माँ की परिभाषा कोई पूछे तो ,
प्यार मैं बतलाता हूँ |
माँ का आँचल कोई पूछे तो ,
आकाश मैं दिखलाता हूँ |
माँ कि सहनशीलता कोई पूछे तो ,
धरती मैं बतलाता हूँ |
माँ कि लोरिया कोई पूछे तो ,
तारे मैं गिनवाता हूँ |
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |
...............संजय कुमार भास्कर
128 टिप्पणियां:
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ
बिलकुल अलग, नई और सुन्दर तरह से परिभाषित किया है आपने माँ के व्यक्तित्व को.क्या बात है.किसी का एक शेर है;-
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है.
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है.
संजय जी वाकई मन को छू लिया..यही तो है मां...
भगवान ने यही तो सबसे खूबसूरत तोहफा देकर हमें भेजा है
मां की सूरत के अलावा भगवान की सूरत क्या होगी...
बहुत खूब
माँ तो बस माँ होती हैं
मां की सूरत के अलावा भगवान की सूरत क्या होगी
मन को सहज कर देने वाले भाव हैं आपके।
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत सुन्दर परिभाषा दी है | मा की महानता के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है जहां भी आदर और महानता का जिक्र करना होता है | वंहा मा शब्द जरूर आता है ,धरती माता ,गौमाता |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ .........
माँ को परिभाषित नहीं किया जा सकता. वही हमारा ईश्वर और जीवन है . ममत्व भरी रचना .
Har Pal me Khushi Deti Hai
use "Maa" kehlati hai
आपका ब्लाग "आदत. मुस्कुराने की" का प्रयास अच्छा है मैं आपके ब्लाग को फालो कर रहा हूँ ।
वैसे तो माँ को किसी परिभाषा की परिधि मेँ नहीँ बाँधा जा सकता है।लेकिन
सँजय जी माँ को व्यक्त करने के लिए बहुत ही कोमल और सुन्दर भाव आपने कविता मेँ सँजोय हैँ।
दिल को छू लेने वाली कविता है। शुभकामनायेँ
आपका भी ब्लोग पर स्वागत है।
कितनी बेज़ार है ये दुनियाँ ..........गजल।
Oh ma! mamaa!! ma ko bayan karna sachmuch kathin hai.
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ
मां से बढ़कर कोई नहीं... मां तो बस मां है...
tni pyari tulna koi achchhha beta hi kar sakta hai...:)
khubsurat abhivyakti...
निःशब्द...
निःशब्द....
wah bhai sanjyji!
ma to bas ma hoti hai.
bahut sachchi aur hridayshparsi
rachna hai apki!
... bahut sundar ... prasanshaneey rachanaa !!!
bahut khoob :)
Sahi kaha.
मां से बढ़कर कोई नहीं
माँ को परिभाषित नहीं किया जा सकता...........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
@ कुंवर कुसुमेश जी..
बहुत बहुत धन्यवाद
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है.
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है.
........... मां तो बस मां है...
@ वीना जी..
मां की सूरत के अलावा भगवान की सूरत क्या होगी...
बहुत खूब
बहुत बहुत आभार
@ दीपक सैनी जी..
@ प्रवीण पाण्डेय जी..
@ अमित जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
@ नरेश सिह राठौड़ जी..
आपने बिलकुल सही कहा मा की महानता के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है
@ मेरे भाव जी..
आपने बिलकुल सही कहा माँ को परिभाषित नहीं किया जा सकता.
@ सवाई सिंह राजपुरोहित जी..
बहुत बहुत धन्यवाद
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और भी प्रगति कर पाऊं ....आप सबका धन्यवाद
@ डॉ. अशोक पल्मिस्ट जी..
आपने बिलकुल सही कहा माँ को किसी परिभाषा की परिधि मेँ नहीँ बाँधा जा सकता है
@ फ़िरदौस ख़ान जी..
मां से बढ़कर कोई नहीं... मां तो बस मां है...
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया
बहुत खूब संजय जी ... कितना पाकीज़ा दर्जा दिया है मा को .... शायद मा के आयेज ये सब भी छोटे हैं ...
