13 फ़रवरी 2013

आने वाले दिनों में -- संजय भास्कर


आने वाले दिनों में जब 
हम सब        
कविता लिखते पढ़ते बूढ़े
हो जायेंगे !
उस समय लिखने के लिए
शायद जरूरत न पड़े
पर पढने के लिए 
एक मोटे चश्मे की
जरूरत पड़ेगी 
जिसे आज के समय में हम
अपने दादा जी की आँखों पर
देखते है !
तब पढने के लिए
ये मोटा चश्मा ही होगा
अपना सहारा
आने वाले दिनों में
देखता हूँ यह स्वप्न
मैं कभी - कभी  
क्‍या आपको भी
ऐसा ही
ख्‍याल आता है कभी ........:) 


@ संजय भास्कर