30 अगस्त 2012

कुछ खो जाना -- संजय भास्कर


कुछ खो जाना भी
अक्सर सुई की
चुभन जैसा होता है
जिसमे दर्द तो उठता है
पर हम जल्दी ही संभल जाते है
जैसे किसी बुजुर्ग व्यक्ति का
चश्मा खो जाना ,
अस्पताल जाना हो और
डाक्टर की पर्ची खो जाना ,
अलमारी से कपडे निकलने हो
और चाबी खो जाना ,
दफ्तर जाने के लिए तैयार बैठे हो
और मोटर साइकल की चाबी खो जाना ,
कुछ चीजे ऐसी होती है !
जो खोने के बाद अक्सर मिल जाती है
.........पर कई बार कुछ ऐसी चीजे
 खो जाती है
जो कभी नहीं मिलती ........!!!!


@ संजय भास्कर