह पर दिखाई दे | और वो गूगल सर्च में टॉप पर आये | चिट्ठा जगत में भी ताजा टिप्पणियों में आपका जिक्र होता रहेगा | 
 
      मित्र ब्लॉग -अपने मित्रो के ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग के साईड बार में दिखाए और उन्हें भी ऐसा करने का आग्रह करे |जिससे आपके ब्लॉग का लिंक ज्यादा से ज्यादा जगह पर दिखाई दे और आपके विजिटरो की संख्या में इजाफा हो|
अपने ब्लॉग को ब्लॉग अग्रीगेटर से जोड़े  - अपने ब्लॉग को जितने भी ब्लॉग अग्रीगेटर है उनमे पंजीकृत करे | जिससे की आपके ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा पाठक मिल सके और आपके ब्लॉग का लिंक भी ज्यादा जगह पर पहुचे |

     अच्छे पाठक बने - आप किसी भी ब्लॉग की नयी पोस्ट कैसे पढ़ते है | सबका अलग अलग जवाब होगा | रोहतक में जब बलोगर मिले थे तब भी बहुत से ब्लोगरो ने यही समस्या बतायी थी की ब्लॉग वाणी के बंद होने के बाद चिट्ठो की नयी पोस्ट पढने में परेशानी होती है | और अब तो चिट्ठाजगत भी बीमार चल रहा है | अजय भाई ने इसका एक सरल उपाय बताया था की आप अपने पसंदीदा ब्लॉग को फोल्लो कीजिये और अपने ब्लोगर डेशबोर्ड पर उनकी नयी पुरानी पोस्ट आराम से पढ़िए | लेकिन मुझे ये तरीका कम पसंद है |इसका सबसे बढ़िया उपाय है गूगल रीडर | गूगल रीडर सबसे बढ़िया माध्यम है जिससे की आप अपने पसंदीदा ब्लॉग या वेब साईट की नयी पुरानी पोस्ट को आराम से पढ़ सकते है |  इस के बारे में आपको बता दू की आपको गूगल रीडर के लिए अलग से खाता बनाने की आवश्यकता नहीं है आप इसमें अपने जी मेल से भी लोगिन कर सकते है | आपने जिन ब्लॉग को फोल्लो कर रखा है वो वंहा आपको स्वत ही मिल जाते है |बाकी जानकारी आप अगली पोस्ट में पढ़ सकते है |

     गूगल चैट का उपयोग - आप अपने गूगल चैट विंडो के स्टेटस में आप अपनी जिस पोस्ट को पढवाना चाहते है यानी की नयी पोस्ट उसका लिंक वंहा लगा सकते है | उस मैसेज को संपादित भी कर सकते है| आपके दोस्त उस मैसेज को पढ़कर आपकी नयी पोस्ट पर पहुच जायंगे |
                                                                                                      
     ऑरकुट और फेस बुक जैसी शोसल नेटवर्किंग साईटो का उपयोग - ये साईट भी विजिटरो को आपके ब्लॉग तक लाने का अच्छा माध्यम हो सकती है | आप अपने प्रोफाइल में, नए ताजा मेसेज में अपनी पोस्ट और ब्लॉग का जिक्र कर सकते है | फेस बुक में तो अपने नोट्स के रूप में अपने ब्लॉग को ही इम्पोर्ट कर सकते है जिससे आपके ब्लॉग की पुरानी पोस्ट भी वंहा आ जायेगी ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार होगा |

     अपने दोस्तों को,जान पहचान वालो को ई मेल द्वारा अपने ब्लॉग के बारे में बताये लेकिन एक बात का ध्यान रखे उनको एक बार ही मेल करे , बार बार करने से गलत असर होता है |
अपने ब्लॉग को सर्च इंजन में जोड़े - इस बारे में आप आशीष भाई के ब्लॉग पर जाए उन्होंने बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है |
अपने ईमेल के हस्ताक्षर में अपने ब्लॉग का पता जरूर लिखे -जिससे मेल प्राप्तकर्ता एक बार आपके ब्लॉग पर जरूर जाएगा अगर ब्लॉग अच्छा लगा तो वह उसे बुक मार्क कर पढेगा |