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |
...सच में भगवान् का चेहरा किसने देखा ...वह तो माँ के रूप में साक्षात् हमारे पास होती है बस उस दिव्य स्वरुप को जो समझ गया, उसे फिर किया चाहिए ......
माँ को सचे मनोभावों से सम्पर्पित रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा...
हार्दिक शुभकामनाएं
मा के ऊपर कुछ भी लिखने के लिए शब्द कम पढ़ जाते हैं ....
संजय जी .. दिल को छू गयी आपकी रचना ...
सुन्दर भावों को बड़े ही आदर के साथ प्रस्तुत किया है....आपका साधुवाद.
*"गांधी जी बाहर निकल आये" पोस्ट पर आपकी टिपण्णी देखकर प्रसन्नता होगी.
पुनः साधुवाद.
आपके भाव तो बयां हो गए भगवन.
अच्छी रचना है. माँ के बारे में सभी उपमाएँ आपने दी हैं. माँ से संबंधित कई पुराने गीत याद आ गए.
माँ की महिमा का वर्णन तो साक्षात ईश्वर भी नही कर पाये । फिर हम क्या कह सकते है , क्योकि माँ की महिमा को शब्दों में नही बाँधा जा सकता
दिल की बा्तें है ये , बस दिल ही समझेगा
जुबा से कुछ भी कहा तो, वो कम ही लगेगा
संजय भाई कमाल की कविता लिखी है आपने. माँ तो भगवान ही है.
शुभकमनाएं
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |
बहुत सुन्दर उदगार ।
बस मां के बुढ़ापे में यह मत भूल जाना बेटा ।
bahut sundar!
Bahut Khub
संजय दिन पर दिन तुम्हारी कविता निखरती जा रही है। इस कविता के हर भाव ने दिल को छूया है।
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |
सच मे माँ भगवान से भी ऊँची है। सृष्टी स्रजक। बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद।
मां का चेहरा!!!
बहुत खूब।
मां की परिभाषा यही है कि मां बस मां है, उससा कोई नहीं।
awesome work
really loved ur poem
beautifully description of mother
'मां' का सुंदर वर्णन इससे बढ कर क्या हो सकता है?...बहुत सुंदर प्रस्तुति!
@ मुकेश सिन्हा जी..
@ शेखर भाई
@ सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी..
@ 'उदय' जी..
@ रौशनी जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
मेरे ब्लॉग पर आकर आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
@ ॐ जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
आपने बिलकुल सही कहा मा के ऊपर कुछ भी लिखने के लिए शब्द कम पढ़ जाते हैं ....
बहुत बहुत आभार आपका
@ कविता रावत जी..
.सच में भगवान् का चेहरा किसने देखा ...वह तो माँ के रूप में साक्षात् हमारे पास होती है बस उस दिव्य स्वरुप को जो समझ गया, उसे फिर किया चाहिए ..
बहुत बहुत आभार आपका कविता जी..
मेरे ब्लॉग पर आकर आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
bade pyaar se maa ko likha hai...
maa ko paribhaashit karane kee himmat kee daad detaa hoon saahab.
bahut prempoorna rachnaa.
ek sher apnaa yaad aayaa.
jaananaa chaho agar sabse keematee shai ko,
lagaa sab daon par ek maa khareed kar dekho.
बहुत सुन्दर... बहुत बढ़िया.. वाह..
ममता से बड़ा कोई नहीं ...शुभकामनायें संजय
Pehle papa fir maa.. adbhut kavita :)
वाह ! संजय ! कितनी सुंदर रचना ! माँ भगवान जैसी होती है ! सार्थक रचना !
मां का चेहरा....माँ तो बस माँ होती हैं...बहुत बढ़िया
बिल्कुल ऐसा ही है बहुत अच्छी कविता |
बहुत सुंदर भाव पुर्ण लगी आप की यह कविता, तारीफ़ के शव्द भी कम लगते हे जी, बहुत बहुत धन्यवाद
संजय भास्कर जी
अच्छे भाव हैं …
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
मां का चेहरा दिखलाता हूं …
बहुत सुंदर !
