25 मई 2011

..........बदलते हालात........संजय भास्कर


कपडे हो गए छोटे 
     शर्म कहाँ रह गई आज !
गर्भ में कर देते है भ्रूण हत्या 
     ममता कहाँ रह गई आज  !
अनाज हो गया मिलावटी 
     तो स्वाद कहा रह गया आज !
फूल हो गए प्लास्टिक के 
      खुशबू कहाँ रह गई आज !
छात्रों के हाथ में हो गए मोबाइल 
      शिक्षा कहाँ रह गई आज !
इंसान हो गया लालची धन का 
      दया भावना कहाँ रह गई आज !
युवा वर्ग हो रहा है अशलीलता का शिकार 
     देश भक्ति भक्ति कहाँ गई आज  !

-- संजय भास्कर 

 

16 मई 2011

................अहसास.......संजय भास्कर


किसी के साथ होने का और किसी के साथ
नहीं होने का विश्वास कराता है अहसास

जब कभी हम टूट जाते हैं, तब
जिंदगी का अर्थ समझाता है अहसास

जब कभी लिखने की उमंग जगे
कल्पनाओं के दर्शन कराता है अहसास

जब ठुकरा देते हैं सब दुनिया वाले
तब निराशा से बचाता है अहसास

जब दर्द हावी होता है हम पर
जिंदगी का आइना दिखाता है अहसास

खुशी बनकर जिंदगी में मुस्कुराहट लाता है अहसास !

-- संजय भास्कर