     अपने ब्लॉग को ज्यादा तडक भड़क वाला ना बनाए क्यों की पाठक वंहा साज सज्जा देखने नहीं आता है वो उसकी विषय सामग्री हेतु ही आता है | जितने ज्यादा जावा विजेट्स होंगे उतना ही पेज लोडिंग का समय बढेगा जो की एक पाठक के लिए उबाऊ होगा |

     सर्च इंजन में आने का सबसे बढ़िया फार्मूला है जो भी शब्द ज्यादा सर्च किये जाते है उन पर पोस्ट का ताना बाना बुना जाए | जैसे आज कल"मुन्नी बदनाम " "विकिलीक्स" आदि शब्द ज्यादा सर्च किये जाते है |
यह पोस्ट आपको किसी लगी अपनी राय दे | अगर कुछ समझ में ना आये तो टिप्पणी या मेल द्वारा पूछे | 

नरेश जी का ईमेल आईडी है :-"नरेश सिह राठौड़"


ये सभी टिप्स मेरी शेखवाटी वाले नरेश राठौड़ जी द्वारा बताये गए है ....बढ़िया जानकारी प्रदान की है। नरेश जी आपने इसके लिए आपका आभार

08 दिसंबर 2010

हादसों के शहर में ---संजय भास्कर


हादसों के शहर  में ,
सबकी खबर रखिए |
कोई रखे  न रखे ,
आप जरूर रखिए |
इस दौर में 
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
चेहरों को पढने का हुनर ,
खूब दुनिया को आता है |
राज कोई भी हो ,
दिल में छुपा कर रखिए |
नजदीकी दोस्तों कि भी 
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |

..........संजय कुमार भास्कर

02 दिसंबर 2010

मगर फिर भी चाहता हूँ कुछ करूँ पिता के लिये----जन्मदिन पर विशेष

 २ - दिसम्बर आज मेरे पापा का जन्मदिन है 
पहले पापा को जन्मदिन की  ढेर सारी शुभकामनायें.
उनको एक छोटी सी भेंट कविता के रूप में  

तुम मेरे जीवन में
अदृश्य रूप से
शामिल अपना
अस्तित्व बोध
करवाते
बेशक माँ नहीं
मगर माँ से
कमतर भी नहीं
माँ को तो मैंने
अपनी साँसों के
साथ जान लिया
मगर तुम्हें
तुम जिसके कारण
मेरा वजूद
अस्तित्व पाया
उसे , उसके स्पर्श
को जानने में
पहचानने में
मुझे वक्त का
इंतजार करना पड़ा
और फिर वो
भीना भीना
ऊष्म स्पर्श
जब पहली बार
मैंने जाना
तब खुद को
संपूर्ण माना

मेरी ज़िन्दगी

के हर कदम पर
मेरी ऊंगली थामे
तुम्हारा स्नेहमय स्पर्श
हमेशा तुम्हारे
मेरे साथ होने
के अहसास को
पुख्ता करता गया
मेरे हर कदम में
होंसला बढाता गया
मुझे दुनिया से
लड़ने का जज्बा
देता गया
मुझे पिता में छुपे
दोस्त का जब
अहसास कराया
तब मैंने खुद को
संपूर्ण पाया |

अब एक मुकाम
पा गया अस्तित्व मेरा
मगर तुम अब भी
उसी तरह
फिक्रमंद नज़र आते हो
चाहे खुद हर
तकलीफ झेल जाओ
मगर मेरी तकलीफ में
आज भी वैसे ही
कराहते हो
अब चाहता हूँ
कुछ करूँ
तुम्हारे लिए
मगर तुम्हारे
स्नेह, त्याग और समर्पण
के आगे मेरा
हर कदम तुच्छ
जान पड़ता है
चाहता हूँ
जब कभी जरूरत हो
मेरी तुम्हें
तुम्हारे हर कदम पर
तुम्हारे साथ खड़ा रहूँ मैं
बेशक तुम्हारे ऋण से
उॠण हो नहीं सकता
जीवन देकर भी
वो सुख दे नहीं सकता
मगर फिर भी
चाहता हूँ
कुछ करूँ
तुम्हारे लिए
अपने पिता के लिए 



