12 जनवरी 2011

किस बात का गुनाहगार हूँ मैं....संजय भास्कर


किस बात का गुनाहगार हूँ मैं,
खुशिया भरता हूँ  सबकी जिंदगी में ,
टूटे दिलो को दुआ देता हूँ ,
दुश्मन का भी भला करता हूँ |
क्या इसी बात का गुनाहगार हूँ ,
मेरी जिंदगी में कांटे डाले सबने
मैंने फूलों की बहार दे डाली
बचाता हूँ दोस्तों को हर इलज़ाम से
कहीं दोस्त बदनाम न हो जाये
मेरे लिए यही जिंदगी का दस्तूर है |
क्या इसीलिए मैं गुनाहगार हूँ ,
साथ निभाता हूँ सभी अपनों का
जिंदगी की हर राह पर
क्या यही है कसूर मेरा ,
हाँ हाँ .......यही है कसूर मेरा
जो अपने दिल के गमो को छुपाता रहा हूँ मैं
ज़माने को हसाता रहा हूँ मैं,
और तन्हाई में आंसू  बहाता  रहा हूँ मैं 
' भास्कर ' पूछता है क्या यही जिंदगी का दस्तूर है
कोई बता दे कसूर मे
किस बात का.................... गुनाहगार हूँ  मैं  !
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
 

..................... संजय कुमार भास्कर

05 जनवरी 2011

कल्पना नहीं कर्म ................संजय भास्कर

कल जब मैं अपने ऑफिस से घर के लिए निकला तो देखा एक काफी शॉप पर कुछ युवा मदहोश होकर धूम्रपान  कर रहे है  व नशे में डूबे  हुए है तथा थोड़ी ही देर में एक दुसरे को  गलियां  देने लगे व मार पीट पर उतर आये 
जो कुछ देर पहले तक एक दुसरे के साथ मदमस्त थे वही एक दुसरे को मारने पर उतारू है ....यह सब देख कर यह छोटी सी कविता लिखी है .....उम्मीद है आपको पसंद आएगी ............ !




काफी हाउस में बैठा
आज का युवा वर्ग
मदहोश , मदमस्त, बेखबर
कर्म छोड़ कल्पना से
संभोग करता हुआ
निराशा को गर्भ में पालता हुआ
मायूसियो को जन्म दे रहा है
तो ऐसे कंधो पर
देश का बोझ
कैसे टिक पायेगा ? जो
या तो खोखले हो गये है
या जिनको उचका लिया गया है
ए - दोस्त -
बाहर निकलो इस संकीर्ण दायरे से
कल्पना को नहीं कर्म को भोगो
अपने कंधे मजबूत करो
इन्ही कंधो को तो
यह देश यह समाज निहारता है
अपनी आशामयी, धुंधली सी
बूढी आँखों से .....................!
चित्र :- ( गूगल से साभार  )

.......................संजय कुमार भास्कर

31 दिसंबर 2010

2011 के साथ होगी खुशियों की बरसात...........संजय भास्कर


कुछ दिनों की है बात
फिर हर रोज होगी मुलाकात
कुछ तुम कहना कुछ हम कहेंगे
अपने दिल की बात
कैसे कैसे सपने देखे
कैसे बीती वो आपसे दूर रह कर रात
  बीता 2010 आ रहा 2011 का साथ
इंतज़ार की घड़िया ख़त्म होने को है
रूबरू होंगे लेकर खुशियों की बरसात !
Happy  New Year 
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ब्लॉग जगत के तमाम साथियों को मेरी तरफ से नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें , अपना स्नेह और प्यार इसी तरह बरकरार रखना ......मुझे अभी बहुत कुछ कहना है ..........!

....संजय कुमार भास्कर....  

27 दिसंबर 2010

" ......इक अनाथ का दर्द ........"


