11 जनवरी 2014

......... खामोश रही तू :))

                    ( चित्र - गूगल से साभार )

खामोश रही तू,
न तूने कुछ कहा 
न मैंने कुछ कहा,
जो दिल में था हमारे,
दिल में ही रह गया
न तूने कुछ कहा
न मैंने कुछ कहा
धड़कनों ने आवाज दी,
निगाहें फिर भी खामोश रही,
ग़म दोनों को होता था जुदाई का,
जिसे हमने खामोशी से सहा
न तूने कुछ कहा
न मैंने कुछ कहा
सोचता हू 
मैं अब,
मौका इज़हार का कब आएगा,
जब दिल में छुपे जज़्बात
लबो पे अल्फाज़ बन सज जाएगा
सोचते ही रह गए हम
...न तूने कुछ कहा
.....न मैंने कुछ कहा !!

@ संजय भास्कर