...............संजय कुमार


30 नवंबर 2010

मेरी जिंदगी की झील में ..........संजय भास्कर


 उन्होंने कहा सबसे प्यार करो 
जिन्दगी खुद ही प्यारी हो जाएगी
मैंने कोशिश की पर कर नहीं पाया

हर किसी को प्यार दे नहीं पाया
उसने भी मेरा साथ न दिया 
चाहा न उसने मुझे बस देखती रही 
मेरी जिंदगी से 
वो इस तरह खेलती रही ,
न उतरी वो कभी 
मेरी जिंदगी की झील में ,
बस किनारे पर बैठ कर पत्थर 
फेकती रही  ............

......................संजय भास्कर

26 नवंबर 2010

मेरी मंजिल.................संजय भास्कर


यहाँ हर किसी कि अपनी मंजिल अपने रस्ते 
कोई कुछ नहीं करता किसी के वास्ते ,
हर कोई रहता अपने ऐशो आराम में ,
उन्हें कुछ नहीं दिखता फायदा दया के काम में ,
मैं दुसरो का भला करे कि सोचता रहूँ ,
पर मेरे पास दान के लिए कुछ भी नहीं 
मैं किसी को क्या कहूं ,
मानव के दुखों को देखकर रोता हूँ ,
अकेले बैठ उन्हें , उनके दुखों से छुटकारा दिलाने कि सोचता हूँ ,
पर यु खाली सोचने से कुछ बनता नहीं ,
गरीबो के दुखों को दूर करने के लिए धन चाहिए ,
पढता हूँ इसी मकसद से कि कुछ बन सकूं ,
ताकि दीन दुखियो के लिए कुछ कर सकूं ,
मुझे दुःख कि बीमारी लगती है निकम्मी ,
इसीलिए बनना चाहता हूँ स्वावलंबी || 
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार  )
 

..............संजय कुमार भास्कर

22 नवंबर 2010

तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू .............संजय भास्कर

तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू 




कुछ तस्वीरें जो हमारे ब्लागर  महानुभावो  द्वारा ली गई है जो ये बताती है क्या माहौल था कल का 

ये  उन ब्लॉगरों के नाम है जो वह पर उपस्थित  थे.......

राज भाटिया जी ,योगेंद्र मौदगिल जी,निर्मला कपिला जी,संगीता पुरी जी ,सतीश सक्सेना जी, ललित शर्मा  जी,नरेश सिंह राठौड़ जी,अजय कुमार झा जी ,राजीव कुमार तनेजा जी ,संजू तनेजा जी ,संजय भास्कर(यानि मैं ), अंतर सोहिल जी,नीरज जाट जी,केवल राम जी,शाहनवाज़ सिद्दीकीजी,डॉ अनिल सवेरा जी ,डॉ प्रवीण चोपड़ा जी, डॉ अरुणा कपूर जी,हरदीप राणा जी

इस अवसर पर अंतर सोहेल जी की पत्नीश्री अंजू और दो प्यारे बच्चों लक्शय और उर्वशी, अंतर सोहेल जी के पारिवारिक मित्र रमेश सिंगला ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.. 


.......................संजय कुमार भास्कर 

 

16 नवंबर 2010

.......ट्रेफिक जाम के लिए........ ज़िम्मेदार कौन ?