बचपन से गुनगुनाते भी आए हैं -
ऐ मां ! तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बेहतरीन भाव संजय भाई... ज़बरदस्त!
पूरे दिल से लिखी है माँ की परिभाषा |इतनी प्यारी और सुन्दर परिभाषा पहले कभी नहीं देखी पढ़ी |बहुत बहुत बधाई संजय |
आशा
@ अरविन्द जांगिड जी.
@ राहुल जी..
@ भूषण जी..
@ अपर्णा जी."पलाश"
आपने बिलकुल सही कहा माँ की महिमा का वर्णन तो साक्षात ईश्वर भी नही कर पाये । फिर हम क्या कह सकते है , क्योकि माँ की महिमा को शब्दों में नही बाँधा जा सकता
@ रश्मि प्रभा जी..
बहुत बहुत आभार आपका
@ हर्षवर्धन जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
मेरे ब्लॉग पर आकर आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
@ भारतीय नागरिक जी.
@ सतीश सक्सेना जी..
@ मोनाली जी..
@ उषा राय जी..
@ रचना दीक्षित जी..
@ अंशुमाला जी..
@ राज भाटिय़ा जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
मेरे ब्लॉग पर आकर आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ
यही बात सबसे सही है मां ही ईश्वर है और मां से बढकर कोई नहीं। मां की परिभाषा आपने एक दम सटिक दी है। साधुबाद।
@ ज़मीर जी..
@ टी एस दाराल जी..
@ अनुपमा पाठक जी..
@ तारकेश्वर गिरी जी..
@ आलोकिता जी..
@ नीरज जाट जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
बहुत सुंदर रचना, माँ से बढकर कोई नहीं।
एंजिल से मुलाकात
@ निर्मला कपिला जी..
आपने बिलकुल सही कहा सच मे माँ भगवान से भी ऊँची है।
ब्लॉग पर आकर आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
@ मनोज कुमार जी..
@ वंदी जी..
@ डा. अरुणा कपूर जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
परिभाषा है ...या व्याखाया/
बहुत सुंदर
बेहतरीन अभिव्यक्ति , मां के व्यक्तित्व को तराश कर रू-ब-रू कराने के लिये आभार व बधाई।
माँ पर बेहतरीन रचना ..संजय जी !! आज १७-१२-२०१० को आपकी यह रचना चर्चामंच में रखी है.. आप वहाँ अपने विचारों से अनुग्रहित कीजियेगा .. http://charchamanch.blogspot.com ..आपका शुक्रिया
Jai Mata Ki
संजय भाव पूर्ण रचना
ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी .
माँ को बहुत अच्छे से परिभाषित किया है संजय भाई!
बहुत सुंदर रचना है दोस्त, इस तरह लिखते रहो। पढने के लिए हैं तैयार हम।
बहुत सुन्दर रचना……………बस यही तो माँ होती है।
मां का कर्ज कभी उतारा नहीं जा सकता, लेकिन मां के लिए दो लफ्ज़ तो लिखे ही जा सकते हैं. आपने मां को अपने शब्दों ने परिभाषित किया है, यही काफी है.
मेरा ख़याल है कि मां को परिभाषित किया ही नहीं जा सकता. धरती, आकाश, तारे, सब कुछ मां की तुलना में बहुत छोटे नज़र आते हैं. हमें अपनी माँ के लिए अपने दिल में हमेशा प्यार और इज्जत रखनी चाहिए.
माँ से बढ़कर कुछ भी नहीं. कुछ भी.
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |
bahut kam sabdo main apnee puri baat keh dee.
bilkul sahi kaha aapne
maa ki mahaanta isse bhi kahin jyada hai
Nice...loved it!!!
dil ko choo lene vali kavita hai....bhut bhut bdhhayi
dil ko choo lene vali kavita hai....bhut bhut bdhhayi
dil ko choo lene vali kavita hai....bhut bhut bdhhayi
माँ तो बस माँ होती हैं
संजय जी सरल शब्दों में इतनी प्यारी बात आपने कह दी. माँ तो सबकुछ होती है.
