21 फ़रवरी 2011

लड़की की दास्तान............संजय भास्कर


लड़की होने पर दुनिया वाले क्यों मनाते है शोक
लड़की को बोझ क्यों समझते है लोग
हर काम में ये आगे है ये मर्दों से
कभी पीछे नहीं हटती अपने फर्जो से
इसके जन्म पर क्यों नहीं बांटता कोई भोग |
********************************
एक पडोसी थे मेरे, न थी उनके कोई औलाद
हाथ जोड़कर ईश्वर से करते थे वो फ़रियाद
कर्म खुदा का उनके आँगन में खिली एक कली
मायूस होकर बोले कि हुई है एक लड़की
मैंने कहा अंकल कुछ खिला पिला तो जाते
कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते  |
********************************
सुनते ही दिल मेरा तड़प उठा
ये क्या उल्टा रिवाज़ है दुनिया का
कभी देते है देवी या कन्या का नाम इसे
कभी पैदा होते ही करते है बदनाम इसे
चाहते हुए भी कुछ न कर सकी
दुखी ह्रदय  से कविता लिख डाली |
***************************
मैं न किसी पर बोझ बनूंगी , जग में ऊँचा नाम करूंगी
फिर देखूँगी कौन करेगा लड़की होने पर मातम |
**************************************
अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!
**************************
-- संजय कुमार भास्कर



14 फ़रवरी 2011

वेलेन्टाइन डे विशेष-वेलेंटाइन डे युवा वर्ग के लिए खास......संजय भास्कर



वेलेंटाइन डे पर युवा दिल अपने मन की बात एक-दूसरे को बताने के लिए बेकरार हो रहे हैं। 14 फरवरी को कोई गुलाब के फूल के साथ प्यार की पेशकश करेगा तो फिर कोई किसी अन्य बहाने से।
अगर पूछा जाए तो प्रेम पाश में फंसने की चाहत रखने वाले युवक युवतियों को शायद फरवरी ही सबसे अच्छा महीना लगता होगा। हो भी क्यों न, आखिर यह महीना सिर्फ वेलेंटाइन ही नहीं, बल्कि ऐसे ही कई दिवसों को अपने में समेटे हुए है जो युवा वर्ग के लिए खास हो सकते हैं।
फरवरी में दिवस मनाने की शुरूआत सात तारीख से ही हो जाती है जब 'रोज डे' [गुलाब दिवस] पड़ता है। इससे आगे 20 फरवरी तक दिवस आयोजन की भरमार होती है।
किसी को प्रपोज करने के लिए आठ फरवरी को 'प्रपोज डे' पड़ता है तो नौ फरवरी को चॉकलेट डे पड़ता है। 10 फरवरी जहां 'टेडी डे' कहलाती है, वहीं 11 फरवरी का दिन किसी से वायदा करने या किसी से वायदा कराने का दिन यानी कि 'प्रॉमिस डे' कहलाता है। दिवसों की यह सूची यहीं समाप्त नहीं हो जाती। अगर गूगल पर सर्च मार दें तो लिस्ट और भी लंबी होती चली जाती है।

वैलेंटाईन डे की हार्दिक शुभकामनायें


-- संजय कुमार भास्कर 

07 फ़रवरी 2011

वह मजदूर........संजय भास्कर !

वह मजदूर
जिसमे उत्त्साह था अदम
सह चूका था जो हर सितम
रक्त नलिकाए भी दौड़ रही थी उसकी
पूरी चुस्ती फुर्ती के साथ
जो इस खोखले समाज की राजनीति से
बहुत दूर |
कंधे पर फावड़ा लिए चला जा रहा था
अनजान  डगर पर निश्चित बेपनाह
चला जा रहा था इस समाज समुदाय की
गन्दी राजनीति से
बहुत दूर - वह मजदूर
राजनीति सीमित थी उसके लिए यही पर
नसीब था मात्र उसका - दो वक्त की रोटी
मिल जाये सुख चैन से ,
और चलता रहे किसी तरह से
परिवार का गुजर - बसर
ऐसा था ............ वह मजदूर !
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
 

-- संजय कुमार भास्कर