अगर हम किसी महानगर या शहर की बात करे तो एक ही तस्वीर दिमाग में उतरती है कि चारो तरफ होर्न की  ची ची पो पो  और ज्यादातर हिस्सों में ट्रेफिक जाम का होना |
हर साल न जाने कितने ही वाहन  सड़क पर उतरते है  परन्तु ज्यादा तर सड़को व बाजारों के हालात तो बहुत ही पुराने है ऐसे में ट्रेफिक जाम का होना आम बात है जहा पर इन सड़को के हालत  न बदलने के लिए सरकार जिम्मेदार है , वहीँ पर कुछ बातों के लिए हम स्वयं भी जिम्मेदार है |
शहरो  में दुकानदार भाइयों का तालुक है उनमे से ज्यादा तर दुकानदार तो ज्यादा से ज्यादा सामान अपनी दूकान के बाहर लगाया होता है ,और राही सही कसर रेहड़ी वाले पूरा कर देते है ,जिससे बाजारों में वाहन सुचारू  रूप से कैसे चल सकते है |
बाजारों में अक्सर देखा जाता है कि लोग आज एक दुसरे  से आगे निकलने कि होड़ में ट्रेफिक नियमो कि धज्जियाँ उड़ा देते है |
अपनी साइड के बजाय आने वाले कि साइड में ही वाहन भिड़ा देते है ,जिसकी वजह से यातायात में बाधा आती है जो कि ट्राफिक जाम में सहायक सिद्ध होता है दूसरे वो लोग है जो अपने वाहन को पार्किंग करने में लग जाते है | ऐसे में अगर सड़क खाली नहीं होगी तो ट्रेफिक जाम होना स्वाभाविक है एक वो ट्रेफिक कर्मचारी है जो अपना काम इमानदारी से नहीं करते 
और तो और ड्यूटी के टाइम पर पान कि दुकम में पान खाने  में मस्त रहते है | कहने को तो हम सभी ट्रेफिक जाम से दुखी है 
लेकिन हम सभी किसी न किसी रूप में ट्रेफिक जाम को बढ़ावा देने में मदद भी करते है |
आखिर  इसका हल क्या है | अगर हम सभी मन में ठान ले कि ट्रेफिक नियमो का कड़ाई से पालन करना है ,तो इस बात में कोई शक नहीं  कि ट्रेफिक जाम कि समस्या कैसे गायब हो जाती है  पता भी नहीं चलेगा |

........................संजय कुमार भास्कर 

12 नवंबर 2010

.............अपनी तो आदत है मुस्कुराने की !



आदत मुस्कुराने की 
कहाँ थे कहाँ पहुँच गए हम 
ये जिंदगी की दास्तान बड़ी अजीब है ,
इस प्यार भरी जिंदगी में हंस कर जियेंगे ,
कभी किसी से कोई शिकायत नहीं करेंगे ,
सभी को प्यार मिले यही दुआ करेंगे |
जियेंगे हंस कर मरेंगे  हंस कर ,
गम में भी मुस्कुराने  की आदत है अपनी ,
सभी को खुशिया दे रब से दुआ यही करेंगे |
क्योकि हमे आदत है गम छुपाने की 
गम में भी है आदत है मुस्कुराने की !
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार )

................संजय कुमार भास्कर 

08 नवंबर 2010

.........परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग



खुल के दिल से मिलो तो सजा देते हैं लोग
सच्चे जज़्बात भी ठुकरा देते हैं लोग
क्या देखेंगे दो लोगों का मिलना
बैठे हुए दो परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग !

...ये पंक्तियाँ मझे SMS में मिली, अच्छी लगी तो ब्लॉग पर आपसे साझा कर लीं !

05 नवंबर 2010

................. दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं !



आदत......मुस्कुराने की
की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को दीपोत्सव की की बहुत बहुत शुभकामनाये !