मैं अनाथ हूँ तो क्या
मुझे न मिलेगा प्यार कभी
किसी की आँख का तारा
क्या कभी बन पाऊंगा
किसी के घर आँगन में
फूल बन मह्कूंगा कभी
ओ दुनिया वालों
मैं भी तो इक बच्चा हूँ
माना तुम्हारा खून नही हूँ
न ही संस्कार तुम्हारे हैं
फिर भी हर बाल सुलभ
चेष्टाएं तो हैं मेरी भी वही
क्या संस्कार ही बच्चे को
माँ की गोद दिलाते हैं
क्या खून ही बच्चे को
पिता का नाम दिलाता है
क्या हर रिश्ता केवल
खून और संस्कार बनाता है
तुम तो सभ्य समाज के
सभ्य इंसान हो
फिर क्यूँ नही
मेरी पीड़ा समझ पाते हो
मैं भी तरसता हूँ
माँ की लोरी सुनने को
मैं भी मचलना चाहता हूँ
पिता की ऊँगली पकड़
मैं भी चलना चाहता हूँ
क्या दूसरे का बच्चा हूँ
इसीलिए मैं बच्चा नही
यदि खून की ही बात है तो
खुदा ने तो न फर्क किया
फिर क्यूँ तुम फर्क दिखाते हो
लाल रंग है लहू का मेरे भी
फिर भी मुझे न अपनाते हो
अगर खून और संस्कार तुम्हारे हैं
फिर क्यूँ आतंकियों का बोलबाला है
हर ओर देश में देखो
आतंक का ही साम्राज्य है
अब कहो दुनिया के कर्णधारों
क्या वो खून तुम्हारा अपना नही
एक बार मेरी ओर निहारो तो सही
मुझे भी अपना बनाओ तो सही
फिर देखना तुम्हारी परवरिश से
ये फूल भी खिल जाएगा
तुम्हारे ही संस्कारों से
दुनिया को जन्नत बनाएगा
बस इक बार
हाथ बढाओ तो सही
हाथ बढाओ तो सही 
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
 
कविता के माध्यम से एक अनाथ के दर्द को बयाँ किया है 
वंदना जी ने इतनी सुन्दरता से लिखा कि मैं अपने ब्लॉग पर ही ले आया 
वंदना जी कि कलम से निकली एक बेहतरीन रचना 
वंदना गुप्ता  जी के ब्लॉग से ये कविता आप तक  पहुंचा रहे है संजय भास्कर
 

22 दिसंबर 2010

200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों और ब्लॉगस्पॉट का तहे दिल से शुक्रिया ...संजय भास्कर

मुझे  यह  बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में  मेरे  समर्थको (Followers) की संख्या 2०० हो गई है  
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ , मैं और मेरी कविताये  वाली लेखिका संध्या शर्मा  जी  की  , जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने  की का  दोसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।

इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी 

    आनंदित है रोम रोम, पाकर प्यार आपका
थैंक्स, शुक्रिया, मेहरबानी, छोटे पड़ गए
कैसे करूँ प्रकट आभार आपका
नहीं उतरेगा कर्ज इस जन्म, मुझसे 
संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
 
इसी पर एक छोटी सी कविता  पेश करता हूँ आपके सामने
शुक्रिया ब्लॉगस्पॉट
तेरा बहुत शुक्रिया
मेरे जीवन में एक तरंग लाए हो तुम
लगता खुशियां अपने संग लाए हो तुम
मुझे साथ खड़े हैं दो सौ दिमाग
चार  सौ आंखे, चार सौ हाथ
जारी है गिनती, मेरी बढ़ती खुशियों की
बढ़ाने को मेरा हौसला हर कदम पर
शुक्रिया ब्लॉगस्पॉट!
बनी रहेगी आदत........मुस्कुराने की मेरी
तेरे संग ब्लॉगस्पॉट
शुक्रिया,.बहुत शुक्रिया..

.......आमीन.......

साथ ही आप सभी पेश है मेरी दो सौंवी फ़ॉलोअर संध्या शर्मा जी की एक सुंदर कविता 

" KAVITA "

" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों  ने  घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"         


.........................संजय कुमार भास्कर