Sanjay ji is rachna ne man ko dravit ker diya . koi kitna bhi bayan karen baya nahi ker sakta Maa ki mamta ko ...........sunder ahsas karane k liye bahut bahut shukriya......
maa kahte maa ke aanchal ki khushboo fail jati hai , dudhmuhe khyaal yaad aane lagte hain ....
Maa ki mamta ka ...........sunder ahsas karane k liye bahut bahut shukriya......Sanjay ji
@ राजेन्द्र स्वर्णकार जी
बहुत बहुत धन्यवाद
@ शाह नवाज़ जी..
@ आशा जी..
@ अरूण साथी जी..
मां ही ईश्वर है और मां से बढकर कोई नहीं।
@ ललित शर्मा जी..
@ बबंपंदेय जी..
@ संजय दानी जी..
@ डॉ. नूतन - नीति जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
मेरे ब्लॉग पर आकर आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
@ डॉ.नूतन-नीति जी..
मेरी कविता को चर्चामंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
@ सुमन अनुरागी जी..
@ अमरजीत जी..
@ आशीष जी..
@ यशवन्त जी..
@ कुलवंत जी..
@ वन्दना जी..
@ Er. सत्यम शिवम जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
@ आमीन जी..
@ Poorviya जी..
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
@ Saumya जी..
@ PRIYANKA राठौर जी
@ Patali-The-Village
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
माँ कि लोरिया कोई पूछे तो ,
तारे मैं गिनवाता हूँ |
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
Wah, ab kaafee paripakwtaa aa gai bhaakar jee aapke lekhnee me .
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ .........
कितना सुन्दर लिखा है...बेहद प्यारा
माँ को बहुत सही ढंग से परिभाषित किया है. उसकी कोई परिभाषा हो ही नहीं सकती है. एक माँ की परिभाषा उसकी बेटी ने की है उसको मैंने "नारी की कविता ब्लॉग" पर आज ही दिया है. जाकर देखिये.
http://indianwomanhasarrived2.blogspot.com/2010/12/blog-post_18.html
माँ को बहुत सही ढंग से परिभाषित किया है. उसकी कोई परिभाषा हो ही नहीं सकती है. एक माँ की परिभाषा उसकी बेटी ने की है उसको मैंने "नारी की कविता ब्लॉग" पर आज ही दिया है. जाकर देखिये.
http://indianwomanhasarrived2.blogspot.com/2010/12/blog-post_18.html
वाह ! माँ के बारे में बेहतरीन कविता !
माँ से सुंदर और पवित्र कोई हो ही नहीं सकता..!! सादर धन्यवाद..बहुत सुंदर..!!
maa jaisa koi nahi is pure sansaar mein .......lajwaab kavita
bahut hi behatreen prastuti maa ko shyad isiliye bhagvaan ka darja diya gaya hai.
bahut badhi abhvyakti maa ke baare me ,bilkul alag si lagi
poonam
@ वन्दना महतो जी..
@ अमरेंदर अक्स जी..
@ सुमन सिन्हा जी..
@ प्रीती जी..
@ पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी.
@ रश्मी रविजा जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
bahut hee sunder bhavo ko saheja hai aapne ise anmol rachana me......
atyant peashansneey .
सबकी माँ,
हाँ भाई हाँ,
माँ तो माँ,
बोले न कभी - ना,
दिल पुकारे गा-
उई-माँ,उई-माँ,
मन को गयी भा,
उनको भी दो ला,
जिनकी ना हो माँ,
खुश हों वो भी पा,
जीवन भर करे--हा,हा,हा।
Maa... jitna bhi kaho kam hai..
sanjay ji, man ko samrpit sunder posrt. dil men utar gayee....
माँ होती ही ऐसी है..
अतिसुन्दर!
काफी अच्छी लगी आपकी कविता.
bemisaal.
माँ तो सिर्फ माँ होती है उसके जैसा दुनिया में कोई भी नहीं ....
सुन्दर रचना ...
बहुत ही प्यारी रचना है
आपको बधाई
. उम्दा प्रस्तुति !