.............संजय कुमार भास्कर 

02 नवंबर 2010

................सिन्दूर बनके सजता हूँ |



खुशी या गम हो तेरे आंसुओं में ढलता हूँ
तुझे ख़बर है तेरी चश्मे-नम में रहता हूँ
=========================
क्या हुवा जो तेरा हाथ भी न छू सका
तेरे माथे की सुर्ख चांदनी में जलता हूँ
=========================
है और बात तेरे दिल से हूँ मैं दूर बहुत
तुम्हारी मांग में सिन्दूर बनके सजता हूँ
===========================
मैंने माना तेरी खुशियों पर इख्तियार नही
तेरे हिस्से का गम खुशी खुशी सहता हूँ
===========================
तेरा ख्याल मेरे दिल से क्यों नही जाता
जब कभी सामने आती हो कह नही पाता
===========================
तमाम बातें यूँ तो दिल में मेरे रहती हैं
तुम्हारे सामने कुछ याद ही नही आता |
=========================== 
चित्र :- ( गूगल से साभार  )

नासवा जी ने इतनी सुन्दरता से लिखा कि मैं अपने ब्लॉग पर ही ले आया 

नासवा जी कि कलम से निकली एक बेहतरीन रचना 
दिगम्बर नासवा जी के ब्लॉग से ये कविता आप तक  पहुंचा रहे है संजय भास्कर 


30 अक्तूबर 2010

..........क्या चीज है यह जिंदगी ?

 जिस राह से भी गुजरे 
एक नाम सुना जिंदगी |
हमने भी चाहा कोई हमको बता दे 
क्या चीज है यह जिंदगी |
थके हुए राही ने कहा 
रुकना ही है जिंदगी 
अपाहिज ने कहा 
चलना ही है जिंदगी |
गरीबी में तड़पते हुए ने कहा 
पैसा ही है जिंदगी  |
खुशियों में डूबे किसी ने कहा 
प्यार ही प्यार है जिंदगी  |
मगर कोई हमसे भी तो पूछे 
क्या चीज है जिंदगी 
........पर मैं समझता हूँ 
ठोकर खाकर संभल जाने का नाम ही  है 
..................शायद जिंदगी | 
चित्र :- ( गूगल देवता से साभार  )

...............संजय कुमार भास्कर

25 अक्तूबर 2010

.............मेरी प्यारी बहना ?


 मेरी प्यारी बहना 
आज मन कर रहा है कि मैं दू तुम्हे कुछ न कुछ 
पर क्या दू है ही क्या पास मेरे 
हूँ तो एक छोटा सा कवि
कविता ही है मेरे पास 
दुआए ही दे सकता हूँ खुदा कि इच्छा से 
जो रक्खे सदा तुम्हे खुश 
तुम्हारे नए जीवन में ,
मेरी दुआ है तू भारती भारतीयता का सदा पालन करें | 
तू जिस आँगन में जाये वहाँ सदा रौशनी फैलाये 
धर्म करम मान मर्यादा से घर को सजाये ,
तेरे आँगन  में सदा गुलाब खुशियों के  महके 
तू सबको अपनाये प्यार सभी बड़े बुजुर्गो का पाए |
येही दुआ है तेरे लिए  मेरी तरफ से 
निवेदन है तेरे चरणों में 
बहना तू सदा मुस्कुराती रहे 
खुदा से गुजारिश है 
तेरे हिस्से के सारे गम मुझे मिले 
हो मेरे हिस्से कि सारी खुशिया तेरी ,
तेरे हाथो में है अब लाज तेरे माता पिता भाइयो की |
बहना अपने नए घर जा कर हमे कभी न भुलाना ,
तेरे भाई की दुआ है तेरे लिए तेरी हर खुशी के लिए 
अपनी जान भी न्योछावर कर देंगे |
............एक भाई का वादा है अपनी बहन से !
चित्र :- ( गूगल से साभार  )

..........संजय कुमार भास्कर 


20 अक्तूबर 2010

ऐसी खुशी नहीं चाहता .............!!!!!

ऐसी खुशी नहीं चाहता
जो किसी का दिल दुखाने से मिले,
हंसी ऐसी नहीं चाहता जो किसी को रुलाने से मिले
उस दौलत का क्या करे जो अपनों से दूर है |
जो पैदा करती दिल में गुरूर है
सर ढकने को छत हो
खाने को रोटी हो भूंखे पेट कोई सोये ना ,
नहीं चाहिए वो राम जो इंसानों में फर्क करे
आपस में बैर व धरती को नरक करे
कब आएगा वो दिन
जब उंच नीच ख़तम होगा
मानव सभी की जात होगी मानवता ही धरम होगा
तभी मिलेगी ख़ुशी जब मन को
जब सारी दुनिया समान होगी .........

.......संजय कुमार भास्कर

17 अक्तूबर 2010

अजब--गजब...........वह व्यक्ति कौन था ?

एक व्यक्ति  था जो............

31   वर्ष की आयु में व्यवसाय में हरा |
32   वर्ष की आयु में विधान सभा में हरा |
34  वर्ष की आयु में दोबारा व्यवसाय में हरा |
35   वर्ष की आयु में प्रेमिका से छला गया  |
36  वर्ष की आयु में तंत्रिकातंत्र में कमजोरी पैदा होने के कारण परेशान रहा | 
38   वर्ष की आयु में दोबारा चुनाव में हरा |
43  वर्ष की आयु में उम्र में कांग्रेस के चुनाव  में पराजित हुआ |
46   वर्ष की आयु में दोबारा कांग्रेस के चुनाव  में पराजित हुआ |
49   वर्ष की आयु में तीसरी बार पराजित हुआ |
56   वर्ष की आयु में दोबारा उप - राष्ट्रपति के चुनाव में हरा |


वह व्यक्ति कौन था______________








13 अक्तूबर 2010

.................क्या यही है मेरे देश का हाल ?

 क्या यही है मेरे देश का हाल |
धार्मिक कट्टरवाद अपना कर ,  नौजवानों  को मरवा दो 
भाई को भाई से लड़वाकर खून की नदियाँ बहा दो |
कुछ को मंदिर के नाम, कुछ को मस्जिद के नाम पर
अलग थलग कर दो |
लगता हा नेताओ ने बेरोजगारी दूर करने का 
यही उपाय सुझा है |
वे जनता से चाहते करवानी पूजा है 
लगता है वे बेरोजगारी जरूर हटायेंगे |
नौजवानों की शक्ति को भड़काकर महाभारत फिर दोहरायेंगे |
( चित्र - गूगल से साभार )

..........संजय कुमार भास्कर

10 अक्तूबर 2010

.................अपना घर

 जवान बेटी को बाप ने कहा 
जाना होगा अब तुम्हे अपने घर ,
बी. ए  की करनी वही पढाई 
ढूंढ़ लिया तेरे लायक वर ,
अब तक तुम हमारी थी 
पर अब यहाँ से जाना होगा 
जुदा होकर हमसे 
नया घर बसाना होगा ,
बेटी ने बहु बनकर बी. वाली बात दोहरायी
सुनकर उसकी बातें सास गुर्राई 
अगर आगे ही पढना था 
तो पढ़ती ' अपने घर '
बहु है हमारी अब सेवा कर ,
बेटी ने सोचा और समझा 
कौन सा है मेरा घर 
या फिर बेटिया दुनिया में 
होती है ........बे घर  | 

........संजय


06 अक्तूबर 2010

................कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है


कुछ काम भी करना है कुछ फ़र्ज़ भी निभाना है ,
खुद को मिटा कर भी ये देश बचाना है |
 जो दुश्मन सीमा पर है उसे मिटा देंगे 
गद्दार जो अन्दर है उनको भी मिटाना है |
कोई धर्म या मजहब हो सब भाई भाई हैं
रूठे हुए भाइयो को सीने से लगाना है |
ये देश सलामत है तो हम भी सलामत है ,
हर देश के वासी को यह याद दिलाना है |
भूंखा न रहे कोई न कोई नंगा हो
ये काम मुश्किल
है  पर करके दिखाना है |
खेतो में हमारे भी सोने के खजाने है ,
इक फसल
मोहब्बत की दिल में भी उगाना है |
ये गर्व हो हर इक को भारत का मै वासी हूँ
इस शान से जीने का अंदाज सिखाना है |