ऐसी खुशी नहीं चाहता जो किसी का दिल दुखाने से मिले संजय भास्कर
संजय जी........श्रीमान को सादर प्रणाम, मैंने एक और ब्लॉग बना लिया है......आपका मार्गदर्शन यदि यहाँ भी मिले तो मुझे सतत प्रेरणा मिलेगी....ब्लाग का पता निचे दिया है.
http://padhiye.blogspot.com
आपका धन्यवाद.
bhut khoob...badhai ho
ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया !
तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !
तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे
इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ थाम लिया !
bahut khubsurat yehsas .
bahdai dost .
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
simply great lines....thanx 4 d post
भगवान के बारे में पूछे तो कोई,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ ।
सचमुच, मां भगवान का ही दूसरा रूप है।
मां को समर्पित सबसे श्रेष्ठ रचना।
मां को नमन।
भाई संजय पहले तो तुमसे क्षमा की इतने दिनों में आना हुआ ...तुमने लिंक भेजे तब भी ना आ सकी उम्मीद है बुरा नहीं मानोगे बहन की इस बात का आखिर अपनी भांजी की हरकतों से तुम भी कहाँ अनजान हो समय नहीं मिल पाता उसके साथ .....आज की तुम्हारी यह कविता इतनी पसंद आई की बताना मुश्किल है . इतना अच्छा और सच्चा लिखा है की प्रसंशा को शब्द नहीं मिलते . यूँ ही लिखते रहो ....शुभकामनाएँ!!
kisi ne sach kha hai ''sb kuchh mil jata hai lekin ma nhi milti ''.ye pak rooh hi kuchh aisi hai .
srl shbdo me rchi bhut sundr bhavabhivykti .
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
xxxxxxxxxxxxxxxxxx
बहुत सही कहा भाई ................आपके ख्याल की तारीफ में क्या कहूँ ....बहुत उम्दा रचना
संजय भाई, बहुत ही प्यारी कविता है। इसके लिए आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
bahut sunder abhiyakti!
bahut sunder rachna..........
@ रेखा श्रीवास्तव जी..
@ इन्द्रनील भट्टाचार्जी जी..
@ प्रियांकाभिलाशी जी..
@ देवेश प्रताप जी..
@ झरोखा पूनम जी..
@ अपनत्व जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
@ अर्चना जी..
@ संध्या जी..
@ उपेंदर जी..
@ प्रेरणा जी..
@ मृदुला प्रधान जी..
@ राजकुमार सोनी जी..
...बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
@ दिव्या जी..
@ एस.एम.मासूम जी..
@ अरविन्द जांगिड जी..
@ पवन रना जी..
@ मीनाक्षी पन्त जी..
@ S.विक्रम जी..
@ महेंद्र वर्मा जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
वाह भाई...
बहुत ही सुन्दर रचना... मान की बात, इतने प्यार से... awesome...
तारीफ के लिए शब्द खोजती हूँ फ़िर लिखती हूँ...
aapko 201 badhaaiyan
1 is sundar kavita ke liye aur 200 aapke 200 follw. ke liye
mubaraq ho !
संजय जी ,आपके मन में अपने माता पिता के लिये जो असीम प्रेम है उस पर मन झुक जाता है ,आप सभी को शुभकामनायें !
आपने माँ की सही परिभाषा लिखी है. माँ भगवान का ही दूसरा रूप होती है.
@ रानीविशाल दीदी कोई बात नहीं देर से ही आई पर आई तो सही
.....अनुष्का को प्यार
@ राजवंत राज जी..
@ केवल राम जी..
@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी..
@ संदीप 'शालीन ' जी..
@ सुमन जी..
बहुत बहुत धन्यवाद आपने ब्लॉग पर आकर माँ की महानता को बयाँ किया
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
maaa........aage kya kahoon?
bht khusnaseeb hai woh maa jisne sanjay bhaiya jaisa beta paya........
aapse chota hoon isliye ashirwad nahi de sakta par bhagwan se apke liye ashirwad maang toh sakta hoon.....dher sara pyaar meri or se..aur mata ji ko charan sparsh
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन में शामिल किया गया है... धन्यवाद....
सोमवार बुलेटिन
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