...........संजय भास्कर


03 अक्तूबर 2010

दहेज़ की दूकान पर .............हास्य व्यंग

 सेल  ! सेल ! सेल !
आज रविवार है ,
सजा हुआ एक अद्भुत बाज़ार है |
हर तरह का माल तैयार है '
कोई चपरासी ,कोई थानेदार तो कोई तहसीलदार है |
भाव पदानुसार है ,
किसी की कीमत लाख तो किसी की हजार है |
चोंकिये  मत यह  ' दुल्हों ' का बाजार है |
 

.......संजय

28 सितंबर 2010

फूल की फरियाद..........!!


 क्या खता मेरी थी जालिम 
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
खून मेरा अपने सर लेकर 
तुझे  क्या मिल गया ?
पेड़  के तख्ते जिगर लेकर 
तुझे  क्या मिल गया ?
जिसकी रौनक  था मैं , 
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई  |
साख क्या कहे और किससे ?
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |

.........संजय भास्कर

26 सितंबर 2010

आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा .........!!!!!


आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा ,
उदासी का गम ढ़ोते देखा
देखा सब को तड़पते हुए,
सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा,
रात की रौशनी को देखा ,
तारो की चमक को देखा
सुबह होते ही इनकी रौशनी को खोते देखा |
थके से आसमा को देखा ,
अन्दर से रोते
अन्दर से चमक दमक खोते देखा
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
बस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा |

........संजय कुमार भास्कर 

31 टिप्पणियाँ:


कविता रावत ने कहा…
आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा , उदासी का गम ढ़ोते देखा देखा सब तो तड़पते हुए, सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा ....man ke gahan udasi ka sundar nayanabhiram chitran

Dr.Ajeet ने कहा…
सभी यूं ही सोते है बेफिक्री में... उम्दा रचना डा.अजीत

Bhushan ने कहा…
कविता में एक बनावट उभर रही है. उसे संरक्षण दें.

विरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा…
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा | संजय जी.....बड़ी उम्दा पंक्तियाँ हैं वास्तविक जीवन में भी ऐसा होता है. आभार ....

सुधीर ने कहा…
सुंदर कविता पर तारों के बारे में मेरी राय तो कुछ यह है... मन रोया तो तारे रोये सब तो चादर तान कर सोये खुश होकर जब इन्हें निहारो ये भी तुम्हारे साथ हंसेंगे अंधियारे में रह सकते रोशन आओ समझाएं यही कहेंगे

संजय भास्कर ने कहा…
Dhanyawaad @ Kavita ji @ Dr.Ajeet ji @ Bhshan ji @ Virender Chohan ji धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

रचना दीक्षित ने कहा…
अच्छी प्रस्तुति, आभार

सतीश सक्सेना ने कहा…
अच्छा प्रयास है हार्दिक शुभकामनायें !

karan ने कहा…
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा | .............बहुत खूब, लाजबाब !

karan ने कहा…
वास्तविक जीवन में भी ऐसा होता है...

संजय भास्कर ने कहा…
धन्यवाद @ सुधीर जी.. @ रचना दीक्षित जी.. @ सतीश सक्सेना जी.. @ Karan ji सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....”

मनोज कुमार ने कहा…
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं! काव्यशास्त्र (भाग-3)-काव्य-लक्षण (काव्य की परिभाषा), आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

Vandana ! ! ! ने कहा…
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा बहुत सच्ची बात कह दी आपने कविता के माध्यम से.

आमीन ने कहा…
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा | ---------------------------- वाह मेरे भाई। आपने तो कहर ढाह दिया। वाकई लाजवाब है, मेरे पास प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं।

ALOK KHARE ने कहा…
sundar sirjan badhai

आमीन ने कहा…
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा | ---------------------------- वाह मेरे भाई। आपने तो कहर ढाह दिया। वाकई लाजवाब है, मेरे पास प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं।

Akhtar Khan Akela ने कहा…
संजय भाई आसमान के सितारों के रोने का दर्द आपने इस बेदर्द दुनिया के सामने जिस अंदाज़ में पेश किया हे वाकई मजा भी आया और इस दर्द का एहसास भी हो गया. बहुत खूब बधाई हो. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

संजय भास्कर ने कहा…
धन्यवाद @ मनोज जी.. @ Vandana ji ! @ आमीन जी.. @ ALOK KHARE JI @ अख्तर खान अकेला जी.. .........ब्लॉग में आने और सराहने के लिए आभार!

डॉ टी एस दराल ने कहा…
बढ़िया है ।

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…
वाह..बढ़िया प्रस्तुति जी

जेन्नी शबनम ने कहा…
bahut sundar rachna, shubhkaamnaayen.

parveen ने कहा…
सार्थक और बेहद खूबसूरत, रचना है....शुभकामनाएं।

arun c roy ने कहा…
बहुत सुंदर कविता.. बधाई

मेरे भाव ने कहा…
बहुत बहुत बधाई अच्छी कविता के लिए..

तिलक राज कपूर ने कहा…
अरे भाई रात चैन से सोने के लिये होती है, ये देखा दाखी में वक्‍त खराब मत किया करो। अब आप अगली कविता में यह न कहना कि रात का दर्द मैं चुपचाप सुना करता हूँ है न आईडिया सर जी।

M VERMA ने कहा…
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर बस सबको रात भर हमने बेफिक्र सोते हुए देखा | चलो कुछ लोग तो बेफिक्र सो रहे हैं वर्ना आज के समय में तो नींद भी नहीं आती ... सुन्दर रचना रचा है आपने

Udan Tashtari ने कहा…
दूसरों की तकलीफ नजर अंदाज कर बेफिक्र सोना तो आज इन्सान की फितरत बन गई है... देखा सब तो तड़पते हुए ///शायद तो की जगह को/// -बाकी बढ़िया/

संजय भास्कर ने कहा…
धन्यवाद @ डॉ टी एस दराल जी.. @ विनोद कुमार पांडेय जी.. @ जेन्नी शबनम जी.. @ Arun C Roy Ji @ मेरे भाव जी.. @ तिलक राज कपूर जी.. @ M VERMA JI @ Udan Tashtari Ji आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें. .......ब्लॉग में आने और सराहने के लिए आभार!

संजय भास्कर ने कहा…
Udan Tashtari Ji Apka Bahut Bhaut Abhaar Meri galti Se Avgat Karane ke liye Sanjay Bhaskar

ZEAL ने कहा…
. संजय जी, कवी-ह्रदय को समझ पाना मेरे बस की बात नहीं। एक दो बार प्रयास किया लेकिन हार गयी। इसलिए अभी भी नहीं जानती की कवि , इस कविता के माध्यम से क्या कहना चाहता है । अपनी तो स्पष्ट एवं सरल शब्दों में कहने की आदत है। इसलिए तारों को देखकर जो ख़याल मेरे मन में आता है वो कुछ इस प्रकार है-- तारों की छाँव में , चन्द्रमा की शीतल किरणों के मध्य इंदलोक में अप्सराएं नृत्य करती होंगी, मधुर संगीत गुन्जायेमान होगा। न तो वहां दुःख होगा, न ही आंसू होंगे। हर तरफ अलौकिक आभा बिखरी होगी । रोते तो पृथ्वी के कमज़ोर लोग हैं। मैं भी कभी-कभी रोती हूँ। लेकिन दिल भर कर रोने के बाद दोगुनी ऊर्जा के साथ जगमगाते तारों भरे आकाश को मुट्ठी में समेटने की कोशिश में पुनः लग जाती हूँ। आभार। .

दीपक 'मशाल' ने कहा…
बढ़िया रचना जन्मदिन पर आपकी शुभकामनाओं ने मेरा हौसला भी बढाया और यकीं भी दिलाया कि मैं कुछ अच्छा कर सकता हूँ.. ऐसे ही स्नेह बनाये रखें..